MHC से एक्ट्रेस जया प्रदा को बड़ा झटका; इस मामले में कोर्ट ने अर्ज़ी की ख़ारिज
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MHC से एक्ट्रेस जया प्रदा को बड़ा झटका; इस मामले में कोर्ट ने अर्ज़ी की ख़ारिज

Jaya Prada: मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जया प्रदा को दी गई 6 माह की कैद की सजा को रद्द करने से मना कर दिया और अदाकारा को जमानत पाने के लिए निचली अदालत में शारीरिक उपस्थिति के साथ 20 लाख का भुगतान करने की हिदायत जारी की. 

 

MHC से एक्ट्रेस जया प्रदा को बड़ा झटका; इस मामले में कोर्ट ने अर्ज़ी की ख़ारिज

Madras High Court: बॉलीवुड एक्ट्रेस और पूर्व सांसद जया प्रदा की मुश्किल बढ़ गई है.  मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जयाप्रदा को दी गई 6 माह की कैद की सजा को रद्द करने से मना कर दिया और अदाकारा को जमानत पाने के लिए निचली अदालत में शारीरिक उपस्थिति के साथ 20 लाख रुपये का भुगतान करने की हिदायत जारी की.  कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) ने थिएटर कर्मचारियों की सैलरी से काटे गए ईएसआई योगदान को जमा न करने के लिए जयाप्रदा और चेन्नई के जनरल पैटर्स रोड पर बंद हो चुके जयाप्रदा थिएटर के दूसरे हिस्सेदारों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी.

 

सजा को रद्द करने से इनकार
मद्रास हाईकोर्ट ने जयाप्रदा और दो अन्य को उनके स्वामित्व वाले एक सिनेमाघर के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम का 18 साल से ज्यादा समय तक बकाया अदा नहीं करने के मामले में छह महीने की सजा को निलंबित करने की मांग वाली अर्जी खारिज कर दीं. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उन याचिकाओं को रद्द कर दिया, जिसमें चीफ सेशन जस्टिस के आदेश को चुनौती दी गई थी. प्रधान सत्र न्यायाधीश ने अदाकारा और उनके साथियों को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को रद्द करने से इनकार कर दिया था.

 

मामले में लापरवाही
ये अर्जियां जयाप्रदा सिनेमा थिएटर की तरफ से दायर की गई थीं. जस्टिस जी जयचंद्रन ने कहा कि यह पाया गया कि याचिकाकर्ता साझेदारी फर्म ने कर्मचारी का योगदान एकत्र किया, लेकिन अपने योगदान के साथ जमा नहीं किया. यह चूक लगातार की गई और किसी न किसी तरीके से याचिकाकर्ता मुकदमे को तकरीबन 18 बरसों तक लटकाने में कामयाब रहा. जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने कानूनी अमल के प्रति जो अनादर का भाव दिखाया उसे भी निचली अदालत ने अपने फैसले में दर्ज किया.

 

20 लाख जमा करें
जस्टिस ने कहा कि अपीली अदालत ने उन अभियुक्तों की सजा को निलंबित करने की अर्जी को खारिज कर सही किया था, जो फैसले की तारीख पर निचली अदालत के सामने पेश नहीं हुए थे और अपीली अदालत के सामने सरेंडर भी नहीं किया था, जब सजा के निलंबन की अपील पर सुनवाई की गई. जस्टिस ने कहा कि मामले का ट्रैक रिकॉर्ड उक्त आदेश को सही ठहराता है. इसलिए, ये मूल याचिकाएं खारिज की जाती हैं. न्यायाधीश ने कहा कि सजा को रद्द करने की अपील वाली किसी भी अर्जी पर उस वक्त ही गौर किया जाएगा, जब 15 दिनों के अंदर 20 लाख रुपये जमा किए जाएंगे.

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