Muharram 2022: भारत को उसकी गंगा जमनी तहजीब के लिए जाना जाता है. इसकी गवाही देता है एक दक्षिण भारता का एक गांव है जहां एक भी मुसलमान नहीं है लेकिन हर साल मुहर्रम मनाया जाता है.
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Muharram 2022: भारत अपनी गंगा जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है. यहां आपको कई ऐसी चीजें देखने को मिल जाएंगी जो आपको दुनिया की किसी जगह नजर नहीं आएंगी. इस देश में मुसलमनों और हिंदुओं का इतिहास काफी पुराना है. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के दक्षिण भाग में एक ऐसा गांव है जहां 3 हजार लोगों की आबादी में एक भी मुसलमान नहीं है. लेकिन हर साल यहां मुहर्रम मनाया जाता है. हर मोहर्रम यहां वहीं सब होता है जो सभी मुसलमान करते हैं. जैसे जुलूस निकाले जाते हैं, और अली, हसन और हुसैन की शहादत को याद किया जाता है.
आपको बता यह सब होता है बोलागावी जिले के हीरेबिदानूर गांव में. जहां मुस्लिम समाज की इकलौती निशानी एक मस्जिद है. जिसमें एक पुजारी रहता है और हिंदू रीति रिवाजों से पूजा पाठ करता है. यह गांव बेलागावी से 51 किलोमीटर की दूरी पर है, जहां ज्यादातर कुरूबा या फिर वाल्मिकी समाज के लोग रहते हैं.
आपको बता दें इस गांव में एक दरगाह है. उसे ही 'फकीरेश्वर स्वामी की मस्जिद' के तौर पर जाना जाता है. इस मस्जिद को लेकर लोगों की काफी मान्यताएं हैं. लोग यहां मुराद लेकर आते हैं. ऐसा माना जाता है कि उनकी मन्नते पूरी भी होती हैं. पुजारी यलप्पा नायकर कहते हैं कि मुहर्रम के मौके पर एक मौलवी को पास के गांव से बुलाया जाता है. जिसके बाद वह एक सप्ताह के लिए यहां रुकते हैं और इस्लामिक रीति रिवाजों से इबादत करते हैं. बाकि दिनों में मस्जिद में देखरेख की जिम्मेदारी मेरी होती है.
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जानकारी के अनुसार यह मस्जिद दो मुस्लिम भाइयों ने बनाई थी. जब उनकी मौत हुई तो लोगों ने मस्जिद में इबादत करनी शुरू कर दी. इसके अलावा हर साल मुहर्रम मनाने लगे. गांव के अध्यापक ने बताया कि मुहर्रम के दिनों में कई तरह की रिवायतों को निभाया जाता है.
मुहर्रम के दिनों में यहां जुलूस निकाला जाता है. लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. इसके अलावा कलाकार यहां आकर परफोर्म करते हैं. इस दौरान यहां कर्बला के मंजर को दोबार याद किया जाता है. रस्सी और आग पर चलने का प्रोग्राम होता है.
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