FIFA Trophy History: पहले कैसे थी फीफा की ट्रॉफी और क्या था नाम, 1983 में हो गई थी चोरी
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FIFA Trophy History: पहले कैसे थी फीफा की ट्रॉफी और क्या था नाम, 1983 में हो गई थी चोरी

FIFA World Cup 2022: आज फीफा वर्ल्डकप 2022 का फाइनल मुकाबला खेला जा रहा है. फ्रांस और अर्जेंटीना आमने सामने हैं. इस मौके पर हम आपको इस वर्ल्डकप की ट्रॉफी का इतिहास बताने जा रहा है. 

FIFA Trophy History: पहले कैसे थी फीफा की ट्रॉफी और क्या था नाम, 1983 में हो गई थी चोरी

FIFA World Cup 2022: आज यानी 18 दिसंबर को फीफा वर्ल्डकप 2022 का फाइनल मुकाबला खेला जाएगा. फ्रांस और अर्जेंटीना एक दूसरे के सामने होंगी. इस मौके पर हम आपको फीफा और इसकी ट्रॉफी से जुड़े इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं. वर्ल्ड कप में इस बार कुल 32 टीमों ने हिस्सा लिया. इसमें एशिया से 6 टीमें हैं, लेकिन इसमें भारत का नाम नहीं है. साल 1930 से साल 2018 यानि 88 साल के दौरान 21 बार वर्ल्ड कप मुक़ाबलों का आयोजन किया गया और 8 टीमों ने ट्राफ़ी को अपने नाम किया. जिसमें ब्राज़ील (Brazil) ने 5 बार, जर्मनी और इटली ने 4 बार, अर्जेंटीना और फ्रांस ने 2 बार, उरुग्वे  ने 2 बार, इंग्लैंड और स्पेन ने एक एक बार जीत दर्ज कराई. टूर्नामेंट को जीतने वाली टीम को वर्ल्ड कफ ट्राफ़ी का इनाम दिया जाता है. फीफा वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम को 4 करोड़ 20 लाख डॉलर दिए जाएंगे जबकि रनर अप टीम 3 करोड़ डॉलर की हक़दार होगी. साथ ही तीसरे पायदान पर आने वाली टीम को 2 करोड़ 70 लाख डॉलर दिए जाएंगे

1930 में हुआ था आग़ाज़
1930 में पहली बार फुटबॉल वर्ल्ड कप हुआ था. पहले इसे कूप डी मोन्डे भी कहा जाता था. इस वर्ल्ड कप में दी गई ट्रॉफी को विक्ट्री कहा गया. इसे फ्रांससी मूर्तिकार एबेल ला फ्लेउर ने तैयार किया था. इस ट्रॉफी में ग्रीक देवी नाइके उकेरी हुई थी. जिसके सिर पर एक बर्तन रूपी आकृति थी. इसे गोल्ड और सिल्वर से मिलाकर तैयार किया गया था. 1946 में ट्रॉफी का नाम विक्ट्री से बदलकर जूल्स रिमेट रखा गया. ये फीफा के फाउंडर जूल्स रिमेट के ऐज़ाज़ में रखा गया. 1970 में ब्राजील की टीम ने तीसरी बार ट्रॉफी अपने नाम की थी. इसके बाद कमीशन ने ट्रॉफी को बदलने की एप्लिकेश दी. नई ट्रॉफी के लिए तक़रीबन 53 लोगों ने अपने डिज़ाइन भेजे. इनमें से इटली के सिलवियो गैज़िनिगा का डिज़ाइन चुना गया.1983 में जो असली जूल्स रिमेट ट्रॉफी ब्राज़ील ने जीतकर अपने नाम की थी, वो चोरी हो गई थी. जब उसकी तलाश की गई तो उसका सिर्फ बेस बरामद हो सका. ऐसा कहा जाता है कि बाक़ी ट्रॉफी को पिघलाकर उसे बेच दिया गया. जबकि दूसरी थ्योरी ऐसी है कि असली ट्रॉफी सोने की नहीं बल्कि चांदी की बनाई गई थी, उस पर सोने की परत चढ़ाई गई थी.

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ट्राफ़ी की लागत और बनाई
यह ट्राफ़ी 18 कैरट सोने की लागत से तैयार की जाती है, जिसका वज़न 6 किलोग्राम होता है और उसका तक़रीबन 75 फीसद हिस्सा सोने का बना होता है.इस ट्राफ़ी में दो इंसान दुनिया को उठाए हुए नज़र आते हैं. जब इस ट्राफ़ी को तैयार किया गया था तो उसकी लागत 50 हज़ार डॉलर के क़रीब थी, लेकिन मौजूदा वक़्त में इसकी क़ीमत 2 करोड़ डॉलर से भी ज़्यादा है. हक़ीक़त यह है कि खेल जगत में दी जाने वाली तमाम ट्राफ़ीज़ में यह ट्राफ़ी सबसे महंगी है और कोई भी इस ट्राफ़ी का मुक़ाबला नहीं कर सकता. पहले टूर्नामेंट जीतने वाली टीम असली ट्ऱॉफ़ी को अपने साथ ले जाती थी लेकिन अब असली ट्रॉफ़ी को म्यूज़ियम में रखा जाता है और ख़ास मौक़ों पर ही बाहर निकाला जाता है. साथ ही ट्राफ़ी को किसी को भी छूने की इजाज़त नहीं है.

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