ICC अंपायर असद रऊफ की मौत: आखिरी दिनों में लंडे बाजार में सेकेंड हेंड जूते चप्पल क्यों बेचने पड़े
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ICC अंपायर असद रऊफ की मौत: आखिरी दिनों में लंडे बाजार में सेकेंड हेंड जूते चप्पल क्यों बेचने पड़े

Asad Rauf Umpire: पाकिस्तानी के पूर्व ICC अंपायर असद रऊफ अब इस दुनिया में नहीं रहे. बताया जा रहा है कि 66 वर्ष की उम्र में उनका कार्डिएक अरेस्ट के चलते निधन हो गया है. इस मौके पर हम आपको उनके आखिरी दिनों के बारे में बताएंगे. क्योंकि वो पाकिस्तान के लंडे बाजार में सेकेंड हेंड जूते बेच रहे थे. 

ICC अंपायर असद रऊफ की मौत: आखिरी दिनों में लंडे बाजार में सेकेंड हेंड जूते चप्पल क्यों बेचने पड़े

Pakistani Umpire Asad Rauf: पाकिस्तानी मूल के पूर्व ICC अंपायर असद रऊफ आज इस दुनिया में नहीं रहे. उनकी जिंदगी को लेकर सोशल मीडिया पर कई बार तरह-तरह के दावे किए गए हैं. इस मौके पर आज हम आपको उनकी जिंदगी के आखिरी दिनों की कहानी बताने जा रहे हैं. दावा किया गया है कि उनपर बैन लगने के बाद वो सेकेंड हेंड जूते-चप्पल बेचने लगे थे. वो अपनी जिंदगी में बहुत परेशान हो गए थे. इन दावों में कितनी जान है और वो क्यों जूते-चप्पल बेचते थे. हम आपको बताएंगे.

पिछले दिनों असद रऊफ सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे थे. वो पाकिस्तान के "लंडा बाजार" में दुकान लगाकर जूते-चप्पल बेच रहे हैं. उनको लेकर कहा जा रहा है कि वो गरीबी से तंग आकर इस बाजार में दुकान खोलने पर मजबूर हैं. क्या हकीकत में ऐसा ही है कि उन्होंने मजबूरी के तहत यह दुकान खोली या फिर कोई और कारण है?

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असद रऊफ ने जियो न्यूज़ का साथ बातचीत करते हुए कहा था कि आज कल कुछ इस तरह से मेरी कहानी बयान की जा रही जैसे कि मैं बुरे हालात में हूं और गरीबी की वजह से लंडे बाजार में काम करता हूं. उन्होंने कहा कि जो लोग मेरे बारे में गलत बातें फैला रहे हैं, उन्होंने मैं बता देना चाहता हूं कि मैं यह काम उस वक्त भी करता था जब मैं अंपायर था. अंपायरिंग हवाई रोजी है, आज है कल नहीं तो ऐसा में मैं सेकेंड हैंड चीज़ों का काम साथ करता था. 

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क्या बेचते हैं असद रऊफ?

असद रऊफ पाकिस्तान के मशहूर बाजार "लंडे बाजार" में सेकेंड हैंड चीजें बेचते हैं. कहा जाता है कि यह चोर बाजार है. रऊफ इस बाजार में जूते, कपड़े और बेग्ज बेचते हैं. इसके अलावा वो क्रॉकरी का काम भी करते हैं और कुछ ऐसी क्रॉकरी बेचते हैं जो शाही खानदानों में कभी इस्तेमाल हुआ करती थीं. रऊफ पहले सामान खरीदते हैं और फिर उन पर और मेहनत करते हैं. ताकि बेचते वक्त ज्यादा कीमत मिल सके. 

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"मुझे मेरे काम पर फख्र है"

इसके अलावा वो यह भी कहते हैं कि मुझे सेकेंड हैंड चीजों का कारोबार करने में कोई झिझक महसूस नहीं होती मुझे फख्र है कि मैं यह कारोबार कर रहा हूं जो मेरे खानदान में किसी ने नहीं किया और ना इसके बारे में किसी ने सोचा. मैं अपने कारोबार से बहुत खुश हूं. 

अंपायरिंग को क्यों कहा अलविदा?

जियो न्यूज के साथ बातचीत के साथ करते हुए उन्होंने बताया कि 57 बरस की उम्र मैंने अंपायरिंग की. फिर मुझे इससे कुछ हालात की वजह से अलग होना पड़ा. उन्होंने बताया कि मेरा बेटा बीमार है. फिटनेस की दिक्कत भी थी. मेरे सुनने की क्षमता भी कम हो रही थी.

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