दिसंबर आने के बावजूद इन दिनों सर्दी नहीं लग रही है. इस पर मौसम विज्ञानिकों ने हैरानी जताई है. इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि दिसंबर में भी गर्मी क्यों नहीं लग रही है.
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दिसंबर ने इन बीते तीन दिनों में मौसम का जैसा रंग दिखाया है ये देख कर लगता तो यही है कि अगर किसी को बदलने की संज्ञा देनी है तो दिसंबर के इन दिनों से अच्छा उदाहरण नहीं हो सकता. पहले शुक्रवार को दिल्ली एनसीआर में हल्की बूंदाबांदी होती है फिर शनिवार को मौसम ठीक ठीक रहता है और ऐसा एहसास दिलाता है जैसे हां, अब शायद दिसंबर की सर्दी आ गई, इसके बाद रविवार को तेज़ धूप निकल आती है, जिसके बाद सोमवार को पूरे दिन रुक-रुक कर बूंदाबांदी जारी रहती है, इसके बाद मंगलवार को फिर तेज धूप के दर्शन हमें होते हैं. अब मौसम का ये रवैया आम आदमी की समझ से तो परे ही है, लेकिन मौसम वैज्ञानिक इस पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. वैज्ञानिक मौसम के बदलते पैटर्न को समझने की कोशिश भी कर रहें हैं. दिसंबर के इस बदलते रवैये से सबसे ज्यादा फर्क पड़ रहा है किसानों को. दरअसल दिसंबर का ये समय बोआई का होता है लेकिन बदलते पैटर्न से बोआई प्रभावित हो रही है. बूंदाबांदी के कारण पलेवा वाले खेतों में बोआई के लिए मिट्टी नहीं तैयार हो पा रही है.
तीन दिन से तापमान में भारी उलटफेर
तीन दिन से तापमान में भारी उलटफेर देखने को मिला है. शनिवार को अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस रहा जोकि सामान्य तापमान से डेढ़ डिग्री ज्यादा था. वहीं शनिवार का न्यूनतम तापमान 14 डिग्री था जोकि सामान्य से 4.1 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था. इसके बाद आते हैं रविवार पर, रविवार को अधिकतम तापमान 30.5 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया जोकि सामान्य से 4.5 डिग्री ज्यादा था. रविवार को ही न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस रहा जोकि सामान्य से 3.5 डिग्री ज्यादा रहा. इसके बाद सोमवार को तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया और यह सामान्य से .5 डिग्री सेल्सियस कम था वहीं सोमवार का न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस था और यह सामान्य से 4.5 डिग्री ज्यादा रहा.
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है. प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, इसके अलावा मौसम पर अलनीनों का प्रभाव भी पड़ रहा है. अलनीनो के कारण जहां बारिश कम होनी है, वहां ज्यादा हो रही है. पहाड़ों पर हवा का दबाव बना हुआ है, और मौसम चेंज हो रहा है. मौसम वैज्ञानिकों की राय में मौसम में गर्मी बढ़ी तो पहाड़ से हवाएं मैदान की ओर आ गईं जिससे ज्यादा बारिश होने की संभावना नहीं है, और दिसंबर का मौसम अब पहले जैसा नहीं रह गया है. इस बदलते पैटर्न के प्रभाव दूर तक पड़ेंगे.
अल-नीनो ने बढ़ाई है गर्मी
अल- नीनो का असर भारत पर भी देखने को मिलता है. इस बार भी प्रशांत महासागर में भूमध्यरेखा के आसपास तैयार हुए मजबूत अल-नीनो का असर भारत में दिख रहा है. सिर्फ भारत ही नहीं इस मजबूत अल नीनो का असर पूरी दुनिया के मौसम में देखने को मिल रहा है. इस अल-नीनो के कारण मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर के ज्यादातर हिस्सों में सरफेस टेंपरेचर औसत से ऊपर चल रहा है. इससे पूरी संभावना है कि सर्दियों में इस बार अल-नीनो का असर देखने को मिलेगा. यानी तापमान बढ़ा रहेगा.
COP28 में गर्म मौसम पर क्या कहा WMO ने
विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानि WMO ने दुबई में चल रहे COP28 Climate Summit में एक रिपोर्ट सबमिट की. इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 इंसानों के इतिहास में अब तक का सबसे गर्म साल रहा है. यही कारण है कि पूरी दुनिया में अलग-अलग जगहों पर प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं. अंटार्कटिका की समुद्री बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिसके कारण समुद्री जलस्तर और उसका तापमान भी तेजी से बढ़ता जा रहा है. WMO ने इस रिपोर्ट में साफ कहा है कि 2023 ऑन रिकॉर्ड सबसे गर्म साल रहा है. इसके तापमान में पिछले 170 सालों में 1.40 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी है. इससे पहले 2020 और 2016 को सबसे गर्म कहा गया था.