जुलाई 2020 में, तुर्की के एक हाईकोर्ट ने 1934 के उस फैसले को रद्द कर दिया था, जिसने इसे संग्रहालय में बदल दिया गया था. इस फैसले के बाद इसे फिर से मस्जिद में बदल दिया गया. इस फैसले ने दुनिया भर में ईसाइयों को नाराज कर दिया था.
1935 से ये इमारत एक म्यूजियम के तौर पर तुर्की आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने वाला केंद्र रहा है. इस अनूठी इमारत के दीवारों पर ईसा-मसीह और मैरी के साथ कुरान की आयतें भी दिख जाती हैं. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने छठी शताब्दी के इस स्मारक को दो साल पहले औपचारिक रूप से नया रूप दे दिया था. यह पहले एक गिरजाघर और संग्रहालय था, जिसे बाद में एक मस्जिद में बदल दिया गया.
इसके बाद 500 सालों तक मस्जिद के तौर पर इसमें नमाज होती रही फिर इसे संग्रहालय में बदल दिया गया. इसे सन 1934 में संग्रहालय में बदला गया और अब इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल कर लिया.
इस इमारत को 1500 साल पहले, एक ऑर्थोडॉक्स ईसाई गिरजाघर के तौर पर विकसित किया गया था, लेकिन मई 1453 में उस्मानी शासक महमद द्वितीय ने इस्तांबुल पर कब्जा करने के बाद इस गिरजाघर को मस्जिद में तब्दील कर दिया.
हागिया सोफिया या आयासोफ़िया मस्जिद तुर्की के इस्तानबुल नगर में स्थित छठी शताब्दी में बनी एक ऐतिहासिक इमारत है. यह अभी एक मस्जिद है, लेकिन मूलतः यह कभी एक आरथोडोकस चर्च था. बाद में यह रोमन कैथलिक कैथेड्रल, फिर मस्जिद, फिर संग्रहालय और पुनः मस्जिद में बदल दिया गया.
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