Khwaja Mir Dard Hindi Shayari: है ग़लत गर गुमान में कुछ है, तुझ सिवा भी जहान में कुछ है
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Khwaja Mir Dard Hindi Shayari: है ग़लत गर गुमान में कुछ है, तुझ सिवा भी जहान में कुछ है

Khwaja Mir Dard Hindi Shayari: दर्द के शेर में इश्क, ताकत, अकेलापन-साथ, सफर, यकीन, बनना बिगड़ना, मकान, पूरा-अधूरा और गरीबी मिलती हैं. आईए पढ़ते हैं ख्वाजा मीर दर्द के शेर.

Khwaja Mir Dard Hindi Shayari: है ग़लत गर गुमान में कुछ है, तुझ सिवा भी जहान में कुछ है

Khwaja Mir Dard Hindi Shayari: ख्वाजा मीर दर्द उर्दू के बड़ें शायरों में शुमार होते हैं. उन्हें उर्दू में सूफ़ियाना शायरी का इमाम कहा जाता है. मीर दर्द की शायरी इश्क़िया शायरी है. ख्वाजा मीर दर्द की पैदाइश 1721 में हुई. आज भी लोगों के जबान पर उनकी शायरी चढ़ी है. ख्वाजा जी का व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक रहा है. शेर व शायरी के बेताज बादशाह कहे जाने वाले मीर  दर्द 7 जनवरी 1785 को दुनिया से हमेशा के लिए अलविदा कह गए. 

एक ईमान है बिसात अपनी 
न इबादत न कुछ रियाज़त है 

तमन्ना तिरी है अगर है तमन्ना 
तिरी आरज़ू है अगर आरज़ू है 

दुश्मनी ने सुना न होवेगा 
जो हमें दोस्ती ने दिखलाया 

है ग़लत गर गुमान में कुछ है 
तुझ सिवा भी जहान में कुछ है 

हाल मुझ ग़म-ज़दा का जिस जिस ने 
जब सुना होगा रो दिया होगा 

जग में आ कर इधर उधर देखा 
मैं जाता हूँ दिल को तिरे पास छोड़े 

जान से हो गए बदन ख़ाली 
जिस तरफ़ तू ने आँख भर देखा 

उन लबों ने न की मसीहाई 
हम ने सौ सौ तरह से मर देखा 

मिरी याद तुझ को दिलाता रहेगा 
तू ही आया नज़र जिधर देखा 

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टुक ख़बर ले कि हर घड़ी हम को 
अब जुदाई बहुत सताती है 

ज़िंदगी है या कोई तूफ़ान है! 
हम तो इस जीने के हाथों मर चले 

खुल नहीं सकती हैं अब आँखें मिरी 
जी में ये किस का तसव्वुर आ गया 

आगे ही बिन कहे तू कहे है नहीं नहीं 
तुझ से अभी तो हम ने वे बातें कही नहीं 

सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ 
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ 

नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़ 
गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो 

अज़िय्यत मुसीबत मलामत बलाएँ 
तिरे इश्क़ में हम ने क्या क्या न देखा 

मैं जाता हूँ दिल को तिरे पास छोड़े 
मिरी याद तुझ को दिलाता रहेगा 

ज़ालिम जफ़ा जो चाहे सो कर मुझ पे तू वले 
पछतावे फिर तू आप ही ऐसा न कर कहीं 

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