Iran's hardliners in anger to France after Iranian clerics carricature published in French magazine Charlie Hebdo: फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका चार्ली हेब्दो ने ईरान में चल रहे हिजाब विरोधी आंदोलन का समर्थन करते हुए वहां के मौलवियों का मजाक उड़ाते हुए मैगजीन में कैरिकेचर छापा था, जिसके बाद ईरान के सरकार समर्थक फ्रांस के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं.
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दुबईः फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका चार्ली हेब्दो द्वारा ईरान के सत्तारूढ़ मौलवियों का मजाक उड़ाना फ्रांस को भारी पड़ रहा है. इतवार को ईरानी कट्टरपंथियों ने तेहरान में फ्रांस के दूतावास के बाहर फ्रांस का झंडा जलाकर अपना-विरोध-प्रदर्शन किया.
चार्ली हेब्दो में छपे कैरिकेचर ने बड़े पैमाने पर पेरिस स्थित पत्रिका को ईरान सरकार के खिलाफ चल रहे विरोध-प्रदर्शनों का हिमायती बना दिया है. इस पत्रिका ने ईरान से अपने इस्लामिक गणराज्य का अंत करने की अपील की है.
चार्ली हेब्दो द्वारा ईरानी मौलवियों का मज़ाक उड़ाने वाले कार्टून के प्रकाशन के बाद, तेहरान में सरकार ने एक दशक पुराने फ्रांसीसी शोध संस्थान को जवाबी कार्रवाई के तहत बंद कर दिया है.
'डेथ टू फ्रांस’ का नारा लगा रहे हैं सरकार समर्थक
फ्रांसीसी दूतावास के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने ईरान के शासकों का समर्थन किया है. मदरसा और स्कूलों के छात्रों सहित सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने 'डेथ टू फ्रांस’ का नारा लगाकर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन पर ईरान का अपमान करने का इल्जाम लगाया है, जबकि पेरिस को तेहरान से दुश्मनी न करने की अपील की है. विरोध कर रहे कुछ प्रदर्शनकारियों ने अपने हाथों में ईरानी सर्वोच्च नेता अली खामेनेई की तस्वीरें थाम रखी थी. ईरान के कट्टरपंथी नेताओं के समर्थक आमतौर पर अमेरिका और मित्र देशों के खिलाफ अपना विरोध-प्रदर्शन करते हैं और उनके और झंडे जलाते हैं. कुछ टेलीविजन चैनलों की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ मौलवियों ने ईरान में धार्मिक शिक्षा के केंद्र क़ोम शहर में भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया है.
ईरान ने इसे पश्चिम की साजिश करार दिया
उधर, ईरानी संसद के स्पीकर मोहम्मद बघेर कलीबाफ ने फ्रांसीसी पत्रिका के कार्टूनों को अधिकारियों द्वारा बार-बार ईरान में दंगे फैलाने की कोशिश को पश्चिम की साजिश करार दिया है. राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने भी फ्रांसीसी कार्टूनों पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि स्वतंत्रता के बहाने ईरान का अपमान करना और अराजकता फैलाना उनकी हताशा का संकेत है.’’
महसा अमिनी की मौत के बाद से सुलग रहा है ईरान
गौरतलब है कि 22 वर्षीय महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद पिछले साल सितंबर माह से पूरे ईरान में सरकार विरोधी विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. देश की महिलाएं खुलकर सरकार के ड्रेस कोड को विरोध कर रहे हैं. ईरानी महिलाओं के समर्थन में दुनियाभर की महिला कार्यकर्ता और स्त्रीवादी आंदोलन से जुड़े लोग ईरानी महिलाओं का समर्थन कर रहे हैं. वहीं, ईरानी सरकार विरोध-प्रदर्शनों को कुचलने के लिए बल प्रयोग कर रही है. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि सुरक्षा बलों की हिंसक कार्रवाई के बीच अबतक कम से कम 517 प्रदर्शनकारी मारे गए हैं और 19,200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. वहीं, शनिवार को सरकार ने प्रदर्शनों में एक अर्धसैनिक स्वयंसेवक की कथित रूप से हत्या करने के दोषी दो लोगों को फांसी भी दे दी है.
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