आज भी घोर नस्लवादी हैं ब्रिटेन के लोग; 1960 के दशक में भारतीयों पर फेंक देते थे पत्थर!
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आज भी घोर नस्लवादी हैं ब्रिटेन के लोग; 1960 के दशक में भारतीयों पर फेंक देते थे पत्थर!

ब्रिटेन में सबसे बड़ी और आला पुलिस व्यवस्था स्कॉटलैंड यार्ड में लगभग 30 साल तक सेवा देने वाले भारतीय मूल के सबसे वरिष्ठ अधिकारी नील बासु ने कहा है कि नस्लवाद को लेकर आज भी ब्रिटिश सरकार का रुख बहुत स्पष्ट नहीं है.  

नील बासु

लंदनः ब्रिटेन के सबसे बड़े पुलिस बल स्कॉटलैंड यार्ड में भारतीय मूल के सीनियर अफसर रहे नील बासु ने ब्रिटेन में फैले नस्लवाद के बारे में खुल कर बात की है, और बताया कि 1970 के दशक में एक स्कूली छात्र के तौर पर उन्हें किस तरह नस्लीय हमलों का सामना करना पड़ा था. मेट्रोपॉलिटन पुलिस के साथ 30 साल के अपने सफर के खत्म होने के बाद ’चैनल 4 न्यूज’ को दिए इंटरव्यू के दौरान रिटायर्ड सहायक आयुक्त बासु ने कहा कि पुलिस में नस्लवाद को खत्म करने के लिए गृह मंत्रालय की तरफ से कड़े कदम नहीं उठाए जाने से वह काफी फिक्रमंद हैं.

नस्लवाद के मुद्दे पर गृह मंत्रालय रहता है मौन  
कोलकाता के एक बंगाली डॉक्टर पिता और ब्रिटिश मां के बेटे बासु ब्रिटेन में पैदा हुए और वहीं पले-बढ़े हैं. उन्होंने देश के सबसे चर्चित कुछ आतंकवाद-रोधी अभियानों में मेट्रोपॉलिटन पुलिस के साथ काम किया है. बासु ने मंगलवार को ’चैनल 4 न्यूज’ को बताया, “मैं बहुत लंबे अरसे तक एकमात्र गैर श्वेत मुख्य अधिकारी रहा हूं. मुझे नहीं लगता कि गृह मंत्रालय इस मुद्दे की बिल्कुल भी परवाह करता है.” बासु से जब पूछा गया कि भारतीय मूल की सुएला ब्रेवरमेन ब्रिटेन की गृह मंत्री हैं, तो उन्होंने कहा कि उन्हें विभाग के अंदर चल रहीं कुछ चर्चाओं के बारे में पता चला है, जिनमें अवैध आप्रवासियों को रवांडा भेजने की प्लानिंग भी शामिल है. हालांकि उन्होंने कहा कि वह इस बारे में ज्यादा नहीं बता सकते है. उन्होंने कहा, “बहुत ताकतवर राजनेताओं की तरफ से ऐसी बातें सुनना अविश्वसनीय है. वे इस तरह की भाषा बोलते हैं, जो मेरे पिता 1968 में कभी सुना करते थे. यह बेहद खतरनाक है.” 

स्कूल में दूसरे नस्ल के बच्चे के पीट देते थे गोरे 
बासु ने अपने बचपन के दौरान ब्रिटेन में मिश्रित नस्ल के दंपत्तियों द्वारा झेले गए नस्लवाद की तरफ इशारा करते हुए यह बात कही है. बासु ने कहा, “1960 के दशक में सड़कों पर घूमते एक मिश्रित-नस्ल के जोड़े पर पत्थर फेंके गए. 1970 के दशक में मुझे पूरी तरह से गोरे लोगों के क्षेत्र में, पूरी तरह गोरे छात्रों के स्कूल में मिश्रित-नस्ल का बच्चा होने की वजह से पीटा गया था. मैं नस्ल के बारे में इसलिए बात करता हूं, क्योंकि मैं इसके बारे में जानता हूं, और मैं 54 साल का मिश्रित नस्ल का ब्रिटेन का नागरिक हूं.” 

राजकुमारी को भी लस्लवाद का होना पड़ा शिकार 
बासु सहायक आयुक्त के तौर पर ब्रिटिश शाही परिवार समेत कई हस्तियों की सुरक्षा के प्रभारी रह चुके हैं. उन्होंने खुलासा किया कि कैसे ‘डचेस ऑफ ससेक्स’ मेगन मार्कल ने ब्रिटेन के राजकुमार हैरी की पत्नी के तौर पर कई घृणित और बहुत वास्तविक खतरों का सामना किया है. यह पूछे जाने पर कि क्या मेगन को धुर-दक्षिणपंथियों से हकीकत में खतरे थे, तो उन्होंने कहा बिल्कुल, ऐसा था. हमारी कई टीमों ने इसकी जांच की थी. उन धमकियों के लिए लोगों पर मुकदमा भी चलाया गया था.” इसके बाद हैरी और मेगन शाही परिवार से दूर होकर अपने दो बच्चों के साथ अमेरिका जाकर रहने लगे. हैरी ने ब्रिटेन में अपने परिवार के लिए सुरक्षा चिंताओं के बारे में बात भी की थी.  

Zee Salaam

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