Badaun Jama Masjid: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब उत्तर प्रदेश के बदायूं की जामा मस्जिद को लेकर अदालत में दावा किया गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया समेत कई बड़े मीडिया इदारों की खबरों के मुताबकि इस संबंध में अदालत में अर्जी लगाई गई है. जिसके बाद अदालत ने मस्जिद इंतेजामिया कमेटी, सुन्नी वक्फ बोर्ड समेत कईयों से इस मामले में उनका जवाब मांगा है. अदालत में दाखिल की गई अर्ज़ी में कहा गया है कि,"यहां हकीकत में हिंदू राजा का किला था और जो इस समय मस्जिद है इसको नीलकंठ महादेव के एक पुराने मंदिर को गिराकर बनाई गई थी."
हम इस मसले से अलग आपको बदायूं की जामा मस्जिद की खासियत के बारे में बताने जा रहे हैं. बीबीसी की एक खबर के मुताबिक इस मस्जिद में तकरीबन 23 हजार से ज्यादा लोग एक वक्त में नमाज़ अदा करते सकते हैं.
यह हिंदुस्तान की चंद सबसे बड़ी मस्जिदों में शुमार की जाती है. एक वेबसाइट के मुताबिक इस मस्जिद का निर्माण शमसुद्दीन इल्तुतमिश ने 1222 में कराया था. यह मस्जिद फारसी-अफगान वास्तुकला को दिखाती है.
एक वेबसाइट के मुताबिक बदायूं की जामा मस्जिद के तीन दरवाज़े हैं. इस मस्जिद का मुख्य दरवाजा शकील रोड के सामने है, जो लाल संगमरमर से बना है. बदायूं जामा मस्जिद का मेन दरवाजा तकरीबन 100 फीट लंबा बताया जाता है.
वहीं अगर इसके दूसरे गेट की बात करें तो दूसरा गेट फरशोरी टोला में और तीसरा सोठा में है. इसमें दो और गुंबदों से घिरा एक केंद्रीय गुंबद है, और 5 अन्य गुंबद भी हैं. इसके अलावा फर्श की बात करें तो वायरल हो रही तस्वीरों में देखा जा सकता है कि फर्श भी सफेद संग-ए-मरमर का बताया जा रहा है.
मंदिर होने का दावा किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में देखा जा सकता है कि मस्जिद सेहन यानी केंद्र में एक हौज भी दिखाई दे रही है. मस्जिद को लेकर कहा जाता है कि यह शहर सबसे ऊंची संरचना है.
यह मस्जिद बदायूं के सोथा मोहल्ला में मौजूद है. खबरों के मुताबिक बदायूं की इस मस्जिद को दिल्ली की जामा मस्जिद के बाद देश की तीसरी सबसे पुरानी और सातवीं सबसे बड़ी मस्जिद कहा जाता है. डिस्क्लेमर: मस्जिद को लेकर दी गई यहां सभी जानकारी इंटरनेट के ज़रिए हासिल की गई है.
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