MP News: ऑटो चालक पिता और माँ ने नहीं देखा कभी स्कूल का मुंह, बेटी आयशा बनी कलेक्टर
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MP News: ऑटो चालक पिता और माँ ने नहीं देखा कभी स्कूल का मुंह, बेटी आयशा बनी कलेक्टर

MPPSC 2022 Aysha Ansari: मध्य प्रदेश MPPSC 2022 का पिछले शनिवार को रिजल्ट आया है. इस एग्जाम में रीवा जिले के रहने वाले एक ऑटो चालक की बेटी आयशा अंसारी ने पूरे प्रदेश में 12वां स्थान लाकर डिप्टी कलेक्टर बन गयी है. पूरे प्रदेश में इस बेटी की चर्चा है. आयशा लाखों मुस्लिम लड़कियों के लिए प्रेरणा है. आइये आयशा से इंटरव्यू में जानते हैं, उनकी कामयाबी का राज़..

आयशा अंसारी मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला के साथ

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला के रीवा जिले में वाके आबाई घर से महज 200 मीटर के फासले पर एक कच्चा-पक्का सा मकान है. ठीक वैसा ही मकान जैसा इस मुल्क के करोड़ों मेहनतकाश अवाम का मकान होता है. इस घर में एक ऑटो चालक, उसकी बीवी, एक बेटी और दो बेटे रहते हैं. दो छोटे बेटे किसी दुकान में काम करते हैं. लेकिन इस घर की एक बेटी की वजह से ये मोहल्ला, ये घर और ऑटो चालक पिछले एक हफ्ते से देश और मध्य प्रदेश में सुर्ख़ियों में है. लोग इस बेटी पर नाज़ कर रहे हैं. उसे बधाइयां भेज रहे हैं..    

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दरअसल, 25 वर्षीय आयशा अंसारी का पिछले हफ्ते शनिवार को ही MPPSC 2022 का रिजल्ट आया है. मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग के इस सबसे मुश्किल इम्तिहान में आयशा ने प्रदेश भर में 12 वां मुकाम हासिल किया है. उसे डिप्टी कलेक्टर का ओहदा मिला है.  ख़ास बात यह है कि उनके माता- पिता ने कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा था, लेकिन बेटी ने अपनी मेहनत और लगन से अपनी जैसे लाखों- करोड़ों लड़कियों के सामने एक नजीर पेश कर दिया है. आयशा की कामयाबी के किस्से प्रदेश में हर किसी की जुबान पर है. आइये आयशा की इस कामयाबी के सफ़र से हम आपको भी रूबरू कराते हैं.. 

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शुरुआती पढाई और पारिवारिक स्थिति 
आयशा का जीवन अभावों में गुज़रा है. बेहद सिमित संसाधनों में उन्होंने अपनी पढ़ाई की है. आयशा ने अपनी प्रारंभिक पढाई शासकीय प्रवीण कुमारी कन्या उ० म० विद्यालय रीवा से की है. बाद में उन्होंने रीवा के ही एक सरकारी कॉलेज से बायोटेक्नोलॉजी, केमिस्ट्री और बॉटनी के साथ ग्रेजुएशन की पढाई की. आयशा को इस एग्जाम में ये कामयाबी तीसरी बार में मिली है. इससे पहले दो बार उनका चयन होते- होते रह गया था. 

ज़ी सलाम: सिविल सेवा में जाने का विचार कब आया
आयशा अंसारी:  ग्रेजुएशन के वक़्त जब हमारे सीनियर्स हमारा इंट्रोडक्शन लेने आते आते थे तो सभी बच्चे अपनी प्राथमिकताएं बताते थे कि वह भविष्य में क्या बनना चाहते हैं. किसी को डॉक्टर बनना था तो किसी को इंजीनियर बनना था, लेकिन उस वक़्त मेरा कोई लक्ष्य नहीं था. मैंने बहुत से बच्चों को कलेक्टर बोलते हुए सुना था. फिर मेरे दिमाग मे एक प्रचलित कहावत याद आती थी कि पढ़-लिखकर कौनसा कलेक्टर बन जाएगा. इसी के साथ मेरे अंदर प्रेरणा पैदा हुई कि क्यों न पढ़- लिखकर कलेक्टर ही बन जाया जाए. मेरे पिताजी ने भी मेरे इस सपने को पंख दिया कि मैं सिविल सेवा में जाऊं. 

ज़ी सलाम: आपको इस पेशे में आने के लिए पारिवारिक का कितना सहयोग मिला ?  
आयशा अंसारी: मेरा सपना था कि मैं सिविल सेवक बनूँ और अपना और अपने परिवार का नाम रौशन करूं. मेरे इसी सपने को मेरे माता-पिता ने खुद का भी सपना बना लिया था. मेरे माता-पिता ने सीमित संसाधनों में भी मुझे कभी किसी भी तरह की कमी महसूस नहीं होने दी. यहाँ तक कि उन्होंने कभी भी मुझसे घर का काम नहीं करवाया और हमेशा मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित किया. जब मेरा रिजल्ट सही नहीं आया था तो भी मेरे माता-पिता ने मेरा मनोबल बढ़ाया. मेरे माता-पिता का मानना था की सिर्फ कर्म करना हमारे हाथ में है, और अगर कर्म हम पूरी श्रद्धा से करेंगे तो फल की प्राप्ति ज़रूर होगी.

ज़ी सलाम: आप किसे अपना आदर्श मानती है ? 
आयशा अंसारी: मैं अपने माता-पिता व अपने गुरुजनों को अपना आदर्श मानती हूं जिन्होंने मुझे हमेशा आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी और हमेशा मेरा मनोबल बढ़ाया. इसके साथ ही हमारे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी मेरे प्रमुख प्रेरणा स्रोत रहे हैं. इनकी एक लाइन मुझे हमेशा से मोटिवेट करती है जो कि इस प्रकार है, "परिस्थितियों चाहे कैसी भी हो अगर आपके सपने बड़े हैं और आप पूरी मेहनत से उन सपनों को पूरा करने की तरफ बढ़ते हैं तो वह जरूर पूरे होते हैं. "

ज़ी सलाम: इस एग्जाम की तैयारी के लिए कितना वक्त चाहिए ?
आयशा अंसारी: अगर आप सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर रहे हैं तो आपको 1.5 से 2 साल तो हर हाल में चाहिए ही. हालांकि, उमीदवार की क्षमता और उपलब्ध संसाधनों के बिना पर तैयारी की अवधी हर किसी के लिए अलग हो सकती है. 

ज़ी सलाम: तैयारी में कोचिंग संस्थानों का कितना महत्व है ?
आयशा अंसारी: मैने किसी भी कोचिंग संस्था से एमपीपीएससी की मदद नहीं ली है, लेकिन प्रेक्टिस करने के लिए मैंने बहुत सारी कोचिंग की टेस्ट सीरीज के लिए टेलीग्राम, यू ट्यूब व अन्य इंटरनेट के संसाधनों का इस्तेमाल किया था.अगर कोचिंग की बात की जाए तो कोचिंग हमें मार्गदर्शन दे सकती है लेकिन मेहनत उमीदवार को ही करनी पड़ती है. अगर कोई उमीदवार सक्षम है और उसे लगता है कि उसे कोचिंग की ज़रुरत है तो वह गाइडेंस ले सकता है. इसमें कोई बुराई नहीं है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि बिना कोचिंग के सिलेक्शन नहीं होता है. मेरी पूरी पढ़ाई रीवा से अपने घर के एक रूम में बैठकर हुई है. 

ज़ी सलाम: आपने डिप्टी कलेक्टर का पद क्यों चुना ? 
आयशा अंसारी: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की जो सिविल सेवा की परीक्षा होती है, उसमें डिप्टी कलेक्टर का पद सर्वोच्च पद रहता है. इसकी जो कार्य शैली है वह आम आदमी से जुड़कर समाज में परिवर्तन लाने की भूमिका अदा करता है. साथ ही साथ मेरे पिताजी का भी सपना था कि मैं डिप्टी कलेक्टर बनू, तो इसी वजह से मैंने डिप्टी कलेक्टर के  पद का चयन किया है. वहीँ,  मैं पूरे समाज की लड़कियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनना चाहती थी कि मुझे देखकर सभी लड़कियां और उनके माता-पिता प्रेरित हों. वह शिक्षा को एक हथियार बनाकर अपनी सामाजिक व शैक्षणिक पृष्ठभूमि को मजबूत बनाएं और देश व समाज के विकास में सहयोग दें. 

जी सलाम: मुस्लिम वर्ग से कम बच्चे इस फील्ड में आते हैं, उन्हें क्या सलाह देंगी ? 

आयशा अंसारी: मैं उनको अपना संदेश अल्लामा इकबाल की कुछ पंक्तियों के माध्यम से देना चाहती हूं-  'ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले, ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है!" हमारे समाज के बच्चे हैं उनको खुद को इतना बुलंद करना चाहिए कि वह बड़े सपने देखें और उनको पूरा करने के लिए मेहनत करें. अगर हम खुद में परिवर्तन लाएंगे तो हमारा समाज और हमारा मुल्क भी बदलेगा. इसके लिए तालीम को हथियार बनाना होगा. 

ज़ी सलाम: मुस्लिम समाज की लड़कियों को क्या इस फील्ड में आने के लिए क्या सलाह देंगी ? 
आयशा अंसारी: सिविल सेवा एक ऐसा साधन है जिससे हम सीधे तौर पर जुड़कर समाज की स्थिति में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं. सिविल सेवा हमें एक ऐसा प्लेटफॉर्म देता है जिससे हम अपनी काबिलियत बेहतर तरीके से प्रदर्शित कर सकते हैं. मैं सभी मुस्लिम लड़कियों को यह यकीन दिलाना चाहती हूं कि जब मैं जब एक सामान्य परिवार से आकर डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित हो सकती हूँ तो आप में भी काबिलियत है. आप अगर चाहे तो कुछ भी बन सकती हैं. 

इनपुट: डॉक्टर अनवर खान 

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