Photos: मस्जिद-ए नब्वी जिसमें पैगम्बर ने इमामत की थी, जानिए इसकी दिलचस्प बातें
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Photos: मस्जिद-ए नब्वी जिसमें पैगम्बर ने इमामत की थी, जानिए इसकी दिलचस्प बातें

Photos: जब पैगम्बर मुहम्मद साहब मक्का से मदीना आए थे तो उन्होंने सहल और सुहैल से दस दिनार में एक जमीन का टुकड़ा खरीदा था. पहले यह जगह खजूर सुखाने के काम आती थी. इसके बाद यहां मस्जिद बनाई गई.

Madina Masjid

नई दिल्ली: मस्जिद-ए नब्वी या मदीना मस्जिद मुसलमानों के लिए दूसरी सबसे पवित्र जगह है. इस मस्जिद को अरबी भाषा में 'अल-मस्जिद अल-नबाविस' कहते हैं. यह सऊदी अरब के शहर मदीना में मौजूद है. मदीना मस्जिद शुरुआत में बहुत छोटी थी लेकिन यह बहुत बड़ी हो गई है. दुनियाभर से मुसलमान जब सऊदी अरब में हज के लिए आते हैं तो इस मस्जिद में नमाज अदा करने जरूर आते हैं. आइए जानते हैं इस मस्जिद की और क्या खासियतें हैं. 

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पैगम्बर मोहम्मद थे पहले इमाम

मदीना मस्जिद इस्लाम की दूसरी सबसे पवित्र जगह है. पहली जगह मक्का है जहां काबा मौजूद है. मदीना मस्जिद पैगम्बर मोहम्मद के जमाने में इस्लाम के मुख्यालय में बनाई गई थी. पैगम्बर मोहम्मद इस मस्जिद के पहले इमाम थे. पैगम्बर मोहम्मद स. ने मक्का से जब मदीना की यात्रा की थी उसके एक साल बाद यह मस्जिद बनाई गई थी.

मदीना मस्जिद तकनीकि तौर से कितनी एडवांस है इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब बिजली का आविश्कार हुआ उसके बाद जब अरब में सबसे पहले जिस जगह पर बिजली का बल्ब जला वह मदीना मस्जिद ही थी. यह साल 1909 की बात है. 

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विस्तार का काम चल रहा है

मस्जिद-ए नबवी 1441 साल पहले यानी 632 ई0 में. पिछले डेढ़ हजार साल में इस मस्जिद को कई बार मोडिफाई किया गया. बताया जाता है कि यह मस्जिद आज असली स्वरूप से 100 गुना ज्यादा बड़ी है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अभी इस मस्जिद का विस्तार का काम चल रहा है. जब यह मुकम्मल हो जाएगा तो इसमें एक वक्त में 18 लाख लोग एक साथ नमाज अदा कर सकेंगे. 

मदीना मस्जिद का इंफ्रास्ट्रक्चर

मस्जिद-ए नब्वी बेहद खूबसूरत और नई टेक्नॉलॉजी से लैस है. इसके आस पास बेहतरी इमारतें बन गई हैं. मस्जिद आर्किटेक्चर और इसका रखरखाव इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाता है. मस्जिद के अंदरूनी हिस्से में कीमती पत्तर लगाए हैं. इसके अलावा अंदरूनी हिस्से में और मीनारों में जबरदस्त लाइटें लगाई गई हैं. 

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एक रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद में जल्द ही 250 ऑटोमैटिक छतरियां लगाई गई हैं. ये छतरियां बहुत खास हैं. ये धूप और बारिश में अपने आप खुलती और बंद होती हैं. इससे तकरीबन 143 वर्ग मीटर को साया मिल रहा है. जो नमाजियों को धूप और बारिश से बचा रही हैं. मस्जिद की सफाई के लिए 3200 कर्मचारी काम करते हैं. 

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मस्जिद-ए नबवी पहले कैसी थी

बताया जाता है कि जब पैगम्बर मुहम्मद साहब मक्का से मदीना आए थे तो उन्होंने सहल और सुहैल से दस दिनार में एक जमीन का टुकड़ा खरीदा था. पहले यह जगह खजूर सुखाने के काम आती थी. इसके बाद यहां मस्जिद बनाई गई. मस्जिद बनाने में खुद पैगम्बर ने भी काम किया था. शुरूआत में मस्जिद की नीव पत्थर की थी. जबकि दीवारें मिट्टी की. इसके अलावा इसकी छत खजूर के पत्तों तनों से बनाई गई थी. इस मस्जिद के पास ही पैगम्बर का घर भी था. 

मस्जिद-ए नबवी के पहले मुअज्जिन बिलाल बिन रबा थे. सऊदी गजट के मुताबिक इस मस्जिद में फिलवक्त 17 मुअज्जिन हैं जो 5 वक्त की नमाज के लिए अजान देते हैं. 

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