Atrocities on Pakistani Ahmadiyya Muslims continue under law enforcement protection: पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमान वहां का अल्पसंख्यक समुदाय है, जिसे बहुसंख्यक सुन्नी मुसलमान उसे मुसलमान ही नहीं मानता है. इस तरह वह उनपर अत्याचार करते हैं, और राज्य की मीशनरी भी उसमें कारगर तौर पर हस्तक्षेप नहीं कर पाती है.
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कराचीः पाकिस्तान का अहमदिया मुसलमान ( Ahmadiyya Muslims) किसी मंदिर में टंगे घंटे की तरह है, जिसे जब जो चाहे आकर बजा देता है. भारत के इस पड़ोसी मुल्क में अहमदिया मुसलमानों की हालत ऐसी है कि इन्हें न सिर्फ बहुसंख्यक मुसलमानों के जुल्म और सितम का शिकार होना पड़ता है बल्कि इलाके के गुंडे-बदमाश और असाजिक तत्वों के साथ पुलिस भी उनपर अत्याचार करती है. अहमदिया मुसलमानों ( Ahmadiyya Muslims) को सुरक्षा देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी उनपर हमले की घटनाएं कम नहीं हो रही है.
इस तरह की ताजा घटना 18 जनवरी को हुई थी, जब तीन बदमाशों ने कराची के मार्टिन रोड पर एक अहमदिया समुदाय की मस्जिद में प्रवेश किया और उसकी दो मीनारों को तोड़ दिया. मिनार के ऊपरी हिस्से को चकनाचूर कर दिया गया है. जब पुलिस वहां पहुंची तो हमलावर सीढ़ी और हथौड़े को छोड़कर भाग गए. पिछले महीने अहमदिया मुस्लिम मस्जिद ( Ahmadiyya Muslims Mosque) पर यह तीसरा हमला था. इस हमले का वीडियो भी सोशल मीडिया पर दुनियाभर में वायरल हो रहा है. दरअसल, पाकिस्तान सरकार की नजर में अहमदिया मुसलमान ( Ahmadiyya Muslims) गैर-मुस्लिम और विधर्मी हैं.
मस्जिदों को पहुंचाया जा रहा है नुकसान
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने पुलिस ने बागबनपुरा, गुजरांवाला में अहमदिया मस्जिद में मीनारों को नष्ट कर दिया और कुछ दिनों पहले, मोती बाजार वजीराबाद में 108 साल पुरानी अहमदिया मस्जिद को पुलिस ने अपवित्र करने की कोशिश की. धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर एक ऑनलाइन पत्रिका बिटर विंटर द्वारा की गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि तहसील गोजरा, जिला टोबा टेक सिंह में पुलिस अधिकारियों ने अहमदिया मुसलमानों को अपनी ही अहमदिया मस्जिद के मीनारों को गिराने के लिए मजबूर किया था.“
उनके सांस्कृतिक धरोहरों को कर रहे हैं नष्ट
2 फरवरी को फिर से, असामाजिक तत्वों ने सदर कराची में 1950 में बने अहमदिया हॉल पर हमला किया और इसकी मीनारों को गिरा दिया. बिटर विंटर की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित एक वीडियो में दिखाया गया है कि लगभग 5-10 व्यक्ति दीवार पर चढ़ गए और संरचना को हथौड़े से मारकर तोड़ रहा है. ऐसी ही एक और घटना 3 फरवरी को देर रात सिंध प्रांत में हुई. दो अहमदिया मस्जिदों पर हमला किया गया.. उमरकोट जिले के एक गाँव नूर नगर में, अज्ञात हमलावरों ने मकामी अहमदिया मस्जिद की चारदीवारी पर चढ़कर पेट्रोल डाला और वहां आग लगा दी. इससे पहले भी मीरपुर खास जिले में, अहमदिया मस्जिद की मीनारों को हमलावरों के एक समूह ने पूरी इमारत में आग लगाने से पहले तबाह कर दिया था. इसी तरह 4 फरवरी को राजधानी मीरपुर खास सिटी के सैटेलाइट टाउन की मस्जिद के पास हमलावरों के एक समूह ने फायरिंग कर दी. उस वक्त अहमदिया समुदाय के कुछ लोग मस्जिद के अंदर इबादत कर रहे थे.
समुदाय के लोगों पर हो रहे हैं हमले
यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों को निशाना बनाकर उनकी हत्याएं की जा रही है सा फिर उनकी मस्जिदों को बर्बाद किया जा रहा हो. इससे पहले पंजाब प्रांत के चिनाबनगर शहर में अहमदिया समुदाय के 60 वर्षीय एक व्यक्ति की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी. नसीर अहमद और उनके भाई मुनीर सुबह खरीदारी के लिए जा रहे थे, तभी चिनाबनगर बस स्टैंड पर खड़े एक शख्स ने उन्हें रोका और उनसे उनके धर्म के बारे में सवाल पूछा और फिर अपने बैग से खंजर निकलकर अहमद पर हमला कर दिया. हमले के बाद अहमद की मौके पर ही मौत हो गई. पाकिस्तान में हो रहे इस तरह के भेदभाव के खिलाफ कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने आवाज उठाई है, लेकिन सरकार जबतक नागरिकों को अहमदिया मुसलमानों से नफरत करने और ऐसा माहौल पैदा करने से नहीं रोकेगी, कुछ खास हल नहीं निकलने वाला है.
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