उम्मीदवारों की घोषणा और नामांकन में विपक्षी दल आरजेडी सबसे आगे रही. राजद की ओर से मीसा भारती और फैयाज अहमद का नाम तय किया गया और दोनों ने पर्चा भी भर दिया.
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पटना: Rajya Sabha Election 2022: बिहार में राज्यसभा की 5 सीटों के लिए 10 जून को होने वाले मतदान से पहले सियासी पारा गर्म है. धीरे-धीरे उम्मीदवारों के नाम से पर्दा उठ रहा है और सियासी सरगर्मी और बढ़ती जा रही है. इन पांच सीटों में से दो सीटों पर आरजेडी का कब्जा होना तय हैं, वहीं जेडीयू के नाम एक और बीजेपी के खाते में दो सीटों का जाना लगभग पक्का है. चुनाव से पहले उम्मीदवारों को लेकर भी तमाम तरह की उत्सुकता है. हालांकि, इस उत्सुकता से फिलहाल आरजेडी ने तो पर्दा उठा दिया है लेकिन जेडीयू और बीजेपी के उम्मीदवारों के नाम का अभी भी इंतजार है.
RJD के नाम तय, उम्मीदवारों ने भरा पर्चा
उम्मीदवारों की घोषणा और नामांकन में विपक्षी दल आरजेडी सबसे आगे रही. राजद की ओर से मीसा भारती और फैयाज अहमद का नाम तय किया गया और दोनों ने पर्चा भी भर दिया. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की बड़ी बेटी और वर्तमान राज्यसभा सदस्य मीसा भारती का नाम तो पहले से तय था, लेकिन दूसरे प्रत्याशी को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे थे. इन कयासों पर विराम लगाते हुए, आरजेडी ने फैयाज अहमद का नाम घोषित कर दिया. यह नाम सामने आते ही हर कोई हैरत में रह गया. ये तो पहले से माना जा रहा था कि आरजेडी अपने 'MY' समीकरण को मजबूती से बनाए रखने के लिए एक तरफ जहां यादव जाति से आने वाली मीसा भारती को मैदान में उतारेगी, वहीं दूसरा कोई मुस्लिम उम्मीदवार ही होगा.
नाम के ऐलान के बाद उठा विरोध
दूसरे उम्मीदवार के रूप में सीवान के पूर्व आरजेडी सांसद सैयद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना सहाब का नाम रेस में काफी आगे चल रहा था. लेकिन जब नाम का ऐलान हुआ तो हिना सहाब पीछे छूट गयीं और फैयाज अहमद के रूप में हैरान कर देने वाला नाम सामने आया. उम्मीदें टूटने पर हिना सहाब समर्थकों ने विरोध भी जताया. लेकिन, एक बार नाम सामने आ जाने के बाद इस विरोध का कोई मतलब नहीं था.
कौन हैं फैयाज अहमद ?
दरअसल, मधुबनी के रहने वाले डॉक्टर फैयाज अहमद सामाजिक कार्य से जुड़े रहने के साथ-साथ बड़े कारोबारी भी हैं. शिक्षा के क्षेत्र में एमए और पीएचडी करने वाले फैयाज अहमद मधुबनी मेडिकल कॉलेज के संस्थापक है. उन्होंने पहली बार 2005 में सियासी मैदान में कदम रखा. तब वे जेडीयू के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. फिर बिस्फी से 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में फैयाज ने जीत हासिल की. हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव में फैयाज अहमद को बीजेपी के हरिभूषण ठाकुर बचौल से हार का सामना करना पड़ा. जाहिर है सियासत में उनका करीब दो दशक लंबा अनुभव रहा है. अब वे राज्य की सियासत से निकल पर राष्ट्रीय सियासत में कदम रखने जा रहे हैं और उनका उच्च सदन में पहुंचना लगभग तय है.
हिना पर फैयाज को क्यों मिली वरीयता ?
राज्यसभा चुनाव में हिना शहाब पर फैयाज अहमद को वरीयता क्यों दी गयी, इसको लेकर तमाम बातें की जा रही हैं. लेकिन जो सबसे बड़ी वजह नजर आ रही है, वो है मिथिलांचल में आरजेडी की कमजोर स्थिति. इसकी पृष्ठभूमि पिछले विधानसभा चुनाव के परिणामों से तैयार होती दिख रही है.
दरअसल, 2020 के विधानसभा चुनाव में मिथिलांचल में एनडीए ने एक तरह से यूपीए का किला ढहा दिया था. मिथिलांचल क्षेत्र से विधानसभा की 60 से अधिक सीटें आती हैं. इनमें से 40 से अधिक सीटों पर एनडीए उम्मीदवारों ने कब्जा किया था. सरकार बनाने का सपना देख रही आरजेडी को इन परिणामों ने चौंका दिया था और उसका सपना अधूरा रह गया था.
आरजेडी को पता है कि अगर उसे बिहार में सत्ता के शिखर पर पहुंचना है तो मिथिलांचल के मजबूत किले पर कब्जा करना ही होगा. इसी बात को मद्देनजर रखते हुए आरजेडी मिथिलांचल में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिशों में लगातार जुटी हुई है. मिथिलांचल की राजनीति में जमीन से जुड़े फैयाज अहमद की राज्यसभा उम्मीदवारी इसी रणनीति का एक हिस्सा मानी जा रही है.
लालू यादव की पार्टी ने हिना शहाब पर बहुत दांव लगाया, लेकिन उनमें वो सियासी फायदा नहीं मिला जो शहाबुद्दीन के जमाने में भोजपुरी इलाके में आरजेडी की दिखाई देती थी. अब आरजेडी की तरफ से खेला गया ये बड़ा सियासी दांव क्या रंग लाएगा और मिथिलांचल में उसकी स्थिति को कितना मजबूत कर पाएगा, इसकी झलक तो 2024 के लोकसभा चुनाव में ही देखने को मिल जाएगी.