लखीसराय: अस्पतालों को सुधारने में लगे तेजस्वी यादव, डॉक्टर की बेरुखी ने किया मरीज को तड़पने को मजबूर
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लखीसराय: अस्पतालों को सुधारने में लगे तेजस्वी यादव, डॉक्टर की बेरुखी ने किया मरीज को तड़पने को मजबूर

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव अस्पतालों की सेहत को सुधारने की मुहिम में लगे हुए हैं. सुविधाओं को दुरुस्त करने की कवायद चल रही है. वहीं लखीसराय के सदर अस्पताल में मरीज के परिजनों ने जमकर हंगामा किया. 

लखीसराय: अस्पतालों को सुधारने में लगे तेजस्वी यादव, डॉक्टर की बेरुखी ने किया मरीज को तड़पने को मजबूर

लखीसराय: बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव अस्पतालों की सेहत को सुधारने की मुहिम में लगे हुए हैं. सुविधाओं को दुरुस्त करने की कवायद चल रही है. वहीं लखीसराय के सदर अस्पताल में मरीज के परिजनों ने जमकर हंगामा किया. 45 वर्षीय वीरा यादव की बहू और उनके परिजन आनन-फानन में वीरा यादव को लेकर अस्पताल पहुंचे. वीरा यादव टीवी की बीमारी से पीड़ित थे. तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सदर अस्पताल लाया गया.

वीरा यादव ने अस्पताल में ही ली अंतिम सांस 
जानकारी के मुताबिक डॉक्टर ने उन्हें एडमिट तो कर लिया, लेकिन इमरजेंसी वार्ड में डालने के बाद वीरा यादव को कोई देखने नहीं आया. घंटो तक वो जिंदगी के लिए जूझते रहे. परिजन डॉक्टरों की बाट जोहते रहे लेकिन किसी ने सुध नहीं ली. अंतिम बड़हिया प्रखंड के हृदय बीघा के रहने वाले वीरा यादव की सांसो ने उनका साथ छोड़ दिया.

गर्भवती महिला को दूसरे अस्पताल किया गया शिफ्ट 
लखीसराय के सदर अस्पताल में डॉक्टरों ने आस तो दी पर एक मरीज को इलाज नहीं दे सके. उसके बाद परिजनों ने हंगामा मचाया तो एसडीएम सदर अस्पताल पहुंच गए. वहां पहुंचते ही अस्पताल के डॉक्टरों की संवेदनहीनता का एक और मामले सामने आ गया. एक गर्भवती महिलाएं की चीखें पूरे इमरजेंसी वार्ड में गूंज रही थी. रह-रह कर चीख रही ये महिला बीते दो घंटे से इमरजेंसी वार्ड में तड़प रही थी, लेकिन डॉक्टरों की संवेदनहीनता इस चीखों को उनके हृदय को पिघला नहीं सकी. हालांकि एसडीएम साहब का दिल जरूर पिघल गया और आनन-फानन में बेहतर इलाज के लिए उसे दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया.

डाक्टर अपने कार्य संस्कृति बदलने को नहीं तैयार
एसडीएम पूरे मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने का भरोसा दे रहे हैं, लेकिन जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की बातें पुरानी हो चुकी है. मामले को शांत कराने के लिए ऐसी रटी-रटाई बताएं अक्सर अधिकारी कैमरे के सामने करते हैं, लेकिन जांच होगी, फिर कार्रवाई होगी वो भी किस रूप में होगी, भविष्य के गर्त में है लेकिन वर्तमान तो ये है कि सदर अस्पताल के संवेदनहीन डॉक्टर अपनी कार्य संस्कृति बदलने को तैयार नहीं है.

इनपुट- राज किशोर मधुकर 

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