Jharkhand News: हजारीबाग के रहने वाले अंतू साव का पूरा कुनबा पिछली कई पीढ़ियों से ताजिया बनाने काम कर रहा है. हिन्दू होने के बावजूद उनका परिवार मुहर्रम का महीना शुरू होते ही ताजिया बनाने के काम में लग जाता है.
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Muharram 2023: झारखंड के हजारीबाग से एकता की तस्वीर सामने आई है. यहां के कटकमसांडी जलमा निवासी अंतू साव का पूरा कुनबा पिछली कई पीढ़ियों से ताजिया बनाने का काम कर रहा है. हजारीबाग में मुहर्रम का महीना शुरू होते ही अंतू साव की परिवार ताजिया बनाने में जुट जाता है. अंतू साव का परिवार 150 बरसों से गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश कर रहा है. जब मुहर्रम का जुलूस निकलता है, तो सबसे पहले उनके ही घर के सामने फातिहा पढ़ी जाती है. इस दौरान अंतु साव का परिवार अकीदत के साथ जुलूस में शिरकत करता है. ताजिया गांव में घूमने के बाद कर्बला तक पहुंचता है.
आपसी भाईचारे का संदेश
अंतू साव का पूरा परिवार पिछली कई पीढ़ियों से ताजिया बनाने का काम कर रहा है. अब उनके बच्चे ताजिया बनाना सीख रहे हैं. ये परिवार न सिर्फ ताजिया बनाता है, बल्कि मुहर्रम के मौके पर निकाले जा रहे जुलूस में मुसलमान भाईयों के साथ शामिल भी होता है. अंतू साव के तीनों बेटे पिता से ताजिया बनाना सीख रहे हैं. अंतू साव की उम्र 70 साल है, लेकिन ताजिया बनाने और जुलूस को लेकर उनके उत्साह में कोई कमी नहीं है.अंतू साव का कहना है कि यह सिर्फ ताजिया नहीं है, बल्कि मुसलमान भाईयों के लिए उनके प्यार और मोहब्बत की निशानी है.
जगह-जगह निकाले जा रहे जुलूस
मुहर्रम शोक और मातम का महीना है. यह इस्लामिक साल का पहला महीना है. इस्लामिक धर्म की परम्पराओं के मुताबिक, पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत के गम में मुहर्रम मनाया जाता है. मुहर्रम की 10वीं तारीख को कर्बला के मैदान में हुई जंग में वो शहीद हो गए थे. मुहर्रम महीने का दसवां दिन अशूरा होता है. इसी दिन ताजिया निकालकर मुहर्रम मनाया जाता है. मुहर्रम के जुलूस में तमाम मजहब के लोग अकीदत व एहतेराम के साथ शिरकत करते हैं. देश भर में मुहर्रम मनाया जा रहा है और लोग हजरत इमाम हुसैन की याद को ताजा कर रहे हैं.
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