G7 summit: जी7 शिखर सम्मेलन में इतवार को जर्मनी के दौ दिवसीय दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री ने सोमवार को बाइडन, मैक्रों और जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात की.
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इलमाउः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन स्थल पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात की. प्रधानमंत्री मोदी जी7 के शिखर सम्मेलन के लिए इतवार से दो दिवसीय यात्रा पर जर्मनी में हैं. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने दक्षिणी जर्मनी में शिखर सम्मेलन में उनका स्वागत किया. जर्मन प्रेसीडेंसी ने अर्जेंटीना, भारत, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका को इलमाउ, बावेरिया में जी7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया है.
Prime Ministers Narendra Modi and Canadian PM Justin Trudeau meet on the sidelines of the #G7Summit in Germany. They took stock of the India-Canada friendship and discussed ways to further strengthen it across various sectors: PMO pic.twitter.com/o0n9ekkzF8
— ANI (@ANI) June 27, 2022
भारत का संकल्प प्रदर्शन से स्पष्ट : प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जी-7 के अमीर मुल्क जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की कोशिशों की मदद करेंगे. उन्होंने भारत में उभर रही स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विशाल बाजार का फायदा उठाने के लिए उन देशों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित भी किया. जी-7 शिखर सम्मेलन में ‘बेहतर भविष्य में निवेशः जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य’ सत्र में अपने खिताब में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ पर रौशनी डाली और कहा कि देश ने वक्त से पहले नौ साल में गैर-जीवाश्म स्रोतों से 40 प्रतिशत ऊर्जा-क्षमता का लक्ष्य हासिल कर लिया है.
वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत की सिर्फ पांच फीसदी हिस्सेदारी
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल-मिश्रण का लक्ष्य वक्त से पांच महीने पहले हासिल किया गया है. भारत के पास दुनिया का पहला पूर्ण सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डा है. भारत की विशाल रेलवे प्रणाली इस दशक में ‘नेट जीरो’ उत्सर्जन वाली बन जाएगी.’’ मोदी ने कहा कि जी-7 के देश इस क्षेत्र में अनुसंधान, नवोन्मेष और विनिर्माण क्षेत्र में निवेश कर सकते हैं. मोदी ने कहा कि दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी भारत में रहती है लेकिन वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में देश का योगदान केवल पांच फीसदी है. इसके पीछे मुख्य कारण हमारी जीवनशैली है, जो प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है.
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