आज कई दलित और आदिवासी संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है. इस ऐलान के बाद राजनीतिक दल दो गुटों में बंट गए हैं. सभी विपक्षी दलों और बीजेपी के कुछ सहयोगी दलों ने इस बंद का समर्थन किया है.
SC और ST के रिजर्वेशन में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ में दलित और आदिवासी संगठनों ने आज यानी 21 अगस्त को भारत बंद का ऐलान किया है.
भारत बंद का असर कई राज्यों में देखने को मिल रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि भारत बंद किसकी इजाजत लेनी पड़ सकती है और कौन भारत बंद का ऐलान कर सकता है.
भारत बंद का ऐलान आमतौर पर राजनीतिक पार्टियां, ट्रेड यूनियनों और समाजिक संगठन करते हैं. ऐसा किसी विशेष मुद्दे के खिलाफ विरोध जताने के लिए किया जाता है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने SC और ST कैटेगरीज में क्रीमी लियर को लेकर फैसला दिया था. जिसके बाद पूरे देश में हंगामा मच गया और दलित और आदिवासी संगठन इस फैसले का विरोध करने लगे.
वैसे भारत बंद करने लिए किसी सरकार से इजाजत नहीं लेनी पड़ती है. हालांकि, जो संगठन बंद का ऐलान करता है, उसके आयोजकों को मकामी प्रशासन को इत्तिला करना होता है.
पुलिस को इत्तिला करने का मकसद सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखना होता है. क्योंकि हड़ताल या बंद के दौरान कानून व्यवस्था बनी रहे. कोई हादसा न हो. इसलिए पुलिस को अपनी तैयारियां करनी होती है.
भारत बंद का असर कई राज्यों में देखने को मिल रहा है. बिहार और झारखंड में कई सेवाएं प्रभावित हुई हैं. झारखंड में बस सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बसें बस स्टेशनों से बाहर नहीं निकल पाई हैं.
भारत बंद का समर्थन तमाम विपक्षी दल कर रहे हैं. वहीं, बीजेपी ने भारत बंद पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन बीजेपी और गठबंधन दल के कई दलित नेता भारत बंद के खिलाफ हैं.
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