Islamic Knowledge: इस्लाम में अपने करीबियों को वसीयत करने के बारे में बताया गया है. अगर कोई शख्स ऐसा नहीं करता है, तो उसे जहन्नमी बताया गया है. अपनी सारी जायदाद अल्लाह के रास्ते में वक्फ करने से रोका गया है.
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Islamic Knowledge: अक्सर समाज में देखा गया कि कुछ लोगों के पास अच्छी खासी दौलत होती है. लेकिन उनके करीबी गरीब होते हैं. जब वह शख्स मरने के करीब होता है, तो वह अपनी जायदाद मस्जिद मदरसों में दान कर देते हैं. जबकि इस्लाम का कहना है कि अपनी जायदाद की वरासत अपने बेटा, बेटी, बीवी के अलावा अपने गरीब रिश्तेदारों को करनी चाहिए. इस्लाम में वसीयत करने के बारे में बताया गया है. इस्लाम में जिक्र है अपने सगे संबंधियों को वसीयत की जाए. देखा गया है कि लोग अपनी पूरी जिंदगी जी लेते हैं. जब वह स्वस्थ्य होते हैं और उनका जहनी तवाजुन ठीक रहता है, तब तक वह किसी को वसीयत नहीं करते हैं. लेकिन जब आखिरी उम्र को पहुंचते हैं, तो अपने सगे संबंधियों से नाराज होकर दूसरे लोगों को वसीयत कर देते हैं. इस्लाम में इस चीज से मना किया गया है.
वारिसों को मिले हक
इस्लाम में जिक्र है कि अपने सगे संबंधियों को छोड़कर दूसरे लोगों को वसीयत करने से वारिस अपना हक पाने से महरूम रह जाते हैं. जबकि नबी स. की हिदायत और कुरान में इसका जिक्र है कि वारिसों को उनका हक मिलना चाहिए. ऐसे लोगों के बारे में प्रोफेट मोहम्मद स. ने कहा है कि साठ साल तक इबादत करने और शरीअत की पाबंदी करने के बावजूद आखिरकार ये लोग नाजायज वसीयत करके खुद को जहन्नम का हकदार बना लेते हैं.
वसीयत पर कुरान में जिक्र
हजरत अबूहुरैरा रजि. कुरान का हवाला देकर कहते हैं कि वारिसों को नुकसान पहुंचाने वाली कर्रयवाही न करना. अल्लाह ने विरासत के बंटवारे का जो नियम और कानून बनाया है, वह इल्म और हिकमत पर आधारित है. उसमें न तो किसी तरह की नाइंसाफी और न ही किसी तरह की जज्बाती बात है.
रिश्तेदारों को वसीयद
इस्लाम में जिक्र है कि अगर कोई शख्स मरने वाला हो, तो वह अपने पूरे माल का एक तिहाई हिस्सा ही वक्फ कर सकता है. वह अपने माल का एक हिहाई हिस्सा ही मस्जिद, मसदरसे, जरूरतमंद या मोहताज को दे सकता है. लेकिन ज्यादा अच्छा यह है कि वह सबसे पहले अपने रिश्तेदारों पर नजर डालें. हां ये जरूर देखें कि किसको कानूनी तौर से हिस्सा नहीं मिलने वाला है. यह देखें कि किसकी माली हालत ज्यादा खराब है. ऐसे रिश्तेदारों को देने से ज्यादा सवाब मिलता है.
पत्थर मारने का हुक्म
इस्लाम में एक जगह जिक्र है कि अगर कोई शख्स अपनी 4 बीवियों को तलाक देकर अपनी सारी जायदाद अपने भाइयों में बांट देता है, तो उसकी कब्र पर पत्थर मारना गलत न होगा. इस्लाम में इंतजामिया की तरफ से उस शख्स को पत्थर मारने का हुक्म दिया जाता है, जो बहुत जालिम हो और गुनहगार हो.
विरासत पर हदीस
एक हदीस में अल्लाह के रसूल स. ने फरमाया कि "जो अपने वारिस को मीरास से महरूम करेगा कियामत के दिन अल्लाह उसे जन्नत की मीरास से महरूम कर देगा." (हदीस: इब्ने माजा)