सांसद मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता दोबारा बहाल; राहुल की तरह किया गया था अयोग्य घोषित
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सांसद मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता दोबारा बहाल; राहुल की तरह किया गया था अयोग्य घोषित

Lakshadweep NCP MP Mohammad Faizal Lok Sabha membership restored : लक्षद्वीप से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद मोहम्मद फैजल की पिछले माह सदस्यता रद कर दी गई थी और उस सीट पर उप चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग तैयारी भी कर रहा था. 

लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल

नई दिल्लीः लोकसभा सचिवालय ने बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता मोहम्मद फैजल की सदस्यता बहाल कर दी गई है. इससे पहले जनवरी में उन्हें एक हत्या के प्रयास के मामले में 10 साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
लक्षद्वीप का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद मोहम्मद फैजल ने ने सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ केरल हाईकोर्ट का रुख किया था और उसके फैसले को चुनौती दी थी. फ़ैज़ल की सदस्यता की बहाली इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले हुई है. सुप्रीम कोर्ट में भी इस मुद्दे पर सुनवाई की जानी है. फैजल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख कर लोकसभा से अपनी अयोग्यता को रद्द करने की मांग करते हुए कहा था कि केरल हाईकोर्ट ने हत्या के प्रयास के मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी है.

चुनाव आयोग कराने जा रहा था उपचुनाव 
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने 30 जनवरी को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की थी और उनसे लक्षद्वीप से दो बार के सदस्य फैजल के निलंबन को रद्द करने का अनुरोध किया था. अयोग्यता के बाद, चुनाव आयोग ने 18 जनवरी को लक्षद्वीप संसदीय सीट पर उपचुनाव की भी घोषणा की थी. हालांकि, 30 जनवरी को, उसने केरल हाईकोर्ट के फैसले के बाद उपचुनाव को रोकने का फैसला किया था. 

इस मामले में गई थी लोकसभा सदस्यता 
गौरतलब है कि सांसद फैजल को 13 जनवरी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जब उन्हें और तीन अन्य को 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी .2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिवंगत केंद्रीय मंत्री पी एम सईद के दामाद मोहम्मद सलीह की हत्या के प्रयास के लिए कवारत्ती की एक सत्र अदालत ने एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. 

राकांपा ने फैसले का किया स्वागत 
राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने कहा, “केरल हाईकोर्ट द्वारा 25 जनवरी को उनकी दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगाने के आदेश के तुरंत बाद अयोग्यता को रद्द कर दिया जाना चाहिए था, हालांकि यह एक स्वागत योग्य कदम है.“

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