Pakistan By Election: 33 संसदीय सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे इमरान खान; आखिर क्या है मकसद
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Pakistan By Election: 33 संसदीय सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे इमरान खान; आखिर क्या है मकसद

पाकिस्तान के नेशनल असेम्बली से इमरान खान की पार्टी के 35 सांसदों के इस्तीफा देने के बाद उन सीटों पर उपचुनाव कराया जाना है, जबकि इमरान के सांसदों ने इस्तीफा मध्याविधि चुनाव कराने के लिए दिया था. अब 35 सीटों पर एक साथ चुनाव लड़कर इमरान खान एक तरह से उपचुनाव का बहिष्कार करने के मूड में हैं. 

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान

लाहौरः पाकिस्तान के अपदस्थ और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान देश में आगामी मार्च में 33 सीट पर होने वाले उपचुनाव में अपनी पार्टी के एकलौते उम्मीदवार होंगे. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नायब सद्र और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इतवार की शाम यहां एक प्रेस वार्ता में कहा कि यह फैसला पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में लिया गया है. कुरैशी ने कहा, ‘‘इमरान खान सभी 33 संसदीय सीटों पर पीटीआई के वाहिद उम्मीदवार होंगे. यह फैसला खान की सदारत में इतवार को जमान पार्क लाहौर में हुई पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में लिया गया है.’’

इमरान खान अकेले क्यों लड़ेंगे 33 सीटों पर चुनाव
इमरान खान प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद देश में समय से पहले चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं, जबकि शाहबाज शरीफ की सरकार इसके लिए तैयार नहीं है. उन्हें डर है कि मध्याविधि चुनाव होंगे तो इमरान खान फिर से दोबारा सत्ता में आ सकेते हैं और शाहबाज शरीफ की सरकार दोबारा नहीं बन सकती है. इसके बाद संसद में इमरान खान की पार्टी के सांसदों ने मध्याविधि चुनाव कराने के लिए अपना इस्तीफा स्पीकर को सौंप दिया था. सांसद के इस्तीफे के बाद सीट को 90 दिनों के अंदर भरना होता है. इस चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवारों की उतरने की संभावना कम है, क्योंकि वह इमरान खान के प्रभाव वाले इलाके हैं. इसलिए इसमें सभी सीटों पर इमरान खान चुनाव लड़कर सरकार को मध्याविधि चुनाव के लिए मजबूर करेंगे. 

16 मार्च को होने है चुनाव 
पाकिस्तान के इलेक्शन कमिशन (ईसीपी) ने शुक्रवार को ऐलान किया था कि नेशनल असेंबली की 33 सीट पर उपचुनाव 16 मार्च को होने हैं. पिछले साल अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के बाद सत्ता से बेदखल किए गए इमरान खान की पार्टी के सांसदों ने पाकिस्तान संसद के निचले सदन (नेशनल असेंबली) की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, सदन के सद्र (स्पीकर) राजा परवेज अशरफ ने सांसदों के इस्तीफे को कभी कबूल नहीं किया और कहा था कि उन्हें जाती तौर पर इसे बात की तस्दीक करने की जरूरत है कि क्या सांसद अपनी मर्जी से इस्तीफा दे रहे हैं या पार्टी प्रमुख की दबाव में आकर वह ऐसा कर रहे हैं. 

इमरान के पार्टी के 35 सांसदों ने दिया था इस्तीफा 
हालांकि, पिछले महीने स्पीकर ने पीटीआई के 35 सांसदों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए थे, जिसके बाद ईसीपी ने उन्हें गैर-अधिसूचित कर दिया था. इसके बाद, स्पीकर ने दूसरे सभी 35 के भी इस्तीफे स्वीकार कर लिए (और ईसीपी ने उन्हें गैर अधिसूचित किया) और शेष 43 पीटीआई सांसदों के इस्तीफे के बाद खान ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को विश्वास मत की परीक्षा में डालने के लिए नेशनल असेंबली में लौटने का ऐलान किया था.  ईसीपी ने अब तक 43 पीटीआई सांसदों को गैर- अधिसूचित नहीं किया है. अगर ईसीपी शेष 43 पीटीआई सांसदों को गैर-अधिसूचित करता है तो खान की पार्टी का नेशनल असेंबली से लगभग सफाया हो जाएगा. पिछले साल अक्टूबर में संसद के स्पीकर द्वारा 11 पीटीआई सांसदों के इस्तीफे स्वीकार करने के बाद खान ने आठ संसदीय सीट पर चुनाव लड़ा था जिनमें से छह पर जीत दर्ज की थी.

पीडीएम नहीं लेगी उपचुनाव में हिस्सा 
उधर, नौ दलों के सत्तारूढ़ गठबंधन पीडीएम ने कहा है कि वह उपचुनावों में हिस्सा नहीं ले सकता है. अगर पीडीएम अपने फैसले पर अड़ी रही तो पीटीआई बिना किसी दिक्कत के सभी सीटों पर कब्जा कर सकती है. 33 सीटों में से 12 पंजाब प्रांत में, आठ खैबर पख्तूनख्वा में, तीन इस्लामाबाद में, नौ सिंध में और एक बलूचिस्तान में होंगी. कुरैशी ने कहा, “पीटीआई राजनीतिक जमीन पर बनी रहेगी और अवाम की मदद मांगेगी. पिछले साल जुलाई में जब लोगों को मौका मिला, हमारे विरोधियों के सरकार में होने के बावजूद, उन्होंने हमारा जनादेश सुनिश्चित किया और इमरान खान को विजयी बनाया था. उन्होंने कहा कि देश 16 मार्च को एक स्पष्ट संदेश देगा. अवाम पूरी तरह से इमरान खान के नेतृत्व में भरोसा करती है और यह पीटीआई के साथ खड़ी है.

पीटीआई ने तीन राज्य सरकारों को भंग कर दिया था 
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में, इमरान खान की पीटीआई ने पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में प्रांतीय विधानसभाओं को भी भंग कर दिया था, जहां उनकी पार्टी सत्ता में थी, ताकि शहबाज शरीफ सरकार को तत्काल चुनाव कराने के लिए प्रेरित किया जा सके. पीटीआई पंजाब में चुनाव की तारीख नहीं देने के लिए कार्यवाहक मुख्यमंत्री और राज्यपाल के खिलाफ पहले ही अदालत का दरवाजा खटखटा चुकी है. विधान सभा के भंग होने के बाद कार्यवाहक व्यवस्था को संविधान के तहत 90 दिनों के अंदर चुनाव कराने होते हैं. कुरैशी ने कहा है कि वह प्रांत में चुनाव की तारीख नहीं देने के लिए राज्यपाल और कार्यवाहक मुख्यमंत्री के खिलाफ खैबर पख्तूनख्वा में हाईकोर्ट का रुख करेंगे.

अगस्त में खत्म हो रहा है नेशनल असेंबली का कार्यकाल
उल्लेखनीय है कि मौजूदा नेशनल असेंबली का कार्यकाल इस साल अगस्त में खत्म हो रहा है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार ने मध्यावधि चुनाव कराने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, “संविधान एक घंटे की देरी की इजाजत नहीं देता है, और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. चुनाव 90 दिनों के अंदर संविधान के मुताबिक, सुनिश्चित किए जाने चाहिए.“ पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन दोनों प्रांतों में चुनाव कराने से “डर“ रहा है. उन्होंने कहा, “नेशनल असेंबली उपचुनाव के जरिए राजनीतिक इंजीनियरिंग की जा रही है.“ मौजूदा सरकार की कड़ी आलोचना हो रही है, क्योंकि मुद्रास्फीति रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से भी पाकिस्तान को कोई राहत नहीं मिल रही है. 

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