पिता के खोने के बाद नहीं मानी हार, अब लंदन की यूनिवर्सिटी से मिला MBA करने का ऑफर
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पिता के खोने के बाद नहीं मानी हार, अब लंदन की यूनिवर्सिटी से मिला MBA करने का ऑफर

2017 में आए साइक्लोन ओखी ने केरल और तमिलनाडु में तबाही मचा दी थी. जिसमें लाखों लोग बेघर हो गए थे और कई लोगों ने अपने अज़ीज़ों को खो दिया था. इन्हीं सबके बीच केरल की रहने वाली नीतू ने भी अपने पिता को खो दिया था.

पिता के खोने के बाद नहीं मानी हार, अब लंदन की यूनिवर्सिटी से मिला MBA करने का ऑफर

Thiruvananthapuram News: 2017 में आए साइक्लोन ओखी ने केरल और तमिलनाडु में तबाही मचा दी थी. जिसमें लाखों लोग बेघर हो गए थे और कई लोगों ने अपने अज़ीज़ों को खो दिया था. इन्हीं सबके बीच केरल की रहने वाली नीतू ने भी अपने पिता को खो दिया था. उनके पिता जॉनसन समुद्र में मछलियां पकड़ने गए थे उसी दौरान वह साइक्लोन की चपेट में आ गए और हमेशा के लिए अपने परिवार को अलविदा कह गए. उसके बाद से नीतू ने कोई भी क्रिस्मस सेलिब्रेट नहीं किया लेकिन इस साल क्रिस्मस पर उनके घर में खुशी का माहौल होगा क्योंकि वह अपनी MBA की पढ़ाई करने लंदन जा रही हैं.

मिडलसेक्स यूनिवर्सिटी से करेंगी MBA

हालांकि नीतू की ख़्वाहिश डॉक्टर बनने की थी लेकिन घर की फाइनेंशियल कंडीशन ठीक ना होने की वजह से उन्होंने वनस्पति विज्ञान (Botany) में ग्रेजुएशन किया. उसके बाद नीतू को लंदन की मिडलसेक्स यूनिवर्सिटी से ऑफर लेटर मिला. अब वह MBA करने के लिए वहां जाएंगी. साथ ही वह लंदन में पार्ट टाइम जॉब भी करेंगी. इस ख़बर से उनके घर में ख़ुशी का माहौल है. नीतू लंदन से ही पीएचडी भी करना चाहती हैं. आपको बता दें कि नीतू के बड़े भाई नित्या और बड़ी बहन निधि ने अपनी छोटी बहन के सपनों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार से मिली मदद रकम में अपना हिस्सा छोड़ दिया था.

मां को नीतू की शादी के लिए उकसाते रिश्तेदार

नीतू की मां देवनेशा ने बताया कि उनके रिश्तेदार उनसे सरकार से मिली मदद की रकम को बेटियों की पढ़ाई में लगाने की बजाय उनकी शादी करने के लिए उकसाया करते थे लेकिन देवनेशा ने रिश्तेदारों की बातों को नज़रअंदाज़ करके अपनी बेटियों को पढ़ाया. उन्होंने कहा- 'मेरे पति मेरा सबसे मज़बूत सहारा थे. अब मुझे उनके ख़वाबों को पूरा करने के लिए कुछ करना होगा.  उनका ख़्वाब था कि हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले. मुझे अपने बच्चों को आगे बढ़ाना है. मैं चाहती थी कि वे जितना चाहें उतनी पढ़ाई करें. उनके पिता भी यही चाहते थे. मुझे परवाह नहीं है कि वे कब शादी करना चाहते हैं. यह मेरे बच्चों का अपना फैसला है.'

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