Dolphin Day: पद्मश्री विजेता ने बताया बिहार में कब तक रहेंगी डॉल्फिन
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Dolphin Day: पद्मश्री विजेता ने बताया बिहार में कब तक रहेंगी डॉल्फिन

2018 में हुई गणना के अनुसार, बिहार के गंगा में 1464 डॉल्फिन मौजूद हैं. डॉल्फिन संरक्षण में मछुआरे की भूमिका अहम् है और अब जो भी नीतियां डॉल्फिन संरक्षण को लेकर बनाई जा रही है उसमें मछुआरों की भागीदारी को लेकर उपयुक्त प्रावधान किए जा रहे हैं.

5 अक्टूबर को डॉल्फिन डे मनाया जाता है.

Patna: 5 अक्टूबर को डॉल्फिन दिवस (Dolphin Day) मनाया जाता है. इस दिन जागरूकता अभियान चलाकर डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर मुहीम भी चलायी जाती है. गंगा में डॉल्फिन की संख्या देश में सर्वाधिक है और बिहार में देश के 80 फीसदी से ज्यादा डॉल्फिन हैं. 2009 में गंगेटिक डॉल्फिन (Gangetic Dolphin) को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किए जाने के बाद इसके संरक्षण को लेकर ज्यादा तेजी से काम किया जा रहा है और विशेषज्ञों की राय में गंगा (Ganga) में डॉल्फिन सुरक्षित है और लगातार इसकी संख्या के बढ़ने का ट्रेंड है.

  1. 5 अक्टूबर को मनाया जाता है डॉल्फिन दिवस
  2. बिहार में देश की 80 फीसदी डॉल्फिन

 

बिहार में डॉल्फिन की स्थिति बेहतर
दरअसल, बिहार में बक्सर से लेकर भागलपुर तक गंगा में डॉल्फिन पाया जाता है लेकिन पटना से भागलपुर के बीच इसकी संख्या सबसे ज्यादा है और यह स्थान डॉल्फिन के रहने के लिए सबसे उपयुक्त है. डॉल्फिन विशेषज्ञ डॉ गोपाल शर्मा के अनुसार डॉल्फिन की स्थिति बिहार में अच्छी है और तटीय इलाके के लोगों को इसके संरक्षण के लिए जागरूक भी किया जा रहा है.

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'बिहार की नदियों में युगों-युगों तक रहेंगी डॉल्फिन'
2018 में हुई गणना के अनुसार, बिहार के गंगा में 1464 डॉल्फिन मौजूद हैं. डॉल्फिन संरक्षण में मछुआरे की भूमिका अहम् है और अब जो भी नीतियां डॉल्फिन संरक्षण को लेकर बनाई जा रही है उसमें मछुआरों की भागीदारी को लेकर उपयुक्त प्रावधान किए जा रहे हैं और इसका सार्थक परिणाम भी देखने को मिल रहा है. 'डॉल्फिन मैन' (Dolphin Man) के नाम से प्रसिद्ध पद्मश्री (Padma Shri) आरके सिन्हा का कहना है कि चीन की नदियों में डॉल्फिन खत्म हो गयी लेकिन बिहार की नदियों में डॉल्फिन युगों-युगों तक रहेगी. 

पटना में खोला गया शोध केंद्र
गंगेटिक डॉल्फिन की संख्या में बढ़ोतरी मिशन 'क्लीन गंगा  (Clean Ganga) या नमामि गंगे (Namami Gange)' का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि जैसे बाघ स्वस्थ्य जंगल के लिए जरुरी है वैसे ही गंगा में गंगेटिक डॉल्फिन की उपस्थिति गंगा के स्वास्थ्य का परिचायक हैं. बिहार में गंगेटिक डॉल्फिन के ऊपर शोध को लेकर विश्व का पहला शोध केंद्र भी पटना में इसी वर्ष खोला गया है और इसका लाभ डॉल्फिन संरक्षण को लेकर भी मिलेगा, ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है. 

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