ईद पर अब्बास के लिए उसकी पसंद के पकवान बनाती थीं मेरी मां: मोदी
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ईद पर अब्बास के लिए उसकी पसंद के पकवान बनाती थीं मेरी मां: मोदी

पीएम मोदी ने बताया कि दोस्त की बेवक़्त मौत के बाद  वालिद साहब अब्बास को हमारे घर ही ले आए थे. एक तरह से अब्बास ने हमारे घर में ही रहकर तालीम हासिल की.

PM Modi Abbas

heeraben modi Birthday: वज़ीरे आज़म नरेंद्र मोदी ने आज अपनी मां हीराबेन मोदी का 100वां यौमे पैदाइश मनाया. इस मौक़े पर पीएम गुजरात के गांधीनगर में वाक़े अपने घर पहुंचे. अपनी वालिदा से मुलाक़ात की और पैर छू कर दुआएं ली. इस ख़ास मौक़े पर वज़ीरे आज़म ने एक ब्लॉग भी शेयर किया . www.narendramodi.in पर शाया इस ब्लॉग में पीएम ने बचपन की यादों का ज़िक्र किया. उन्होंने लिखा कि "मां, ये सिर्फ एक लफ़्ज़ नहीं है. ज़िदंगी का ये वो एहसास है जिसमें प्यार, सब्र, भरोसा कितना कुछ जज़्ब होता है. आज मैं अपनी खुशी, अपनी ख़ुशक़िस्मती, आप सबसे शेयर करना करना चाहता हूं. मेरी मां, हीराबाई आज 18 जून को अपने सौवें साल में दाख़िल हो रही हैं. यानी उनकी सद साला सालगिरह का आग़ाज़ हो रहा है."

इन तमाम बातों का ज़िक्र करते हुए पीएम मोदी ने अब्बास नाम के एक शख़्स का ज़िक्र किया है. मां की तारीफ़ करते हुए वज़ीरे आज़म ने लिखा कि "मां हमेशा दूसरों को खुश देखकर खुश रहा करती हैं. घर में जगह भले कम हो लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा है. हमारे घर से थोड़ी दूर पर एक गांव था जिसमें मेरे वालिद के बहुत करीबी दोस्त रहा करते थे. उनका बेटा था अब्बास, दोस्त की बेवक़्त मौत के बाद  वालिद साहब अब्बास को हमारे घर ही ले आए थे. एक तरह से अब्बास ने हमारे घर में ही रहकर तालीम हासिल की. हम सभी बच्चों की तरह मां अब्बास की भी बहुत देखभाल करती थीं. ईद पर मां, अब्बास के लिए उसकी पसंद के पकवान बनाती थीं. त्योहारों के वक़्त आसपास के कुछ बच्चे हमारे यहां ही आकर खाना खाते थे. उन्हें भी मेरी मां के हाथ का बनाया खाना बहुत पसंद था." वज़ीरे आज़म के इस क़िस्से के बाद सोशल मीडिया पर अब्बास नाम ट्रेंड कर रहा है.

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उन्होंने लिखा है, "वालिद साहब आज होते, तो पिछले हफ़्ते वो भी 100 साल के हो गए होते. यानी 2022 एक ऐसा साल है जब मेरी वालिदा की सद साला सालगिरह शुरु हो रही है और इसी साल मेरे  वालिद के यौमे विलादत के सौ साल पूरे हुए हैं." इस मौक़े पर वज़ीरे आज़म ने कहा कि " हमारे यहां सालगिरह मनाने के रिवाज नहीं है लेकिन ख़ानदान के बच्चों ने वालिद साहब की याद में सौ पेड़ लगाएं हैं" .वज़ीरे आज़म ने अपने मां बाप का शुक्रिया अदा करते हुए लिखा कि " आज मैं जो कुछ भी हूं मेरी शख़्सियत में जो कुछ भी अच्छा है वो मेरे मां-बाप की ही देन है. आज इस मौक़े पर पुराने दिन कितने याद आ रहे हैं"

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