Story of hazrat hussain: खैमों में इबादतों का माहौल था, कुरआन की तालिमात पर अमल करते हुए किरदार थे. उधर नहर की नाके बंदी की जा रही थी. हुसैन इब्ने अली के खैमे से नहर पर जाने वाले रास्तों पर पहरा बढ़ाया जा रहा था. फौज की तादाद बढ़ रही थी. चारों तरफ सिपाही ही सिपाही नजर आ रहे थे. कुफे से इब्नेजात भी अपने खास दस्ते के साथ आ चुका था. इब्नेजात नहर के किनारे टहलकर हालात का जायजा ले रहा था. अपने सिपाहियों से पुछा नहर पर तो अपना कब्जा है ना, तो जवाब मिला जी हां हमारे आने से पहले हुसैन इब्ने अली का खैमा यहीं पर था. बहुत मुश्किल से खैमा हटाया है.