मुस्लिम और गैरमुस्लिम युवाओं की पहल, अस्पताल के बाहर रोजेदारों को दे रहे मुफ्त सहरी और इफ्तारी
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मुस्लिम और गैरमुस्लिम युवाओं की पहल, अस्पताल के बाहर रोजेदारों को दे रहे मुफ्त सहरी और इफ्तारी

Ramazan 2023: गुवाहाटी के कुछ युवाओं ने रमजान में अस्पताल के बाहर लोगों को मुफ्त सहरी और इफ्तार का देने का फैसला किया. यह काम कोविड के वक्त शुरू किया गया था. ये अब भी जारी है.

मुस्लिम और गैरमुस्लिम युवाओं की पहल, अस्पताल के बाहर रोजेदारों को दे रहे मुफ्त सहरी और इफ्तारी

शरीफ उद्दीन अहमद/गुवाहाटी: रमजान शुरू होते ही उन लोगों के लिए सेहरी और इफ्तार की दिक्कत शुरू हो जाती है जो लोग अस्पताल में होते हैं. ऐसे में असम के गुवाहाटी से ताल्लुक रखने वाले कुछ युवाओं ने रोजेदारों के लिए एक पहल की. युवाओं ने रमजान शुरू होते ही गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और कैंसर हॉस्पिटल के बाहर रोगियों के परिवार को आधी रात को सहरी और शाम को इफ्तार की व्यवस्था की.

अस्पताल के बाहर देते हैं खाना

गुवाहाटी के कुछ युवाओं ने रेन ड्रॉप्स इंसेंटिव असम नाम का एक संगठन बनाया. संगठन के लोगों ने रमजान के पहले दिन से ही गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल और कैंसर हॉस्पिटल के बाहर रात 12:00 बजे से ही गरमा गरम खाना तैयार कर सहरी के वक्त लोगों को मुफ्त बांटना शुरू किया.

दल में शामिल सभी धर्मों के लोग

इस युवाओं के दल में सभी जाति धर्म के लोग हैं. इनमें से आबिद हसन और शाहिद अली अहमद और कुछ हिंदू युवती शिखा, चयनिका दास, उपासना शर्मा और इमरान अली हैं. इन लोगों ने मिलकर हर रोज सहरी और इफ्तार का इंतजाम गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल और कैंसर अस्पताल में किया.

सभी को दिया जाता है खाना

संगठन के लोग रोजेदारों को ही सहरी और इफ्तार के वक्त मुफ्त में खाना नहीं देते बल्कि दूसरे धर्म के लोग जो अस्पताल में रोगियों की देखभाल करने के लिए रहते हैं उनको भी मुफ्त में पूरे रमजान के महीने में खाना देते हैं. इसके अलावा अस्पताल में रहने वाले सिक्योरिटी गार्डों को भी मुफ्त में खाना दिया जा रहा है.

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रोजेदार भरपेट खा रहे खाना

देखा जाए तो रमजान के महीने में रोजेदार अस्पताल के बाहर रात को सहरी के लिए एक भी दुकान खुली नहीं रहने के कारण सिर्फ पानी या खजूर से ही सहरी करते थे. लेकिन जब से आबिद हसन और उनके साथियों ने सहरी और इफ्तार का मुफ्त में इंतजाम किया है तब से रोगियों के साथ आने वाले लोग भी भर पेट खाना खाते हैं. इसके अलावा उन्हें इफ्तार के वक्त भी पेट भर खाना मिलता है.

खाने में मिलता है फ्रूट और मछली

रेनड्रॉप्स संगठन की तरफ से शहीद अली अहमद ने कहा कि उनके साथियों की तरफ से जो पैसे जमा होता है उससे हर रोज इफ्तार और सहरी का खर्चा निकल जाता है. सहरी के वक्त मछली और दाल, दो तरह की सब्जियां और दूध के साथ केले काम इंतजाम करते हैं. इफ्तार के वक्त बिरयानी और तरह-तरह के फल फ्रूट और ठंडे पानी और शरबत का इंतजाम करते हैं.

कोरोना काल में शुरु हुआ काम

उन्होंने कहा है कि जब से ऐसे सामाजिक काम करना शुरू किया तभी से ही उनके काम धंधे में भी ज्यादा बरकत हो रही है. उन्होंने कहा कि जब कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन हुआ था तभी से ही हर साल रमजान के महीने में अस्पतालों के बाहर सहरी और इफ्तार का इंतजाम मुफ्त में करते आए हैं.

आज भी हैं अच्छे लोग

कोविड-19 महामारी के बाद उन्होंने सोचा कि बीमार तो हर समय होती है और रमजान के महीने में खासतौर से रोगियों के साथ जो रहने आते हैं उनको तो खाना कहीं नहीं मिलता, तो हम लोग अगर हर रोज रमजान का खाना मुफ्त में देंगे तो हमें बहुत नेकी मिलेगी. देखा जाए तो आज के जमाने में भी ऐसे इंसान हैं जो समाज की भलाई के लिए बिना किसी राजनीतिक फायदे के अपना कर्म करते जाते हैं.

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