बाजी हारकर जीतने वाले को सुनक कहते हैं; होटल के वेटर से 10 डाउनिंग स्ट्रीट तक का सफर
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बाजी हारकर जीतने वाले को सुनक कहते हैं; होटल के वेटर से 10 डाउनिंग स्ट्रीट तक का सफर

Rishi Sunak becomes Indian origin first Prime Minister og Britain: ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने के लिए भारतीय मूल के ऋषि सुनक  (Rishi Sunak) ने टोरी प्रतियोगिता जीत ली है. उनके पुरखों के जिस देश को गोर अंग्रेजों ने अपना उपनिवेश बनाए रखा और 200 सालों तक वहां शासन किया, उसी देश की बागडोर अब भारतीय मिट्टी, खून-पसीने और संस्कारों से सींचा गया एक शख्स संभालेगा. 

ऋषि सुनक

लंदनः भारतीय मूल के ब्रिटेश नेता ऋषि सुनक (Rishi Sunak) सोमवार को भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री (British Prime Minister) बनकर इतिहास रचने की कगार पर पहुंच गए हैं. आधिकारिक घोषणा और शपथ ग्रहण करने भर की औपचारिकता भर अब रह गई है. यह ब्रिटिश राजनीती में एक चौंकाने वाली घटना है, क्योंकि सुनक महज सात साल पहले संसद सदस्य बने थे.
यह पहली बार होगा, जब कोई गैर-श्वेत ब्रिटेन में सरकार के प्रमुख का पद पर काबिज़ होगा. सुनक के पास अंतर्राष्ट्रीय मामलों को देखने के लिए भी एक प्रमुख पद होगा, क्योंकि ब्रिटेन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक स्थायी सदस्य होने के साथ-साथ जी7 का एक सदस्य है.

पिछले गुरुवार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज ट्रस (Liz Truss) के इस्तीफे के बाद से ही सुनक (Rishi Sunak) का प्रधानमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा था, क्योंकि सुनक (Rishi Sunak) को हराकर ही ट्रस ने कंजरवेटिव पार्टी में प्रधानमंत्री का पद हासिल किया था. लेकिन अपने पद ग्रहण करने के लगभग 45 दिन बाद ही ट्रस ने पार्टी में विरोध और अपने वादों को पूरा न करने की वजह से इस्तीफा दे दिया था. इस तरह ऋषि सुनक (Rishi Sunak ) ने हारी हुई एक बाजी दोबारा जीतकर बाजीगर बन गए हैं.

इस तरह सुनक के पक्ष में बनते गए हालात 
इस रेस में ऋषि सुनक के आने के बाद पार्टी के सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी रेस में आ गए थे. उनके अलावा पार्टी की एक अन्य सांसद पेनी मार्टंड भी मुकाबले में थी, लेकिन इन देनों को सांसदों का समर्थन हासिल नहीं था. कुछ सांसद बोरिस जॉनसन के समर्थन में जरूर थे, लेकिन उन्होंने खुद दोबारा इस पद पर लौटने में जल्दबाजी न करने की बात कहकर अपनी दोवेदारी से पीछे हट गए थे, वहीं पेनी ने भी रेस से खुद को बाहर कर लिया. इसका सीधा मतलब है कि जॉनसन और पेनी से ज्यादा सुनक के पक्ष में सांसद खड़े थे. यहां तक कि दो पाकिस्तानी मूल के सांसदों ने भी सुनक की हिमायत की थी. पिछले दो दिनों में जो सांसद जॉनसन या पेनी के नाम की वकालत कर रहे थे, उन्हें भी सुनक ने अपने पाले में खींच लिया था.  
 
कौन हैं ऋषि सुनक और कैसे पहुंचे ब्रिटेन ? 
भारतीय मूल के जनरल प्रैक्टिशनर पिता यशवीर और फार्मासिस्ट मां उषा के यूके में ऋषि सुनक का जन्म हुआ था. उनके पूर्वज अफ्रीका से ब्रिटेन आए थे. 42 वर्षीय ऋषि सुनक एक धर्मनिष्ठ हिंदू हैं. वह नियमित रूप से मंदिर जाते हैं. पूजा-पाठ करते हैं. उनका जन्म साउथेम्प्टन में हुआ था.

ऑक्सफोर्ड और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई 
सुनक ने ब्रिटेन के सबसे अच्छे स्कूलों में से एक, विनचेस्टर कॉलेज से पढ़ाई की है. उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय दर्शनशस्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र की शिक्षा हासिल की है. स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से उन्होंने एमबीए की पढ़ाई की है. 

इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी से किया प्रेम विवाह 
ऋषि सुनक इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति के दामाद हैं. उन्होंने नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से शादी की है. अक्षता मूर्ति से उनका प्रेम विवाह हुआ था. दोनों की मुलाकात कॉलेज में पढ़ाई के दौरान हुई थी. ऋषि सुनक की दो बेटियां हैं, अनुष्का और कृष्णा, जो भारतीय संस्कृति में रची बसी हैं. अनुष्का ने जून में वेस्टमिंस्टर एब्बे में क्वीन्स प्लेटिनम जुबली समारोह के लिए अपने सहपाठियों के साथ कुचिपुड़ी का प्रदर्शन किया था. 

फंड मैनेजर के तौर पर कर चुके हैं नौकरी 
सुनक ने स्कूल की छुट्टियों के दौरान साउथेम्प्टन में एक बांग्लादेशी- भारतीय रेस्तरां में वेटर के रूप में काम किया है. विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान उन्होंने लंदन में अपने मुख्यालय में कंजर्वेटिव पार्टी के साथ इंटर्नशिप की थी.  हेज फंड मैनेजर के रूप में काम करने का ऋषि सुनक का निजी क्षेत्र अनुभव उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की आभा देता है, जिस पर कठोर आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के लिए भरोसा किया जा सकता है, जिसमें जिल ट्रस बुरी तरह असफल साबित हुई हैं. 

जूनियर भूमिकाओं से की राजनीतिक करियर की शुरुआत 
सुनक का राजनीतिक करियर 2015 में यॉर्कशायर में रिचमंड की एक सुरक्षित टोरी सीट जीतने के साथ शुरू हुआ था. उनकी पहली सरकारी जिम्मेदारी स्थानीय सरकार के लिए संसदीय अवर सचिव की थी. प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने उन्हें जनवरी 2018 में इसके लिए नियुक्त किया था.  तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने उन्हें जुलाई 2019 में ट्रेजरी का मुख्य सचिव नियुक्त किया था. ट्रेजरी में जूनियर भूमिकाओं से उन्हें अचानक चांसलर ऑफ एक्सचेकर के पद पर पहुंचा दिया गया, जब उनके पूर्व बॉस, साजिद जाविद ने फरवरी 2020 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. 

क्यों है ब्रिटेनवासियों को उनपर इतना भरोसा ?
ब्रेग्जिट से अलग होने के बाद ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था लगातार लड़खड़ा रही है. सरकार जनता पर टैक्स का बोझ डाल रही है. ऐसे में ब्रिटेन की पब्लिक नाराज है, वह टैक्स में छूट चाहती है. लिज ट्रस अपने इस वादे में नाकाम रहने के बाद 45 दिनों में ही इस्तीफा दे चुकी हैं, लेकिन सुनक के पास ब्रिटेन का इस स्थिति से उबारने का पूरा प्लान है. वह इस मुसीबत से देश को निकालने का हुनर जानते हैं. उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान घोषणा किया था कि मैं इस संसद में करों को कम कर दूंगा, लेकिन मैं चुनाव जीतने के लिए करों में कटौती नहीं करता, मैं करों में कटौती के लिए चुनाव जीतता हूं.“

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