असम में उग्रवाद का होगा अंत ? सरकार ने किया उल्फा के साथ समझौता
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असम में उग्रवाद का होगा अंत ? सरकार ने किया उल्फा के साथ समझौता

सरकार ने उल्फा के साथ शांति समझौता कर लिया है. गृह मंत्री शाह ने  इस दिन को असम के लिए ऐतिहासिक दिन बताया है

असम में उग्रवाद का होगा अंत ? सरकार ने किया उल्फा के साथ समझौता

यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम यानी उल्फा के वार्ता समर्थक गुट ने हिंसा छोड़ने, संगठन को भंग करने और सभी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमति दे दी है. उल्फा ने अपनी सहमति जताते हुए हुए  केंद्र और असम सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया है.  इस बीच अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की मौजूदगी में इस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया है.

क्या कहा अमित शाह ने 
इस सहमति पर हस्ताक्षर के बाद अमित शाह ने कहा कि यह असम के लोगों के लिए बहुत बड़ा दिन है.  हिंसा का ज़िक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि असम एक लंबे समय तक उल्फा की हिंसा से त्रस्त रहा, जिसकी वजह से 1979 से अब तक 10 हजार से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. हिंसा की बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि असम का सबसे पुराना उग्रवादी संगठन उल्फा हिंसा छोड़ने, संगठन को भंग करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमत हुआ है. अमित शाह का कहना है कि समझौते के तहत असम को एक बड़ा विकास पैकेज दिया जाएगा. इस समझौते पर शाह ने कहा कि इस समझौते के हर सेक्शन को पूरी तरह से लागू किया जाएगा. अमित शाह के मुताबिक अभी तक असम में हिंसा की घटनाओं में 87 प्रतिशत, मौत के मामलों में 90 प्रतिशत और अपहरण की घटनाओं में 84 प्रतिशत की कमी आई है. 

मुख्यमंत्री शर्मा ने बताया ऐतिहासिक समझौता
असम के मुख्यमंत्री हिमंत शर्मा ने समझौते को ‘‘ऐतिहासिक’’ बताया और समझौते का सारा श्रेय देश के प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को दिया . हिमंत शर्मा ने कहा कि यह समझौता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री शाह के मार्गदर्शन और नेतृत्व के कारण संभव हो सका है. 

अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व में हुआ समझौता
अधिकारियों के हवाले से इस समझौते पर हस्ताक्षर,अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले उल्फा गुट और सरकार के बीच 12 साल तक बिना शर्त हुई वार्ता के बाद हुई है और इस शांति समझौते से असम में दशकों पुराने उग्रवाद के खत्म होने की पूरी उम्मीद है. अधिकारियों  के बताया कि परेश बरुआ की अध्यक्षता वाला उल्फा का कट्टरपंथी गुट  इस समझौते का हिस्सा नहीं है. ऐसा माना जाता है कि परेश बरुआ चीन-म्यांमा सीमा के निकट एक स्थान पर रहता है. 

क्या है उल्फा 
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम यानी उल्फा का गठन 1979 में ‘‘संप्रभु असम’’ की मांग को लेकर किया गया था.  तब से ही ये संगठन विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहा है जिसके कारण केंद्र सरकार ने 1990 में इसे एक प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया था.  इससे पहले राजखोवा गुट तीन सितंबर, 2011 को सरकार के साथ शांति वार्ता में उस समय शामिल हुआ था, जब इस गुट, केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच इसकी गतिविधियों को रोकने को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.

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