Joshimath Sinking: जोशीमठ के अलावा ये चार शहर भी हैं खतरे के निशान पर
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Joshimath Sinking: जोशीमठ के अलावा ये चार शहर भी हैं खतरे के निशान पर

Joshimath news: जोशीमठ में इस वक्त बुरी हालत है. घरों में बड़ी-बड़ी दरारे हैं. इस कस्बे की तरह उत्तराखंड की कई जगह हैं जहां हालत काफी गंभीर है. वहां भी कई जगहों पर लैंड स्लाइड और घरों में दरारों के मामले हैं.

Joshimath Sinking: जोशीमठ के अलावा ये चार शहर भी हैं खतरे के निशान पर

Joshimath news: उत्तराखंड की एक खूबसूरत जगह जोशीमठ की जो आज हालत है उससे काफी लोग वाकिफ हैं. ये कस्बा हर रोज डूब रहा है. दुकानों, मकानों और सड़कों पर दरारे हैं जो बढ़ती जा रही हैं. बदरीनाथ जाने वाले इस गैरसैंण के कस्बे को क्रोस करते हुए जाते हैं. कुछ लोग पास में ही चल रही पानी की योजना को इसका जिम्मेदार ठह रहे हैं. राज्य द्वारा संचालित एनटीपीसी लिमिटेड एक पनबिजली योजना पर काम कर रहा है. इसके खिलाफ एक स्थानीय धार्मिक नेता ने याचिका दायर की है जिसमें इस कार्य को दोषी ठहराया गया है.

टीहरी: टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के इस इलाके में भी घरों में दरारे देखने को मिलरही हैं. पास में ही भारत का सबसे ऊंचा टीहरी डैम बना हुआ है. जिसपर पावर इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट चल रहा है. यह इलाका उत्तराखंड के फेमस डेस्टिनेशन में शुमार होता है. 

माना: माना भारत और नेपाल के बॉर्डर पर सरहद का आखिरी गांव है. यह एक प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठान भी है जहां 2020 की गर्मियों में नवीनतम भारत-चीन सीमा गतिरोध के बाद सेना की ताकत को बढ़ाया गया था. यह गांव नेशनल हाईवे से कनेक्ट होता है. ये उस प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसे पीएम नरेंद्र मोदी ने हिंदू पिलग्रिम साइट्स की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए शुरू किया था. पर्यावरण समूहों ने परियोजना के बारे में चिंता जताते हुए कहा है कि वन्यजीवों से समृद्ध क्षेत्र में पेड़ों की कटाई से लैंड स्लाइड का खतरा बढ़ जाएगा.

हरशिल: हिमालय तीर्थ मार्ग पर एक महत्वपूर्ण शहर और संचालन के लिए सेना द्वारा भी उपयोग किया जाता है. 2013 की आकस्मिक बाढ़ के दौरान, क्षेत्र तबाह हो गया था और शहर निकासी के प्रयासों में मदद करने के लिए सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण रसद केंद्र बन गया था. ऐसा कहा जा रहा है कि इस शहर में भी दरारें देखने को मिल रही हैं.

गौचर: जोशीमठ से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में और सीमा से सिर्फ 200 किलोमीटर की दूरी पर एक महत्वपूर्ण नागरिक और सैन्य अड्डा है. 2013 में भारतीय वायु सेना के बचाव और राहत प्रयासों का बड़ा हिस्सा इसी शहर से किया गया था.

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