मस्जिद-ए-नबवी में मिलने वाले इफ्तार के पैकेट की कीमत कितनी होती है, क्या है वहां का सिस्टम? जानिए
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मस्जिद-ए-नबवी में मिलने वाले इफ्तार के पैकेट की कीमत कितनी होती है, क्या है वहां का सिस्टम? जानिए

Ramadan 2023: रमजान का महीना नज़दीक है. इस मौके पर हम सभी जगह तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. पढ़िए इफ्तार से जुड़ी यह खास खबर

मस्जिद-ए-नबवी में मिलने वाले इफ्तार के पैकेट की कीमत कितनी होती है, क्या है वहां का सिस्टम? जानिए

Ramadan 2023: रमज़ान का पवित्र महीना अब ज्यादा दूर नहीं है, ऐसे में सऊदी अरब समेत दुनियाभर में रमज़ान की तैयारियां शुरू हो गई हैं. हाल ही में खबर आई है कि सऊदी अरब में मदीना-मुनावराह में मौजूद मस्जिद नबावी (Masjid E Nabawi) में पिछले साल की तरह ही कैटरिंग कंपनियां रमज़ान में इफ्तार का इंतज़ाम करेंगी. अल-वतन अखबार के मुताबिक कैटरिंग कंपनियों ने इफ्तार टेबल के लिए ऑफर जारी किए हैं. 

कल्याणकारी संस्थाएं मस्जिद नबवी की छत पर और पश्चिमी सन में इफ्तार की मेज की व्यवस्था करेंगी. कई कैटरिंग कंपनियों ने एक इफ्तार पैकेज की कीमत 7 रियाल (भारतीय 150 रुपये से ज्यादा) तय की है. मस्जिद नबवी का प्रशासन इफ्तार दस्तरख्वान के लिए परमिट जारी करेगा और कैटरिंग कंपनियां इफ्तार के पैकेट मुहैया कराने का ठेका लेंगी. मस्जिद नबवी को कंपनियों के लिए चार जोन में बांटा जाएगा. हर जोन में टेबल पर इफ्तार के पैकेट मुहैया कराने वाली अलग-अलग कंपनियां होंगी.

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क्या होता है रमज़ान?
बता दें कि रमजान मुसलमानों के लिए सबसे पाक-पवित्र महीना होता है. रमजान अरबी महीनों में से एक महीने का नाम है. इस महीने में सभी मुसलमानों को रोज़े रखने का हुक्म होता है. इसके अलावा अलावा इसकी अहमियत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस महीने के आखिरी दिनों में ही सबसे पवित्र किताब कुरान को मुकम्मल हुई थी. रमजान के दौरान इबादत करने के से सवाब (पुण्य) में आम दिनों के मुकाबले कई गुना इज़ाफा हो जाता है. 

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रोज़ा का मतलब क्या है?
रमजान अरबी महीनों के 9वें महीने का नाम है. इस महीने में रोजे रखे जाते हैं. रोजा अरबी जुबान का एक शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है 'रोक देना’ या 'रुक जाना’. रमजान में रोजे के दौरान सुबह सादिक (ब्रह्ममूर्त) से लेकर षाम को सूर्यास्त होने के बीच तक कुछ भी खाने और पीने पर पाबंदी होती है. हालांकि सिर्फ खाना और पीना त्याग देने से रोजा मुकम्मल नहीं होता है. रोजे के दौरान ना सिर्फ खाने और पीने की चीजों से खुद से दूर रखना होता है बल्कि हर उस चीज को त्यागना होता है जो अनैतिक, अर्धम है और जिससे कुरान और हदीस में मना किया गया है. 

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