मदरसा सर्वे पर बंटे धार्मिक संगठन; योगी के समर्थन में खुलकर सामने आया सूफ़ी इस्लामिक बोर्ड
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मदरसा सर्वे पर बंटे धार्मिक संगठन; योगी के समर्थन में खुलकर सामने आया सूफ़ी इस्लामिक बोर्ड

सूफी बोर्ड ने कहा है कि अरशद मदनी गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं. वह मदरसों के बच्चों को अपनी गुलामी से आजाद नहीं करने देना चाहते हैं. सूफी बोर्ड ने मदरसों को मिलने वाली विदेशी फंडिंग पर भी सवाल उठाए हैं. 

कशिश वारसी

मुरादाबादः उत्तर प्रदेश में मदरसा सर्वे का काम पूरा हो चुका है. सर्वे के दौरान काफी तादाद मे अवैध मदरसे निकल कर सामने आए हैं. ऐसे मे मदरसों पर कार्रवाई की बात भी सामने आती है, लेकिन इसी बीच एक बार फिर से जमीयत उमेला ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के मदरसों के सरकारी सुविधा न लेने वाले बयान से राजनीति गरमा गई है. वहीं, दूसरी तरफ मदरसा सर्वे के बाद जाँच मे नेपाल से मदरसों की फंडिंग होने की बात सामने आने के बाद मदरसा संचालक सवालों के घेरे में आ गए हैं. 

मदनी छात्रों को गुलाम बनाए रखना चाहते हैं 
मदरसा सर्वे को लेकर आ रहे अरशद मदनी के बयान पर सूफ़ी इस्लामिक बोर्ड का कड़ा रुख देखने को मिला है. सूफ़ी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता कशिश वारसी का कहना है की वह मदरसा सर्वे का समर्थन करते है. मदनी के मदरसा सर्वे के विरोध मे बयान पर उन्होंने कहा कि मदनी गिरगिट की तरह रंग बदलते है, उनके जुमलों को समझें, वह चाहते हैं कि मदरसों के छात्र उन्हीं का गुलाम रहे. वो अपनी गुलामी से आजाद नहीं करने देना चाहते हैं,  अगर पढ़ लिए तो आजाद जो हो जायेंगे. मदरसा आधुनिक होगा तो मदरसा मे पढ़ने वाले बच्चे भी अब डॉक्टर और इंजीनियर बन सकेंगे.

सरकार के सर्वे का किया समर्थन 
कशिश वारसी का कहना है सरकार एक अच्छा काम करने जा रही है. मोदी का जो नारा है की एक हाथ मे कुरान और एक हाथ मे लैपटॉप इसको बदल कर अब मुस्लिम नौजवानांे के दोनों हाथो मे कुरान और दोनों हाथो मे लैपटॉप हो, क्योंकि लैपटॉप मे सभी तरह की शिक्षा है. लैपटॉप से आप कुरान भी पढ़ सकते हैं. लैपटॉप से अपने पूरा मजहब और दूसरे के मजहब को भी पढ़ सकते हैं. अगर सरकार हमारे नौजवानो के हाथो मे लैपटॉप देकर उसे साइंटिस्ट,  डॉक्टर,  आईएएस और आईपीएस बनाना चाहती है. 

विदेशी फंडिंग पर उठाया सवाल 
नेपाल से मदरसा फंडिंग पर भी सूफ़ी इस्लामिक बोर्ड ने बड़ा सवालिया निशान लगाते हुए कहा है की हम मान भी लेते हैं कि  नेपाल से पैसा आया, पर जितना पैसा आ रहा है, अगर सब पैसा मदरसे में लग गया होता तो हर घर का बच्चा हाफ़िज होता. उनका कहना है कि जो पैसा आ रहा है, पहले तो ये जाँच हो कि पैसा कहाँ से आ रहा है ? कितना खर्च हुआ कितना बचा इसकी भी जाँच हो ? जब मदनी सरकार की मदद नहीं लेना चाह रहे हैं, तो जाहिर सी बात है उनका कोई मोटा स्रोत है. इसकी जाँच होनी चाहिए और सरकार को इसका हक़ है.

Zee Salaam

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