बिहार विधानसभा (Bihar Vidhansabha) में संख्या बल के हिसाब से सबसे बड़े दल RJD में इन दिनों माहौल अच्छे नहीं है. पार्टी के भीतर लगातार कलह की खबरें आने से सवालिया निशान लग रहे हैं. खास तौर पर लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटों को लेकर सवाल खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं.
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Patna: बिहार विधानसभा (Bihar Vidhansabha) में संख्या बल के हिसाब से सबसे बड़े दल RJD में इन दिनों माहौल अच्छे नहीं है. पार्टी के भीतर लगातार कलह की खबरें आने से सवालिया निशान लग रहे हैं. खास तौर पर लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटों को लेकर सवाल खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव (Tejpratap yadav) अपनी राजनीति RJD से इतर करने वाले हैं?
दरअसल पिछले कुछ महीनों से RJD में तेजप्रताप यादव को लेकर कोई न कोई परेशानी सामने आ रही है. खास तौर पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) से उनकी तकरार पार्टी की फजीहत करा रही है. आए दिन तेजप्रताप यादव की तरफ से जगदानंद सिंह को लेकर बयान दिया जाता है, जिसके बाद पार्टी के लिए उस पर सफाई पेश करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में विरोधी लगातार RJD पर हमलावर हैं और भाई-भाई में राजनीतिक बंटवारे की भविष्यवाणी कर रहे हैं.
'तेज' ब्रदर्स में शुरू हुई तकरार!, पार्टी सिंबल बना सियासी हथियार
पिछले दिनों तेजप्रताप यादव ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को 'हिटलर' कहकर संबोधित कर दिया था. उसके बाद से RJD में शुरु हुआ बवाल अब तक नहीं थमा है. पहले तो जगदानंद सिंह ने पार्टी दफ्तर आना बंद कर दिया. उसके बाद जब वो ऑफिस में लौटे तो सबसे पहले तेजप्रताप यादव के करीबी और RJD छात्र इकाई के प्रदेश अध्यक्ष आकाश यादव की छुट्टी कर दी. इसके बाद तो तेजप्रताप यादव भड़क उठे और खुलकर जगदानंद सिंह के खिलाफ आग उगलने लगे.
'तेजस्वी यादव ने कई बार डैमेज कंट्रोल की कोशिश की'
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कई बार डैमेज कंट्रोल की कोशिश की, लेकिन सारी कोशिशों पर पानी फिर गया. तेजप्रताप यादव उसके बाद से लगातार पार्टी से इतर अपना स्टैंड ले रहे हैं. उन्होंने अब अपना अलग छात्र संगठन बना लिया है. छात्र जनशक्ति परिषद के नाम से तेजप्रताप यादव ने संगठन बनाया है और बिहार के पंचायत चुनाव में भी कैंडिडेट उतारने की बात कही है.
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'तेजप्रताप के संगठन के सिंबल में भी 'लालटेन' का इस्तेमाल किया गया'
8 सितंबर को तेजप्रताप यादव ने अपने संगठन का अलग सिंबल भी जारी किया. इस सिंबल को लेकर एक बार फिर बवाल हो गया है. तेजप्रताप यादव के छात्र जनशक्ति परिषद के सिंबल में भी 'लालटेन' का इस्तेमाल किया गया है. हालांकि इसमें RJD के 'लालटेन' से थोड़ा बदलाव कर 'हाथ में लालटेन' का निशान दिया गया है. मतलब साफ है कि RJD से किसी तरह का विवाद होने पर भी तेजप्रताप अपने संगठन के सिंबल को अलग साबित करने में कामयाब हो सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ 'लालटेन' पर अपना दावा भी बरकरार रख सकते हैं.
विरोधियों का RJD में दो फाड़ का दावा, पार्टी ने विवाद से किया इनकार
तेजप्रताप यादव के स्टैंड को लेकर विरोधी दल RJD पर हमलावर हैं. सत्ताधारी दल JDU और BJP ने इसे RJD खेमे में चल रही कलह बताया है. NDA का कहना है कि 'तेजप्रताप यादव अब अपना हक मांग रहे हैं. लालू प्रसाद के बड़े बेटे होने के बाद भी उन्हें वाजिब हक नहीं मिला और पार्टी में भी उनकी कद्र नहीं होती. पार्टी के सभी नेता तेजस्वी यादव का समर्थन करते हैं और तेजप्रताप यादव को नजरअंदाज करते है. जगदानंद सिंह तो तेजप्रताप यादव को पहचानने से भी इंकार कर देते हैं. पार्टी के पोस्टर में उन्हें जगह नहीं मिलती और जब वो अपना पोस्टर लगाते हैं तो उस पर कालिख पोत दी जाती है. ऐसे में तेजप्रताप यादव अब RJD से बाहर अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश में लग गए हैं'
'RJD का दावा है कि पार्टी में सब कुछ ठीक चल रहा है'
विरोधियों से इतर RJD के नेता पार्टी में किसी भी तरह की तकरार को सिरे से नकार रहे हैं. RJD का दावा है कि पार्टी में सब कुछ ठीक चल रहा है और तेजस्वी-तेजप्रताप में कोई खटपट नहीं है. RJD का कहना है कि 'तेजप्रताप यादव ने छात्र संगठन खड़ा किया है और इसके जरिए युवाओं को RJD से जोड़ने का प्रयास करेंगे.' हालांकि RJD के नेता तेजप्रताप यादव का नाम नहीं ले रहे और उन पर कोई भी बयान देने से बच रहे हैं. इससे ये साफ संकेत जा रहा है कि पार्टी में कुछ तो गड़बड़ है.
लालू यादव अब तक इस मामले को कंट्रोल क्यों नहीं कर पाए हैं?
इन सबसे अलग राजनीतिक मामलों के जानकार इस बात से हैरान हैं कि RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अब तक इस मामले को कंट्रोल क्यों नहीं कर पाए हैं? आखिर कई महीनों से जारी विवाद का अब तक समाधान क्यों नहीं निकल पाया? या फिर तेजप्रताप यादव अब किसी की सुनने को तैयार नहीं हैं? और अगर ऐसा है तो ये RJD के लिए और लालू प्रसाद की राजनीतिक विरासत के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता.
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