बीएड के नतीजे को लेकर मगध विश्वविद्यालय की बड़ी लापरवाही, अधर में छात्रों का भविष्य
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बीएड के नतीजे को लेकर मगध विश्वविद्यालय की बड़ी लापरवाही, अधर में छात्रों का भविष्य

शिक्षा विभाग प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के नियोजन के लिए सत्तर हजार पदों पर भर्ती की तैयारियां कर रहा है. 

मगध विश्वविद्यालय की लापरवाही सैंकड़ों युवा पर भारी पड़ने वाली है.

Patna: अपनी लापरवाही और गैरजिम्मेदारी की वजह से सुर्खियों में रहने वाले मगध विश्वविद्यालय की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. दरअसल, बीएड की परीक्षा दे चुके सैंकड़ों छात्र परिणाम का इंतजार कर रहे हैं. अब इंतजार कर रहे इन अभ्यर्थियों की बेचैनी और बढ़ गई है. दरअसल, जुलाई में बिहार में सत्तर हजार शिक्षकों की बहाली होनी है, लेकिन नतीजे नहीं आने के कारण सैंकड़ों युवा अभ्यर्थियों को नौकरी मिलने का अवसर हाथ से जाता दिख रहा है.

अभ्यर्थी गुहार लगाते-लगाते थक चुके हैं लेकिन बीएड परीक्षा का परिणाम नहीं आया है. ऐसे में सवाल ये है कि अगर अभ्यर्थी किसी वजह से शिक्षक नियोजन से वंचित रह गए तो फिर इसका जिम्मेदार कौन होगा. शिक्षा विभाग प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के नियोजन के लिए सत्तर हजार पदों पर भर्ती की तैयारियां कर रहा है. लिहाजा, बिहार के बेरोजगार युवा इस अहम अवसर को हाथों से गंवाना नहीं चाहते हैं. लेकिन मगध विश्वविद्यालय की लापरवाही सैंकड़ों युवा पर भारी पड़ने वाली है. 

दरअसल, जहानाबाद में मां कमला चंद्रिका जी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में पढ़ने वाले 170 से अधिक अभ्यर्थियों के सेकेंड ईयर की परीक्षा दिसंबर2021 में ही हो चुकी है. परीक्षा को खत्म हुए पांच महीने बीत चुके हैं, लेकिन ये नतीजों का इंतजार कर रहे हैं. अब परिणाम घोषित करने की मांग के लिए ये अभ्यर्थी रोजाना पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय पहुंच रहे हैं.

दरअसल, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आर के सिंह मगध विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति हैं. लिहाजा इनसे मिलने के लिए अभ्यर्थी गया और जहानाबाद से पहुंचते हैं. इन अभ्यर्थियों ने कई बार मगध यूनिवर्सिटी, पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के सामने प्रदर्शन किया, लेकिन नतीजा सिफर रहा. अभ्यर्थियों के मुताबिक, अगर कुछ दिनों में नतीजे घोषित नहीं हुए तो फिर शिक्षक नियोजन में शामिल होना मुश्किल हो जाएगा.

बिहार के सरकारी और निजी बीएड कॉलेजों में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा साल 2018 से हो रही है. बीएड का कोर्स दो साल का होता है और इसी कड़ी में सत्र दो हजार 2019-2021 के लिए सैकड़ों छात्रों ने मां कमला चंद्रिका जी टीचर्स ट्रेनिंग, जहानाबाद में दाखिला लिया. बीएड सेकेंड ईयर की परीक्षा भी पिछले साल दिसंबर में हो गई, लेकिन नतीजे घोषित नहीं किए गए हैं. इन अभ्यर्थियों ने बीएड की भारी भरकम फीस भी कॉलेज में दी है. ये फीस दो साल के लिए डेढ़ लाख है.

जरा सोचिए, डेढ़ लाख की फीस देने, परीक्षा देने के पांच महीने बाद भी नतीजे नहीं आए तो इन अभ्यर्थियों की मनोस्थिति का पता लगाना मुश्किल नहीं है. परीक्षा देना छात्रों का काम होता है लेकिन नतीजे प्रकाशन की जिम्मेदारी तो मगध विश्वविद्यालय (Magadh University) की बनती है. हमने मां कमला चंद्रिका जी टीचर्स ट्रेनिंग,जहानाबाद के प्रबंधन से भी बात की. प्रबंधन के मुताबिक, रिजल्ट प्रकाशन का काम विश्वविद्यालय का काम है. 

दरअसल, पिछले छह महीने मगध विश्वविद्यालय के लिए काफी उथल पुथल भर रहे हैं. यहां के पूर्व वीसी प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद पर वित्तीय अनियमितता के गंभीर आरोप लगे थे. हालांकि, उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है लेकिन घटनाक्रम का असर सीधे सीधे परिणाम पर पड़ा है. लिहाजा हमने मगध विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रोफेसर आरके सिंह से बात की. 

प्रोफेसर आरके सिंह ने चंद दिनों में नतीजे घोषित करने का दावा किया है. लिहाजा, अब सबकी नजर परीक्षा परिणाम पर है. दूसरी ओर अभ्यर्थियों की नजर शिक्षा विभाग पर भी है क्योंकि शिक्षा विभाग ने जुलाई अगस्त में सत्तर हजार पदों पर नियोजन की तैयारी कर रहा है.

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बेरोजगारी के इस भीषण संकट में युवा रोजगार के किसी भी मौके को हाथ से गंवाना नहीं चाहते हैं. अगर, मगध विश्वविद्यालय ने समय रहते रिजल्ट घोषित नहीं किया तो यकीन मानिए भारी संख्या में युवा इस यूनिवर्सिटी की गैरजिम्मेदारी से बेरोजगार रह जाएंगे.

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