TRANSGENDER RESERVATION IN POLICE, KARNATKA: राज्य में सशस्त्र बलों में कांस्टेबल के 3,484 पदों की भर्ती (police constable recruitment) में राज्य में पहली बार, ‘पुरुष तृतीय लिंग’ (male third gender) समुदाय के लिए 79 पद आरक्षित किए गए हैं.
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बेंगलुरुः इस वक्त पूरी दुनिया में एलजीबीटी समुदाय (LGBT) के लोग अपने समान अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. कई देशों में उन्हें मान्यता और समान अधिकार भी दिए गए हैं. कई मामलों में उन्हें रियायत भी दी जाती है. देश में कर्नाटक सरकार ने भी राज्य सशस्त्र बलों की भर्ती में (police constable recruitment) ‘पुरुष तृतीय लिंग’ (male third gender) समुदाय के लिए आरक्षण देने का ऐलान किया है. राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने मंगलवार को बताया कि कर्नाटक सशस्त्र बलों में कांस्टेबल के 3,484 पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में पहली बार, ‘पुरुष तृतीय लिंग’ (male third gender) समुदाय के लिए 79 पद आरक्षित किए गए हैं.’’
ट्रांसजेंडर समुदाय ने की फैसले की सराहना
ट्रांसजेंडरों के हक की लड़ाई लड़ने वाले कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस कदम की सराहना की है. ट्रांसजेंडर के कल्याण के लिए काम करने वाले समुदाय के सदस्य और मानवाधिकार संगठन ‘ओनडेडे’ के संस्थापक अक्काई पद्मशाली ने कहा, ‘‘मैं सरकार के इस फैसले का दिल से स्वागत करता हूं.’’ अक्काई को कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि यह घोषणा ‘तृतीय लिंग’ (third gender) समुदाय को मुख्यधारा में शामिल करने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा.’’ हालांकि उन्होंने कहा कि ‘पुरुष तृतीय लिंग’ कहा जाने वाला कोई समुदाय नहीं होता है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के दृष्टिकोण से मैं यह समझ पा रहा हूं कि शायद वे ‘महिला से पुरुष में तब्दील हुए ट्रांसजेंडर पुरुष’ (female to male transformed transgender man) की बात कर रहे हैं.’’
पुलिस भर्ती में आ सकती है ये समस्याएं
ट्रांसजेंडरों की दुर्दशा के बारे में, पद्मशाली ने कहाः “यहां तक कि अगर कोई पुलिस विभाग में जाना चाहता है, तो उसके लिए कुछ योग्यताओं की जरूरत होती है. यहां हम में से अधिकांश ट्रांसजेंडर अनपढ़ हैं और स्कूल छोड़ चुके हैं. 10 वीं कक्षा भी पास नहीं है, भूल जाओ (कॉलेज) डिग्री. इसके पीछे बहुत सारी बारीकियां हैं.“ पद्मशाली ने बताया कि ट्रांसजेंडर समुदाय के भीतर ’जोगप्पा’, ’मारला’, ’जोगता’, ’शक्ति’ और ’अक्का’ जैसे विभिन्न “सांस्कृतिक पहचान और अस्तित्व की विविधता“ को समझने की भी जरूरत है.कार्यकर्ता ने सरकार से समुदाय और उनके कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक ’ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड’ स्थापित करने की भी अपील की है.
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