Ramcharitmanas Controversy: समाजवादी पार्टी के लीडर स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए राहत की खबर है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ रामचरित मानस की तौहीन करने से जुड़े मामले पर रोक लगा दी है. साथ ही यूपी सरकार को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है.
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Supreme Court On Swami Prasad Maurya: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अंतरिम आदेश पर मुहर लगाते हुए कथित तौर पर श्री रामचरितमानस की तौहीन करने और लोगों को हिंदू महाकाव्य के पन्नों को फाड़ने और जलाने के लिए उकसाने के इल्जाम में समाजवादी पार्टी के लीडर स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ शुरू किए गए मुकदमे पर रोक लगा दी है. जस्टिस बी.आर. गवई और संदीप मेहता ने यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) शरण देव सिंह ठाकुर से कहा, "आप इन चीज़ों को लेकर इतने संवेदनशील क्यों हैं? यह व्याख्या का विषय है. यह एक नजरिया है. यह जुर्म कैसे है? उन्हें (मौर्य को) कॉपिया जलाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.
राज्य सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी
स्वामी प्रसाद मौर्य के जरिए दायर विशेष अनुमति याचिका की जांच करने पर रजामंदी जाहिर करते हुए बेंच ने रियासती सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्ते में नोटिस का जवाब तलब किया है. इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के सामने लंबित कार्यवाही पर रोक लगाने का ऑर्डर दिया. अक्टूबर 2023 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धारा 482 सीआरपीसी (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) के तहत दायर एसपी नेता के आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसमें चार्जशीट और विशेष न्यायाधीश के जरिए जारी समन को चैलेंज दिया गया था, जिसमें उन्हें मुकदमे का सामना करने के लिए कोर्ट में पेश होने की हिदायत दी गई थी.
आपसी भाईचारा कायम रखें जन प्रतिनिधि
हाईकोर्ट के जज सुभाष विद्यार्थी की बेंच ने कहा था कि चार्जशीट और रिकॉर्ड पर मौजूद अन्य सामग्री के अवलोकन से पहली नजर में निचली अदालत में उन पर मुकदमा चलाने का केस बनता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का विचार था कि जन प्रतिनिधियों को आपसी भाईचारे को बिगाड़ने वाले किसी भी काम में शामिल होने से बचना चाहिए. अपनी शिकायत में, वकील संतोष कुमार मिश्रा ने इल्जाम लगाया था कि, एहतेजाजियों ने रामचरितमानस की कॉपिया जला दीं. इसके बाद पिछले साल एक फरवरी को सिटी कोतवाली पुलिस ने एसपी विधायक डॉ. आरके वर्मा और कुछ दूसरे लोगों पर भारतीय दंड संहिता, 1860 की कई दफाओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था.