Father of Surgery: अबुल क़ासिम अल ज़हरवी पहले सर्जन थे जिन्होंने सबसे पहले ऑपरेशन किया, जी हां दुनिया का सबसे पहला ऑपरेशन मुसलमान ने ही किया था. इन्होंने एक ऑंख वाले आदमी के मोतियाबिंद का क्रिटिकल ऑपरेशन किया था. अल ज़हरवी ने ज़ख़्मों के इलाज, पत्थरी को निकालने, दांतों की सर्जरी, टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने और किसी भी ज़ख़्म पर पट्टी बांधने के तरीक़ों का इजाद किया है. ज़ख़्म से बहते हुए ख़ून को रोकने, ज़ख़्मों पर टांके लगाने का तरीक़ा भी सबसे पहले ढूंढा था, ऑपरेशन से पहले मरीज़ों के जिस्म को सुन करने की दवा भी ढूंढी जिस तरह से आजकल के डॉक्टर या सर्जन इनिसथीसिया देते हैं. अबुल क़ासिम अल ज़हरवी ने 200 से ज़्यादा सर्जिकल इक्विपमेंट इजाद किया जिसे आज भी इसतेमाल किया जाता है. अबुल क़ासिम अल ज़हरवी को फ़ादर ऑफ़ मार्डन सर्जरी (Father of surgery) भी कहा जाता है. शोबए तिब्बत यानी मेडिकल साइंस से ताल्लुक़ रखने वाले लोग इस नाम से वाक़िफ़ हैं. ज़हरवी की लिखी हुए किताब, किताबुत तसरीफ़ का कई ज़बानों में तर्जुमा किया गया, यूरोप में इस किताब का बड़ा असर रहा, और सदियों तक यूरोप की युनिवर्सियों के मेडिकल साइंस के शोबे में किसी न किसी तौर पर सब्जेक्ट में पढ़ाई जाती रहीं, 936 में पैदा हुए अबू कासिम बिन ख़ल्फ़ बिन अल अब्बास अल जहरवी की इस किताब को मेडिकल साइंस में इनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है.18वीं सदी के आख़िर तक यूरोप में मार्डन सर्जरी की वाहिद रिफ़रेंस यही किताब थी. स्पेन के मशहूर हुक्मरां अब्दुर रहमान अल नासिर ने अपनी दारुल हुकूमत क़ुरतुबा में एक आलीशान महल बनवाया था, जिसका नाम अल ज़हरा रखा था. इसी महल के इरगिर्द लोगों ने अपने घर बना लिए और एक बस्ती बसा ली, यहीं के रहने वाले थे अबुल क़ासिम इसी लिए इस जगह के नाम से उनके नाम में ज़हरवी लक़ब शामिल हुआ उस दौर में क़ुरतबा की आबादी 10 लाख थी जिसके लिए 50 अस्पताल थे. कुरतबा की शाही लाइब्रेरी में 2 लाख से ज़्यादा किताबे थीं. यही वो माहौल था जिसमें अबुल क़ासिम ज़हरवी ने अपना बचपन गुज़ारा और इस माहौल से फ़ायादा उठा कर उन्होंने दुनिया को मार्डन सर्जरी का तसव्वुर पेश किया..