ऋषि सुनक के ब्रिटेन के PM रहने से ज्यादा उनकी हार से खुश हैं भारतवासी; 1 पर भारी 29 सांसद
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ऋषि सुनक के ब्रिटेन के PM रहने से ज्यादा उनकी हार से खुश हैं भारतवासी; 1 पर भारी 29 सांसद

Indian origin MPs in British Parliament: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ब्रिटिश संसदीय चुनाव में खुद तो अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन उनकी कंजरवेटिव पार्टी 14 साल बाद सत्ता से बेदखल हो गई है और लेबर पार्टी सत्ता में आ गयी है, लेबर पार्टी से पहली बार भारतीय मूल के 20  सांसद चुने गए हैं, जबकि कंजरवेटिव पार्टी से 7 सांसद चुने गए हैं. इसके अलावा कुछ सांसद मनोनीत किये गए हैं. 

ऋषि सुनक

Indian origin MPs in British Parliament: कोरोना काल में कोविड प्रोटोकोल को तोड़ने की वजह से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कुर्सी गंवाने के बाद भारतीय मूल के कंजरवेटिव पार्टी के नेता ऋषि सुनक को 25 अक्टूबर 2022 को जब संयोगवश ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का पद मिला तो भारत के लोग ख़ुशी से पागल हो उठे. ये स्वाभाविक भी था, क्यूंकि जब 200 सालों तक भारत पर शासन करने वाले देश में भारत मूल का कोई नागरिक वहां की सत्ता की शीर्ष पर पहुँच जाए, तो खुश होना लाजमी था. हालाँकि, सुनक खुद को विशुद्ध ब्रिटेनवासी मानते हैं, क्यूंकि न तो वो खुद और न उनके बाप भारत में पैदा हुए थे. उनके दादा भारतीय थे और रोजगार की तलाश में ब्रिटिशकालीन भारत में ही विदेश चले गए थे.  सुनक को इस वजह से भी भारतियों ने सर पर बैठाया, क्यूंकि वो भारत के मशहूर कारोबारी नारायणमूर्ति के दामाद भी हैं. 

लेकिन, ब्रिटिश संसद के लिए 4 जुलाई को हुए आम चुनाव में ऋषि सुनक की पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. 650 सदस्यीय ब्रिटिश संसद में लेबर पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए 14 साल बाद सत्ता में वापसी की है. प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को अपनी कई गलत नीतियों की वजह से हार का सामना करना पड़ा. लेकिन भारतवासियों को सुनक की हार से ज्यादा भारतीय मूल के 26 सांसदों के जीतने की ख़ुशी है. 

दरअसल, इस चुनाव में ब्रिटेन की संसद में रिकॉर्ड 26 भारतीय मूल के सांसद जीतकर आयें हैं, जो पांच साल पहले 15 की तुलना में लगभग दोगुने हैं. सुनक के अलावा, 25 अन्य भारतीय मूल के सांसद - जिनमें लेबर पार्टी के 20 और 5 कंजर्वेटिव शामिल हैं ने शानदार जीत दर्ज की है. 

गौरतलब है कि  650 सीटों वाली संसद में लेबर पार्टी को 412 सीटों पर जीत मिली है. वहीं, कंजरवेटिव पार्टी को सिर्फ 121 सीटें मिली है. ब्रिटेन में अकसरियत का आंकड़ा 326 है. इस चुनाव में हिंदुस्तानी मूल के के 29 MP को जीत मिली है.  लेबर पार्टी के 19 भारतीय सांसद चुनकर हाउस ऑफ कॉमंस जाएंगे. वहीं, कंजरवेटिव पार्टी से 7 भारतीय मूल के उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत हासिल की है.  लिबरल डेमोक्रेट्स से ब्रिटिश-भारतीय 1 सांसद और भारतीय मूल के 2 उम्मीदवार निर्दलीय ने चुनाव में बाजी मारी है. 

ब्रिटेन का चुनाव इस बार भारतीयों के लिए बेहद खास रहा है. इस बार 29 भारतीय मूल के सांसदों में 12 पहली बार सांसद बने हैं. 6 ख्वातीन समेत सिख समुदाय से रेकॉर्ड 12 उमीदवार सांसद बने हैं. सिख समुदाय के सभी मेंबर लेबर पार्टी से हैं. इनमे 9 मेंबर पहली बार चुने गए हैं. दो लगातार तीसरी बार और एक दूसरी बार MPबने हैं. ब्रिटिश सिख सांसद प्रीत कौर गिल ने कंजर्वेटिव पार्टी के उम्मीदवार अश्विर संघा को हराया है. 

गुजराती मूल की कंजर्वेटिव सांसद प्रीति पटेल ने विथम, एसेक्स से जीत हासिल की है.  ​​पटेल, 2010 से निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. 

पंजाबी हिंदू पृष्ठभूमि के एक प्रमुख नेता गगन मोहिंद्रा ने साउथ वेस्ट हर्टफोर्डशायर से अपनी जीत दर्ज की है. मोहिंद्रा 2004 में पैरिश काउंसलर के रूप में अपने शुरुआती चुनाव के बाद 2019 से कंजर्वेटिव सांसद हैं. लेबर पार्टी की नेता सीमा मल्होत्रा ​​ने 2011 से अपने फ़ेलथम और हेस्टन निर्वाचन क्षेत्र को चौथे कार्यकाल को बरकरार रखा है. गोवा मूल की लेबर पार्टी नेता वैलेरी वाज़ ने पांचवीं बार वाल्सल और ब्लॉक्सविच निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता है. नादिया व्हिटोम, जिन्होंने 23 वर्ष की उम्र में यूके की सबसे कम उम्र की सांसद के रूप में 2019 में इतिहास रचा था, नॉटिंघम ईस्ट से फिर से चुनी गईं हैं.

ब्रिटेन की पहली महिला सिख सांसद प्रीत कौर गिल ने बर्मिंघम में कंजर्वेटिव अश्विर संघा को हराया है. इस सीट पर उनका 2017 से कब्ज़ा था. लेबर पार्टी के तनमनजीत सिंह धेसी ने अपने स्लॉ निर्वाचन क्षेत्र को बरकरार रखा है. कंजर्वेटिव नेता शिवानी राजा ने लीसेस्टर ईस्ट निर्वाचन क्षेत्र जीता है. 44 वर्षीय कंजर्वेटिव सांसद सुएला ब्रेवरमैन, जो अपने बयानों के लिए विवादों में घिरी हुई थीं और पार्टी द्वारा बर्खास्त कर दी गई थीं, ने लगातार चौथी बार फेयरहैम और वाटरलूविल निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की है. इसके अलावा, ब्रिटेन की संसद के लिए चुने जाने वाले अन्य भारतीय मूल के लेबर सांसदों में नवेन्दु मिश्रा, जस अठवाल, बग्गी शंकर, सतवीर कौर, हरप्रीत उप्पल, वरिंदर जूस, गुरिंदर जोसन, कनिष्क नारायण, सोनिया कुमार, सुरीना ब्रेकनब्रिज, किरीथ एनट्विसल, जीवन संधेर, सोजन जोसेफ और मुरीना विल्सन शामिल हैं. इन सभी की जीत पर भारत में लोग जश्न मन रहे हैं, क्यूंकि इतनी संख्या में कभी भारतीय मूल के लोग ब्रिटेन के चुनाव नहीं जीते थे. 

उप्र से ताल्लुक रखने वाले नवेन्दु मिश्रा की जीत पर गोरखपुर में जश्न 
आम चुनाव में लेबर पार्टी के उम्मीदवार नवेन्दु मिश्रा की शानदार जीत के बाद उत्तर प्रदेश के कानपुर और गोरखपुर में जश्न का माहौल है. स्टॉकपोर्ट सीट से दूसरी बार सांसद बने मिश्रा (35) का जन्म 1989 में कानपुर में हुआ था और उनका ननिहाल गोरखपुर में है.  गोरखपुर, लखनऊ और कानपुर में कुछ लोगों ने मिठाइयां बांटकर और पटाखे फोड़ कर उनकी जीत का जश्न मनाया. मिश्रा चार साल की उम्र में ही ब्रिटेन चले गये थे. उनके पिता इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉरपोरेशन लिमिटेड में विपणन प्रबंधक थे और ब्रिटेन की एक कंपनी का कार्यभार संभालने के बाद वह ब्रिटेन में ही बस गए. 

 मुजफ्फरपुर में कनिष्क नारायण के ब्रिटेन की संसद में पहुंचने पर खुशी 
 ब्रिटेन में बिहार के मुजफ्फरपुर में धरती के लाल कनिष्क नारायण की सफलता पर खुशी का माहौल है. लेबर पार्टी के सांसद कनिष्क नारायण की जड़ें मुजफ्फरपुर से जुड़ी हुई हैं. नारायण ने ब्रिटिश सिविल सेवाओं में अपना करियर छोड़ने के बाद राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा था. कनिष्क जब ​​ 12 साल के थे, तब  उनके माता-पिता कार्डिफ चले गए थे. उनके पिता और मां चेतना सिन्हा दोनों ही ब्रिटेन में वकालत करते थे. उनके रिश्तेदारों ने कहा कि हमारे देश और ब्रिटेन में रहने वाले प्रवासियों के प्रति लेबर पार्टी के नरम रुख को देखते हुए हम ब्रिटेन और भारत के बीच बेहतर संबंधों की उम्मीद करते हैं. 

भारतीय मूल के पूर्व ब्रिटिश सांसद आलोक शर्मा को संसद के उच्च सदन का सदस्य मनोनीत किया गया 
आम चुनाव नहीं लड़ने वाले कंजरवेटिव पार्टी के भारतीय मूल के पूर्व सांसद आलोक शर्मा को संसद के उच्च सदन ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स’ का सदस्य मनोनीत किया गया है, जिसके बाद वह हाउस ऑफ लार्ड्स के सदस्य बन गये हैं.  ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने (दो दिन पहले) शर्मा समेत 7 व्यक्तियों को उच्च सदन के लिए मनोनीत किया था, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री थेरेसा मे भी शामिल हैं. आगरा में जन्मे शर्मा (56) को दो साल पहले सीओपी-26 जलवायु शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में उनके नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर उनके योगदान के लिए पिछले साल चार्ल्स तृतीय की नव वर्ष सम्मान सूची में सर आलोक की उपाधि दी गई थी. 
 

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