Islamic Knowledge: इस्लाम में बताया गया है कि अपनी मां की खिदमत करने से जन्नत मिलती है. अगर मां न हो तो खाला (मौसी) की खिदमत करने से गुनाह माफ हो जाते हैं.
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Islamic Knowledge: इस्लाम में अपने करीबियों के साथ अच्छा सुलूक करने के बारे में बताया गया है. इस्लाम में कहा गया है कि अपने से बड़ों की इज्जत करो. अपने रिश्तेदारों की इज्जत और उनके साथ हुस्न सुलूक के बारे में बताया गया है. इस्लाम में सबसे बड़ा रुतबा मां का है. इस्लाम में कहा गया है कि मां की खिदमत करने से आप दुनिया में तमाम दिक्कतों से दूर रहते हैं. इसके अलावा इंसान मां की खिदमत करके जन्नत हासिल कर सकता है.
इस्लाम में मां-बाप के बाद खाला, मामू, चाचा और फूफी का सबसे बड़ा रिश्ता बताया गया है. यह ऐसे रिश्ते हैं जो मां-बाप के न होने पर उनके बराबर तस्लीम किए जाते हैं. इस्लाम में कहा गया है कि अगर आपके मां-बाप न हों तो आप अपनी खाला (मौसी) के साथ अच्छा सुलूक करें. उनकी खिदमत करें.
इस्लाम कहता है कि खाला (मौसी) मां के दर्जे में हैं, इसलिए मौसी की इज्जत और उनकी खिदमत जरूरी है. किसी भी सूरत में उनका अपमान करना या उन्हें किसी भी तरह से ठेस पहुंचाना जायज नहीं है. अगर आपकी हैसियत है, तो उन्हें माल के जरिए खुश कीजिए. उनका हक अदा किया जाना चाहिए. चूंकी, खाला के साथ खूनी रिश्ता होता है इसलिए उनके साथ मोहब्बत ज्यादा होती है.
इस्लाम में बताया गया है कि मां का ओहदा इतना बड़ा है कि मां के गुजर जाने के बाद भी उनके हक रह जाते हैं. इस्लाम कहता है कि जब आपके मां-बाप गुजर जाएं तो उनके हक अदा किया करो. उनके लिए अल्लाह से दुआ किया करो. अपने मां-बाप के करीबियों और उनके दोस्तों, खाला और सहेलियों से अच्छे ताल्लुकात रखो. इसके अलावा उनकी वसीयत को पूरा करो.
खाला की खिदमत पर हदीस
हजरत अब्दुल्लाह इब्ने उमर (रजि.) ने कहा कि एक शख्स प्रोफेट मोहम्मद (स.) के पास आया. उसने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! मुझसे एक बड़ा गुनाह हो गया है. क्या उससे तौबा की कोई शक्ल है? आप (स.) ने पूछा: क्या तुम्हारे मां-बाप जिंदा हैं? उसने कहा: नहीं. आप (स.) ने पूछा: क्या खाला (मौसी) जिंदा हैं? उसने कहा: हां, वे जिंदा हैं. आप (स.) ने फरमाया जाओ, उनकी किदमत करो.