Indian Navy Second aircraft IAC Vikrant: समुद्र में जहाज़ के ऊपर जब दुश्मन का लड़ाकू विमान मंडराने लगे, तो उस वक़्त सबसे ज़रूरी हो जाता है एयर डिफेंस. हवाई सुरक्षा मजबूत होगी, तो समुद्र में जहाज़ और युद्धपोत अपने मिशन को बिना किसी टेंशन के अंजाम दे सकेंगे. ज़मीन पर एयर डिफेंस का जिम्मा एयरफोर्स देखती है, लेकिन पानी में यह जिम्मेदारी हो जाती है नेवी की. तो आपको बता दें भारतीय नेवी को 2 सितंबर को अपना दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर मिल जाएगा. यह एयरक्राफ्ट कैरियर स्वदेशी है और पहली बार भारत में इतने बड़े युद्धपोत का निर्माण हुआ है. दो सितंबर को भारत अपने सबसे बड़े जंगी जहाज़ विक्रांत को अपने बेड़े में शामिल करेगा. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे. संस्कृत में विक्रांत का मतलब होता है, बहादुर. इसे बनाने में 13 साल का समय लगा है.इस प्रक्रिया को कमीशनिंग कहते हैं, इस के बाद इस जहाज़ के नाम के आगे आईएनएस जुड़ जाएगा. यानी 2 सितंबर को भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. एयरक्राफ्ट कैरियर यानी विमानवाहक पोत समंदर में चलते-फिरते किले की तरह है. यह ऐसा लड़ाकू जहाज होता है जो समंदर में एयरबेस की तरह काम करता है. इसमें विमानों के उड़ान भरने के लिए, उतरने के लिए लंबा-चौड़ा डेक होता है जो असल रनवे से कमतर नहीं होता. यही नहीं इसमें एयरक्राफ्ट को रखने, हथियारों से लैस करने, तैनात करने और एयरक्राफ्ट को आराम देने की तमाम सुविधाएं रहती हैं. भारत की तटीय सीमा लंबी-चौड़ी है जो अरब सागर से लेकर हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी में विस्तार लिए हुए है. ऐसे में भारत के लिए इस गहरे जलक्षेत्र वाले इलाके में निगरानी रखने के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर जरूरी था. भारत के पास पहले से एक एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य है, मगर विशाल नौसैनिक क्षेत्र को देखते हुए एक विमानवाहक पोत नाकाफी था. ऐसे में आईएनएस विक्रांत के आने से कई और समुद्री क्षेत्रों में भी भारत की निगरानी और पहुंच मजबूत होगी. इसके अलावा पड़ोस में बढ़ती चुनौतियां भी दूसरे विमानवाहक पोत की जरूरत को उजागर कर रही थीं.