USCIRF reports: यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी की है जिसमें अमेरिकी सरकार से भारत को CPC की लिस्ट में रखने की सिफारिश की गई है.
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Relgious Freedom in India:
एमनेस्टी इंटरनेशनल के बाद अब यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) ने भी भारत में मानव अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल उठाए हैं. USCIRF की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार द्वारा लाए गए कई नए कानूनों के बाद भारत में धार्मिक स्वतंत्रता खतरें में है. अपनी 2023 की रिपोर्ट में USCIRF ने आरोप लगाया है कि भारत सरकार ने "धार्मिक रूप से भेदभावपूर्ण नीतियां" लागू की हैं जो "मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों और आदिवासियों पर असर डालती हैं."
"भारत को रखा जाए CPC की लिस्ट में"
USCIRF का आरोप है कि "पूरे साल में राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर भारत सरकार ने धार्मिक रूप से भेदभावपूर्ण नीतियों को बढ़ावा दिया है और लागू किया है. जिसमें धार्मिक रूपांतरण, इंटरफेथ मैरिज, हिजाब पहनना और गौ हत्या कानून शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक ये सभी कानून मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों पर गलत असर डाल रहे हैं. इसके अलावा इस रिपोर्ट में दलित, और आदिवासियों की दुर्दशा का जिक्र किया गया है.
इस रिपोर्ट के आधार पर यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम ने अमेरिकी सरकार से सिफारिश की है कि वह भारत को 'पर्टिकुलर कंसर्न वाले देशों' (CPC) की लिस्ट में रखे. बता दें CPC अमेरिका के इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम एक्ट (IRFA) द्वारा दिया गया एक पदनाम है, इस एक्ट को 1998 में अमेरिकी सरकार द्वारा पास किया गया था. IRFA दुनिया भर के देशों में धार्मिक स्वतंत्रता पर नजर रखता है.
Cmmr David Curry: "Within its own borders, Indian authorities have repeatedly used draconian legislation like the Unlawful Activities Prevention Act & anti-conversion laws to systematically crack down on religious minorities, journalists, & activists." https://t.co/ozyTeFQ0eJ
— USCIRF (@USCIRF) December 15, 2023
इसके अलावा USCIRF ने अमेरिका सरकार को भारत पर कुछ सेंक्शन लगाने को भी कहा है.
इंटरफेथ मैरिज कानून का रिपोर्ट में जिक्र
रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत की राज्य सरकारों ने भी धर्मांतरण विरोधी कानूनों को पारित और लागू किया है, इस वक्त ऐसे कानून भारत के 12 राज्यों में मौजूद हैं. जिसमें कई राज्यों में इंटरफेथ मैरिज पर रोक लगाने और इसे जुर्म करार देने वाले कानून शामिल हैं." रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "10 राज्यों में इंटरफेथ मैरिज के लिए पब्लिक नोटिस को अनिवार्य कर दिया है, जिसकी वजह से कई बार जोड़ों को हिंसक प्रतिशोध का सामना करना पड़ा है." रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उत्तर प्रदेश के लिए अपने 2022 के चुनाव घोषणापत्र में इंटरफेथ मैरिज को रोकने के लिए सख्त कानून लाने का वादा किया था.