मदनी ने दिया बड़ा बयान मौजूदा राजनीति देश का विकास नहीं विनाश कर देगी
Advertisement

मदनी ने दिया बड़ा बयान मौजूदा राजनीति देश का विकास नहीं विनाश कर देगी

मौलाना अरशद मदनी अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहते है. ऐसे में पत्रकारो से बातचीत के दौरान मौलाना अरशद मदनी ने कहा भारत सदियों से कई धर्मों और सभयताओं का केन्द्र रहा है, शांति, एकता और सहनशीलता इसकी उज्जवल परंपराएं रही हैं. लेकिन अब कुछ शक्तियां सत्ता के नशे में सदियों पुरानी इस परंपरा को नष्ट कर देना चाहती है.

मदनी ने दिया बड़ा बयान मौजूदा राजनीति देश का विकास नहीं विनाश कर देगी

जमीयत-उलमा-ए-हिन्द के चीफ मौलाना अरशद मदनी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में एक बयान में कहा है कि "भारत सदियों से कई धर्मों और सभयताओं का केन्द्र रहा है, शांति, एकता और सहनशीलता इसकी उज्जवल परंपराएं रही हैं, लेकिन अब कुछ शक्तियां सत्ता के नशे में सदियों पुरानी इस परंपरा को नष्ट कर देना चाहती हैं, शांति और एकता से अधिक उन्हें अपने राजनीतिक लाभ और सत्ता प्रिय है. यही वजह है कि आए दिन नए-नए धार्मिक मुद्दों को उछाल कर शांति और भाईचारे की उपजाऊ भूमि में नफरत के बीज बोए जा रहे हैं, इस सामाजिक तानेबाने को अब तोड़ देने की साजिश हो रही है. जिसने इस देश में रहने वाले सभी लोगों को एक साथ जोड़ के रखा हुआ है, यह एक ऐसी डोर है जो अगर टूट गई तो न केवल हमारी सदियों पुरानी सभ्यता के लिए यह एक बड़ी हानि होगी बल्कि यह व्यवहार देश को विनाश और तबाही के उस रास्ते पर डाल देगा जहां से वापसी करना आसान नहीं होगा.''

जमीअत उलमा-ए-हिंद आजादी का प्लेटफॉर्म रहा है.
मौलाना मदनी ने देश की आजादी का जिक्र करते हुए कहा, "इसे एक सदी पहले देश की आज़ादी के लिए उलमा ने एक प्लेटफार्म के रूप में स्थापित किया था, इसलिए उलमा पूरी ताक़त के साथ देश की आज़ादी के लिए जान हथेली पर रख कर जेलों को आबाद करते रहे और फांसी के फंदे पर झूलते रहे, आज़ादी के लिए जान देते रहे यहां तक कि देश आज़ाद हो गया और आज़ाद होते ही जमीअत उलमा-ए-हिंद ने अपने आप को राजनिती से अलग कर लिया, परन्तु इस लक्ष्य और उद्देश्य में देश की अखण्डता, एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना प्राथमिकता है. यही कारण है कि आज़ादी के बाद धर्म के आधार पर देश के विभाजन का उसने पूरी ताक़त से विरोध किया था, उन्होंने स्पष्ट किया कि जमीअत उलमा-ए-हिंद अपने महानुभावों द्वारा स्थापित दिशानिव का आज भी पालन कर रही है, वो अपना हर काम धर्म से ऊपर उठकर मानवता के आधार पर करती है."

मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का कोई भी प्रमाण नहीं मिला
मौलाना मदनी ने कहा कि बाबरी मस्जिद विवाद पर कोर्ट ने यह बात कही की मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का कोई भी प्रमाण नहीं मिला लेकिन अब कुछ लोग इसका राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास कर रहे हैं. उसे इतिहास मजहब के लोगों के फायदे के शक्ल में पेश किया जा रहा है. मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब यह नहीं है. देश का कोई धर्म नहीं होगा मगर यह बहुत ही दुख की बात है कि अब देश में सब कुछ उसके उलट हो रहा है. देश में सिर्फ बहुत संख्या नागरिकों को खुश करने की राजनीति हो रही है, देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे और लोकतंत्र के लिए यह बहुत नुकसानदेह है, मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अंग्रेजों ने हमें थल में सजाकर आजादी नहीं दी थी. हमें यह सब को मिलकर सोचना चाहिए हर किसी को अपनी भूमिका तैयार करनी होगी और देश के मीडिया को भी अपनी असली भूमिका निभानी होगी नहीं तो आने वाले कल का इतिहास इसके लिए हमें माफ नहीं करेंगा.

मीडिया को देश का चौथा स्तंभ कहा जाता है.
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है. इसलिए अब समय आ गया है कि देश का प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का एक बड़ा ग्रुप ईमानदारी सतना विश्लेषण करें और इस बात की समीक्षा करें कि पिछले कुछ वर्षों में उसने अपने लिए जो मार्ग चुना है.  क्या वह सही है, या गलत और क्या यह मार्ग देश के हित में है. मीडिया यह भी भूल जाता है कि जिस भारत को आज लोकतंत्र की जननी कहा जाता है. वह भी इसका एक मजबूत स्तंभ हैं, याद रखें किसी इमारत के स्तंभों में कोई एक स्तंभ अगर कमजोर हो तो इमारत को मजबूत नहीं कहा जा सकता. 

संसद चूक मामला
मौलाना मदीने संसद में ही घुसपैठ और हंगामा के लेकर कहा कि यह कोई सामान्य घटना नहीं हैं. परंतु मीडिया ने उसे बहुत अधिक महत्व नहीं दिया यह गंभीर मामला हैं. लेकिन मीडिया ने कोई प्रश्न नहीं किया, परंतु अगर सागर शर्मा के स्थान पर कोई शकील अहमद होता तो यह मीडिया आसमान सर पर उठा लेता और यह सिर्फ अपराधियों के लिए नहीं बल्कि एक पूरे समुदाय के लिए है.

Trending news