36 मुस्लिम कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर चेन्नई में विरोध प्रदर्शन, जानें क्या है पूरा मामला
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36 मुस्लिम कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर चेन्नई में विरोध प्रदर्शन, जानें क्या है पूरा मामला

तमिलनाडु में कई मुस्लिम संगठनों ने 36 मुस्लिम कैदियों की रिहाई के लिए विरोध प्रदर्शन किया है. उनका कहना है कि इन कैदियों ने 20 साल जेल में गुजारे हैं ऐसे में उनकी रिहाई की जानी चाहिए.

36 मुस्लिम कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर चेन्नई में विरोध प्रदर्शन, जानें क्या है पूरा मामला

कई मुस्लिम संगठनों ने बुधवार को 36 मुस्लिम कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर चेन्नई में ट्रिप्लिकेन मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. यह मुद्दा तब उठा जब कई दलों ने मंगलवार को तमिलनाडु विधानसभा में 36 मुस्लिम कैदियों की रिहाई की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया, इनमें से 16 कैदी 1998 के कोयंबटूर बम विस्फोट में शामिल थे. विरोध प्रदर्शन मनिथानेया जनानायगा काची (एमजेके) की कयादत में किया गया.

अन्नाद्रमुक ने की रिहाई की मांग

अन्नाद्रमुक नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी ने राज्य से उन्हें रिहा करने की गुजारिश की और कहा कि वे 20 साल से ज्यादा वक्त से जेल में हैं. उन्होंने उनकी स्वास्थ्य स्थितियों का भी हवाला दिया. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने जवाब दिया कि 49 आजीवन कारावास वाले कैदियों की सूची पहले ही चुनी जा चुकी है और उनकी रिहाई की सिफारिश करने वाले दस्तावेज राज्यपाल आरएन रवि को उनकी सहमति के लिए भेजे गए हैं.

मुख्यमंत्री ने लगाया इल्जाम

स्टालिन ने यह भी पूछा कि एआईएडीएमके मुस्लिम कैदियों की रिहाई पर अचानक चिंता क्यों दिखा रही है. उन्होंने इल्जाम लगाया कि एआईएडीएमके ने 10 साल तक सत्ता में रहते हुए कुछ नहीं किया. इससे विधानसभा में हंगामा हो गया और एआईएडीएमके विधायकों ने वॉकआउट कर दिया. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने मुस्लिम कैदियों को रिहा करने के विचार का विरोध किया. उन्होंने कहा कि वे आतंकवादी कृत्यों में शामिल हैं और उन्हें सामान्य कैदी नहीं माना जा सकता.

कैदियों को किया जाए रिहा

इस बीच कई मुस्लिम संगठनों ने उनकी रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. एमजेके नेता थमीमुल अंसारी ने दावा किया कि डीएमके सरकार कैदियों की रिहाई के मुद्दे के लिए राज्यपाल रवि को दोषी नहीं ठहरा सकती. थमीमुल अंसारी ने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार विधानसभा में अनुच्छेद 161 के तहत कैदियों को रिहा करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करे और तब तक उन्हें जेल से उसी तरह छुट्टी दी जाए जैसे पेरारिवलन (राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी) को दी गई थी."

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