Bilkis Bano Case: गुजरात दंगा पीड़िता बिलकीस बनो की अर्जी पर आज सुनवाई होनी थी. लेकिन जस्टिस बेला त्रिवेदी ने इस बेंच से खुद को अलग कर लिया. इसलिए आज इस पर सुनवाई नहीं हो सकी.
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Bilkis Bano Case: गुजरात की बिलकीस बानो मामले की केस की सुनवाई आज यानी 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी है. 2 मेंमबर वाली बेंच से जस्टिस बेला त्रिवेदी ने खुद को अलग कर लिया है. इस मामले की सुनवाई अब अलग बेंच में होगी. मामले पर जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम. त्रिवेदी की बेंच सुनवाई करने वाली थी. बेंच ने त्रिवेदी के अलग होने की कोई साफ वजह नहीं बताई है.
दरअसल साल 2002 में गुजरात की दंगा पीड़िता बिलकीस बानो ने अपने साथ होने वाले गैंग रेप और परिवार के लोगों का कत्ल करने वाले 11 मुल्जिमों की रिहाई की मुखालफत की है. 11 मुल्जिमों को इस साल 15 अगस्त को रिलीज किया गया था. इस मामले में सोशल वर्कर सुभाषिनी अली समेत 4 लोगों की अर्जियां सुप्रीम कोर्ट में हैं.
हाल ही में एडवोकेट शोभा गुप्ता की तरफ से बिलकीस बानो मामले में अर्जी दायर की गई. इसमे बिलकिस बानो ने कहा "सभी मुल्जिमों की वक्त से पहले रिहाई न केवल अर्जीगुजार बल्कि उसकी बड़ी हो चुकी बेटियों और पूरे समाज के लिए झटका है. बिलकीस बानो मामले में 11 मुल्जिमों को रिहा करने पर समाज के कई लोगों ने सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा, मायूसी, बेयकीनी और मुखालफत दर्ज कराई थी.
रिहाई के हुक्म को मकैनिक करार देते हुए अर्जी में कहा गया कि बिलकिस बानो मामले में मुल्जिमों की वक्त से पहले रिहाई ने समाज की रूह को झकझोर कर रख दिया है. इसके नतीजे में देश भर में कई एहतिजाज हुए. दलील में कहा गया है कि रिट अर्जीगुजार समेत सभी मुल्जिमों की वक्त से पहले रिहाई की चौंकाने वाली खबर लोगों के सामने तब आई जब दोषियों को ऑनर दिया गया और उनकी तस्वीरें खींची गईं.
ख्याल रहे कि बिलकिस पांच महीने की प्रेगनेंट थीं. इसी दौरान साल 2002 में उनके साथ गैंग रेप किया गया. इस दौरान बिलकिस बानो के परिवार के 7 लोगों का कत्ल कर दिया गया था जिसमें उनकी 3 साल की बेटी भी शामिल थी. बिलकिस बानो ने एक मुल्जिम की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट के 13 मई, 2022 के हुक्म की समीक्षा के लिए एक अलग अर्जी भी दायर की है.
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