Children's Day: पंडित जवाहर लाल नेहरू की शादी की कार्ड को लेकर सोशल मीडिया पर विवाद छिड़ा रहता है. कुछ लोग कार्ड उर्दू, फारसी में होने की वजह देश के पहले प्रधानमंत्री पर तंज कसते हैं. इस खबर में हम आपको इंटरनेट पर मौजूद जानकारियों के आधार कार्ड की सच्चाई बताई जा रहे हैं. साथ सभी तस्वीरें इंटरनेट से ली गई हैं.
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Childrens's Day: आज 14 नवंबर है यानी भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन. इसी दिन को पूरा हिंदुस्तान चिल्ड्रंस डे (Children's Day) के तौर पर मनाता है और लोग उन्हे अलग अलग अंदाज़ से याद कर रहे हैं. इस मौके पर हम को उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ खास किस्से बताने जा रहे हैं. पंडित जवाहर लाल नेहरू की ज़िंदगी में यूं तो कई चीज़ें रही जिन पर चर्चा की जाती है लेकिन एक चीज़ जिसका ज़िक्र सोशल मीडिया पर खूब किया जाता है वो है उनकी शादी का कार्ड. कहा जाता है की जवाहर लाल नेहरू की शादी का कार्ड उर्दू ज़बान में छपा था. जिस पर न किसी भगवान की तस्वीर थी, न कोई मंत्र या श्लोक लिखा था. सिर्फ इस वजह से कुछ लोग उनके पंडित होने पर तंज कसते हैं. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कितनी सच्चाई है.
दरअसल सोशल मीडिया वायरल मैसेज में दावा है कि शादी का कार्ड उर्दू में छापा गया है और उर्दू में छपा ये कार्ड खुद जवाहर लाल नेहरू की शादी का है. इस तस्वीर तस्वीर में बाईं तरफ जवाहर लाल नेहरू और उनकी पत्नी कमला नेहरु की तस्वीर होने का दावा किया जाता है तो दाईं तरफ लिखी इबारत के बारे में दावा है कि वो उर्दू में छपा शादी का दावतनामा है. तस्वीर में नीचे लिखा है, "नेहरू की शादी का कार्ड, न गणेश, न विष्णु, न ओम और सबकुछ उर्दू में" कहने को नेहरू पंडित थे." इस कार्ड को लोग फेसबुक से लेकर वॉट्सएप तक शेयर कर रहे हैं.
जैसे-जैसे चर्चा बढ़ी कई लोगों के रद्देअमल सामने आए और कार्ड में क्या लिखा है इसका जवाब उर्दू-फारसी के शायर और जानकार इतरत नकवी ने दिया, उन्होंने बताया, "कार्ड में नेहरू जी की बारात का न्यौता छपा है. बारातियों को 7 फरवरी साल 1916 को शाम 4 बजे बारात में शामिल होने की दावत दी गई थी." कार्ड की भाषा उर्दू नहीं बल्कि फारसी है लेकिन हां लिपि अरबी है जिसमें उर्दू भी लिखी जाती है. सोशल मीडिया पर वायरल अधूरा कार्ड जवाहर लाल नेहरू की शादी से ही जुड़ा हुआ ही है.
दरअसल फारसी का चलन देश के शहरी रईसों अदालत और सरकारी काम काज में ज्यादा था. लिहाजा बड़े लोगों के दावतनामे फारसी ज़बान में छपते थे. फारसी का इस्तेमाल फख्र की वजह होता था. हिन्दी का चलन आज के जितना पहले नहीं था. इसीलिए ये कार्ड फारसी में छपा था. हालांकि पंडित नेहरू की शादी का कार्ड अन्य भाषाओं में छपा. जिसमें इंग्लिश भी शामिल थी. कहा जाता है कि पंडित नेहरू की शादी का एक नहीं कई कार्ड अलग-अलग कार्ड छपे थे.