Surya Namaskar Mantra: योग के भरे-पूरे खजाने के बीच, सूर्य नमस्कार एक अनमोल रत्न है. अगर कोई व्यक्ति रोज सुबह बहुत सारे योग आसन नहीं कर सकता है तो उसे कम से कम सूर्य नमस्कार कर लेना चाहिए. नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से सेहत को चमत्कारिक रूप से लाभ मिल सकते हैं.
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पटनाः Surya Namskar Mantra: मंगलवार, 21 जून को सारे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है. योग भारत की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से निकला हुआ वरदान है जो आज की पीढ़ी को सौगात के रूप में मिला हुआ है. हालांकि यह भी विडंबना है कि हम अपनी इस विरासत को जानते तो हैं, लेकिन अपना नहीं पाते हैं. इस भागदौड़ भरी जिंदगी में जब यह कहना आम हो चला है कि 'समय नहीं है' ऐसे में स्वास्थ्य के लिए भी समय निकालना मुमकिन नहीं.
योग के भरे-पूरे खजाने के बीच, सूर्य नमस्कार एक अनमोल रत्न है. अगर कोई व्यक्ति रोज सुबह बहुत सारे योग आसन नहीं कर सकता है तो उसे कम से कम सूर्य नमस्कार कर लेना चाहिए. नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से सेहत को चमत्कारिक रूप से लाभ मिल सकते हैं. सूर्य नमस्कार 13 मंत्रों की एक सिरीज है, जिसमें हर मंत्र के साथ 10 आसनों का एक समूह शामिल रहता है. 13 मंत्र पूरे होने तक इन आसनों को करना होता है. यह 13 मंत्र भगवान सूर्य के विभिन्न नामों पर आधारित हैं.
ओम मित्राय नमः - सूर्य ऊर्जा का आधार है, इसलिए जीवों के लिए मित्र हैं.
ओम रवये नमः - सूर्य का एक नाम रवि भी है. इसका अर्थ है मैं रवि को नमस्कार करता हूं.
ओम सूर्याय मनः यह तो सर्व प्रसिद्ध नाम है. इसका अर्थ है मैं सूर्य को नमस्कार करता हूं
ओम भानवे मनः- सूर्य का एक नाम भानु है, भुवन में श्रेष्ठ होने के कारण वह भानु कहलाए हैं.
ओम खगाय मनः - पक्षियों के समान आकाश में विचरण करने के कारण वह पक्षी स्वरूप भी हैं. खग का अर्थ पक्षी होता है.
ओम पूषणे नमः - सूर्य को इस नाम से भी पुकारते हैं.
ओम हिरण्यगर्भाय नमः - हिरणी का गर्भस्थल सुनहला रंग का होता है. सूर्य में इस रंग की आभा होने के कारण उन्हें हिरण्यगर्भा कहा जाता है.
ओम मरीचए नमः - मरीचि के कुल में जन्म लेने के कारण सूर्यदेव मारीचि कहलाते हैं.
ओम आदित्याये नमः - दक्ष पुत्री अदिति और ऋषि कश्यप उनके माता-पिता है. अदिति के पुत्र होने से सूर्य देव आदित्य कहलाए.
ओम सवित्रे नमः - सकारात्मकता की प्रतीक किरणों के कारण उन्हें सविता देव कहते हैं.
ओम अर्काय नमः - सभी औषधियों और बूटियों में सूर्य का ही तेज समाया है. रस को अर्क कहते हैं, इसलिए सूर्य देव को अर्काय कहा जाता है.
ओम भास्काराय नमः - सूर्यदेव का एक नाम भास्कर भी है
ओम श्री सवित्र सूर्यनारायणाय नमः- यह पूर्णता मंत्र है
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