IAS Pooja Khedkar: सेवा नहीं, भौकाल के लिए बनी थी IAS; 1 साल की नौकरी में ही करा ली अपनी फजीहत, नियुक्ति पर भी उठ रहे हैं सवाल
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IAS Pooja Khedkar: सेवा नहीं, भौकाल के लिए बनी थी IAS; 1 साल की नौकरी में ही करा ली अपनी फजीहत, नियुक्ति पर भी उठ रहे हैं सवाल

IAS Pooja Khedkar: पूजा खेडकर महाराष्ट्र कैडर की 2022 बैच की आईएएस अफसर हैं. उन्होंने UPSC परीक्षा में ऑल इंडिया 841वीं रैंक हासिल की थी. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने 3 जून को प्रशिक्षु के रूप में ड्यूटी ज्वाइन की थी. हालांकि, उन्होंने ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले ही कलेक्टर से अलग केबिन, कार, आवासीय क्वार्टर और एक चपरासी की मांग कर रही थी.

IAS Pooja Khedkar: सेवा नहीं, भौकाल के लिए बनी थी IAS; 1 साल की नौकरी में ही करा ली अपनी फजीहत, नियुक्ति पर भी उठ रहे हैं सवाल

IAS Pooja Khedkar: अपनी मांग को लेकर चर्चाओं में आने वाली महाराष्ट्र की ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर (Pooja Khedkar IAS ) का ट्रांसफर कर दिया गया है. पुणे के कलेक्टर डॉ. सुहास दिवसे के आदेश के बाद पूजा को वाशिम जिले का असिस्टेंट कलेक्टर बनाया गया है. आखिरकार पूजा के चर्चा में रहने और उन पर हुई विभागीय कार्रवाई की वजह क्या है? आइए जानते हैं.

खेडकर महाराष्ट्र कैडर की 2022 बैच की आईएएस अफसर हैं. उन्होंने UPSC परीक्षा में ऑल इंडिया 841वीं रैंक हासिल की थी. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने 3 जून को प्रशिक्षु के रूप में ड्यूटी ज्वाइन की थी. हालांकि, उन्होंने ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले कलेक्टर से अलग केबिन, कार, आवासीय क्वार्टर और एक चपरासी प्रदान किए जाने मांग कर रही थी. लेकिन उन्हें ये सुविधाएं देने से शीर्ष अधिकारी ने इंकार कर दिया.

IAS पूजा पर ये हैं आरोप
दरअसल, प्रोबेशन पर चल रही आईएएस अफसर पर आरोप हैं कि सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभालने से पहले उन्होंने पुणे के जिला कलेक्टर से अलग केबिन और कार की मांग की थी. इसके अलावा उन पर अपनी निजी लग्जरी सेडान पर महाराष्ट्र सरकार का स्टिकर, सायरन और वीआईपी नंबर प्लेट लगाने की भी मांग की थी. साथ ही उन्होंने कथित तौर पर बिना अनुमति के अतिरिक्त कलेक्टर अजय मोरे के सामने वाले केबिन पर कब्जा कर लिया, बिना सहमति के दफ्तर के फर्नीचर को हटा दिया.

IAS पूजा खेडकर ने वाशिम जिले पहुंचकर ड्यूटी ज्वाइन कर ली है. पुणे में अलग दफ्तर की मांग करने वाली पूजा खेडकर को वाशिम जिले में अलग से केबिन मिलती है या नहीं, यह अभी साफ नहीं हुआ है. वहीं, पूजा पर यह भी आरोप है कि खेदकर के पिता, एक सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी है. जिन्होंने हाल ही में अहमदनगर सीट से वंचित अघाड़ी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था. उन्होंने अपनी बेटी की मांगों को पूरा करने के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय पर दबाव डाला था, जिससे विवाद बढ़ गया.

दिव्यांग श्रेणी से बनी IAS
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूजा खेडकर ने साल 2019 में जनरल कैटेगरी से यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा दी थी, लेकिन कम नंबर आने की वजह से उनका चयन IAS पद पर नहीं हो सका. लेकिन, दूसरी बार उन्होंने 2022 में दिव्यांग श्रेणी ( PWd Category ) से परीक्षा पास की. हालांकि,  पूजा को 2 फरवरी, 2022 को नियुक्ति देने से मना कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का दावा करते हुए अदासलत में एक हलफनामा दायर कर दिया. इसके बाद कोर्ट में उन्हों विकलांग अधिनियम अधिकार के तहत हलफनामा दायर किया. परिणामस्वारूप उन्हें नियुक्ति मिल गई. हालांकि, इससे पहले अदालत ने उन्हें 2022 के जुलाई और सितंबर महीने में चार बार उनकी मेडिकल जांच निर्धारित की थी, लेकिन वह चारों बार जांच में अनुपस्थित रहीं.

नियुक्ति पर उठ रहे हैं सवाल
इस बीच, अब IAS खेडकर की नियुक्ति पर एक RTI कार्यकर्ता विजय कुंभार ने भी सवाल उठा हैं . उन्होंने आरोप लगाया कि वह ओबीसी गैर-क्रीमी लेयर के अंतर्गत नहीं आतीं क्योंकि उनके पिता के पास 40 करोड़ रुपये की संपत्ति है. 

चुनावी हलफनामे के मुताबिक, पूजा खेडकर के पिता के पास 110 एकड़ कृषि योग्य जमीन है. इसके अलावा उनके नाम छह दुकानें, सात फ्लैट, 900 ग्राम सोना, हीरे, तकरीब 17 लाख रुपये की सोने की घड़ी, 4 कार हैं. साथ ही उन्होंने दो प्राइवेट कंपनियों और एक ऑटोमोबाइल फर्म में हिस्सेदारी ले रखी है. 

क्या है ओबीसी गैर-क्रीम लेयर नियम?
नियमों के मुताबिक, केवल वे ही ओबीसी गैर-क्रीम लेयर श्रेणी में आते हैं जिनके माता-पिता की सालाना आय 8 लाख से कम है. लेकिन कुंभार ने दावा किया है कि पूजा के माता पिता के नाम से करीब 40 करोड़ रूपये की संपत्ति है, जो कि उन्होंने चुनावी हलफनामे में भी दिया है.

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