Rambha Teej 2022: रंभा का जिक्र पुराणों में अप्सरा रंभा के रूप में होता है. यह भी कहा जाता है कि पूर्व जन्म में रंभा मानवी थी और तृतीया तिथि के व्रत-पालन से उसे अतुलनीय सौंदर्य मिला था.
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पटनाः Rambha Teej 2022: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तीज मनाई जाती है. यह व्रत आज 2 जून को रखा जा रहा है. यह व्रत सुहागिन महिलाओं और कुवांरी कन्याओं के लिए विशेष फल देने वाला होता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन अप्सरा रंभा की पूजा करने से व्रती को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव, माता पार्वती और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. इस दिन रंभा अप्सरा को याद किया जाता है. दरअसल, रंभा तीज व्रत का नाम रंभा अप्सरा के नाम पर पड़ा है. उन्होंने खुद पहले मां पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए और फिर महालक्ष्मी से वरदान प्राप्त करने के लिए इस कठिन व्रत को किया था. उनकी तपनिष्ठा से प्रसन्न होकर दोनों देवियों ने इस तीज का नाम ही रंभा तीज रख दिया.
कौन हैं रंभा
रंभा का जिक्र पुराणों में अप्सरा रंभा के रूप में होता है. यह भी कहा जाता है कि पूर्व जन्म में रंभा मानवी थी और तृतीया तिथि के व्रत-पालन से उसे अतुलनीय सौंदर्य मिला था. शिव-पार्वती की कृपा और देवी लक्ष्मी के आशीष से रंभा का जन्म समुद्र से रत्न के रूप में हुआ था, वह देवी लक्ष्मी का ही एक अवतार मानी जाती हैं. उन्हें इंद्र की सभा में मौजूद रहने का सम्मान हासिल हुआ था. अप्सरा रंभा को यौवन और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है. रावण के वध के कई कारणों में से रंभा अप्सरा भी एक कारण बनी थीं.
यह है पूजा विधि, चूड़ियों की होती है पूजा
रंभा तीज के दौरान महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं. खासकर इस दिन चूड़ियों की पूजा की जाती है. सनातन धर्म के अन्य पर्वों की ही तरह रंभा तीज के दिन भी दान का भी बड़ा महत्व है. माना जाता है कि इस दिन सोलह श्रृंगार की वस्तुओं का दान करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है. रिश्तों में कड़वाहट कम होती है और प्रेम बढ़ता है.
इस तरह करें अनुष्ठान
इस दिन सुहागिन महिलायें प्रातःकाल उठकर स्नान करके व्रत एवं पूजा करने का संकल्प लें. पूजा स्थल पर पूर्व दिशा में मुंह करके साफ आसन पर बैठें. माता पार्वती और शिव भगवान की मूर्ति स्थापित करें. पहले गणेश भगवान की फिर शिव भगवान और माता पार्वती की पूजा अर्चना करें. पूजा में घी के पांच दीपक जलाएं. पूजा के दौरान भगवान शिव पर चंदन, गुलाल और फूल समेत अन्य चीजें एवं माता पार्वती पर चंदन, हल्दी, मेहंदी, अक्षत, लाल फूल समेत सोलह श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं.
रंभा तीज व्रत के पूजन में इस मंत्र का जाप करने से अति पुण्य फल की प्राप्ति होती है. ॐ ! रंभे अगच्छ पूर्ण यौवन संस्तुते. रंभा तीज व्रत पूजन से स्त्रियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस व्रत का पूजन विधि पूर्वक करने से यौवन और आरोग्य प्राप्त होता है. इस दिन दान का भी विशेष महत्व है.