भोजशाला मामले में नया मोड़; जैन समाज ने ठोका दावा, जानें पूरा मामला
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भोजशाला मामले में नया मोड़; जैन समाज ने ठोका दावा, जानें पूरा मामला

Bhojshala case: भोजशाला मामले में नया मोड़ आ गया है. यहां जैन समुदाय के एक व्यक्ति ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से इबादत (उपासना) की इजाजत मांगी है. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.

भोजशाला मामले में नया मोड़; जैन समाज ने ठोका दावा, जानें पूरा मामला

Bhojshala case: भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद मामले में नया मोड़ आ गया है. यहां जैन समुदाय के एक व्यक्ति ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से इबादत (उपासना) की इजाजत मांगी है. उस व्यक्ति ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर करके धार के भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद कैंपस में अपने समुदाय के लोगों के लिए उपासना का अधिकार मांगा है. याचिका में दावा किया गया है कि इस विवादित परिसर में कभी जैन गुरुकुल और जैन मंदिर हुआ करता था, जहां देवी अम्बिका की मूर्ति स्थापित थी.

दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता सलेकचंद जैन की तरफ से दायर इस रिट याचिका पर हाईकोर्ट में इस हफ्ते सुनवाई हो सकती है. जैन के अधिवक्ता मनोहर सिंह चौहान ने आज यानी 1 जुलाई को यह जानकारी दी. यह याचिका ऐसे वक्त में दायर की गई है, जब ASI मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर भोजशाला परिसर के सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने की तैयारी में जुटा है. 

याचिका में किया बड़ा दावा
याचिका में दावा किया गया है कि भोजशाला कैंपस में कभी जैन गुरुकुल और जैन मंदिर हुआ करता था, जहां जैन मुनियों और विद्वानों के जरिए स्टूडेंट्स को एजुकेशन दी जाती थी और इस परिसर में संस्कृत, प्राकृत और दूसरे भाषाओं में ग्रंथों के अनुवाद का काम भी होता था, लिहाजा जैन समुदाय के लोगों को इस स्थान पर उपासना का अधिकार दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही याचिका में यह दावा भी किया गया है कि भोजशाला कैंपस की जिस मूर्ति को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) की प्रतिमा बता रहा है, वह असल में जैन समुदाय की देवी अम्बिका (जैन यक्षिणी) की मूर्ति है जिसे धार के राजा भोज ने इस कैंपस में 1034 ईस्वी में स्थापित किया था. 

सरकार से की ये अपील
याचिका में गुहार लगाई गई है कि लंदन के एक संग्रहालय में रखी, इस मूर्ति को भारत वापस लाकर भोजशाला कैंपस में फिर से स्थापित किया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि भोजशाला कैंपस और इसमें मिली मूर्तियों, शिलालेखों, कलाकृतियों आदि की वास्तविक उम्र पता लगाने के लिए केंद्र सरकार को ‘‘रेडियोकार्बन डेटिंग’’ पद्धति के इस्तेमाल के निर्देश दिए जाने चाहिए. भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है. यह परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के जरिए संरक्षित है.

क्या है पूरा मामला
‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक संगठन की अर्जी पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 11 मार्च को एएसआई को भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे करने का आदेश दिया था. इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था, जो हाल ही में खत्म हुआ है. हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक एएसआई को विवादित परिसर के सर्वे की संपूर्ण रिपोर्ट दो जुलाई तक पेश करनी है.

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