How Does Israeli Agency MOSSAD Work: इजराइली एजेंसी मोसाद के बारे में आपने सुना होगा. इसे दुनिया की सबसे बड़ी खूफिया एंजेसी माना जाता है. पूरी खबर पढ़ने के लिए स्क्रॉल करें.
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How does Israeli Agency MOSSAD Work: इजराइल और फिलिस्तीन की जंग के बीच आपने एक खुफिया एजेंसी का नाम जरूर सुना होगा. इस एजेंसी का नाम मोसाद है, जो हर हमले से पहले सरकार को इसकी जानकारी दे देती है. नेशनल इंटीट्यूट ऑफ़ इंटेलिजेंस एंड ऑपरेशन यानी MOSSAD सीधे तौर पर इजराइल के प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है. मोसाद खुफिया जानकारी इकट्ठा करता है, गुप्त अभियान चलाता है और आतंकवाद विरोधी कार्रवाई करता है. इसके निदेशक की रिपोर्टिंग डायरेक्ट प्रधानमंत्री के पास रहती है.
MOSSAD पर इजरायली सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक एंजेसी का सालान बजट तकरीबन 2.73 billion डॉलर है, जिसमें तकरीबन 7 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी बना देता है.
मोसाद का गठन 13 दिसंबर, 1949 को हुआ था. इसे प्रधानमंत्री डेविड बेन-गुरियन की सिफारिश पर बनाया गया था. बेन का इसे बनाने का मकसद एक सेंट्रल बॉडी की स्थापना करना था, जो मौजूदा सिक्योरिटी एजेंसियों, आर्मी इंटेलिजेंस, फोरेन ऑफिस और इंटरनेशनल सिक्योरिटी सर्विस मे बेहतर कॉर्डिनेशन कायम कर सके. मार्च 1951 में MOSSAD को प्रधानमंत्री ऑफिस में पुनर्गठित किया गया और एजेंसी सीधे तौर पर पीएम को रिपोर्ट करने लगी.
MOSSAD में मेन तीन अहम चीजें हैं, Katsa, Kidon और Sayanim, जिनके जरिए पूरा एजेंसी चलती है. ये तीन विभाग अलग-अलग मैटर्स से डील करते हैं. तो तफ्सील से इन सभी के बारे में जानते हैं.
कात्सा मोसाद के फील्ड अधिकारी हैं. यह शब्द हीब्रू से लिया गया है, जिसका मतलब 'इंटेलिजेंस ऑफिसर' या 'इकट्ठा करने वाला' ऑफिसर होता है. कात्सा एक केस ऑफिसर है जो गुप्त रूप से खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए एजेंट को कंट्रोल करता है.
किडॉन मोसाद के टॉप हत्यारे हैं. इन लोगों को 2 साल तक खास ट्रेनिंग दी जाती है. इन्हें तैयार करने के बाद मिशन्स असाइन किए जाते हैं.
सयानिम अवैतनिक यहूदी नागरिक हैं जो इज़राइल के प्रति समर्पण की भावना से मोसाद की मदद करते हैं. मोसाद के संचालन के लिए रसद सहायता प्रदान करने के लिए उन्हें मोसाद के फील्ड एजेंटों, कात्सा के जरिए भर्ती किया जाता है. ये लोग मोसाद के लोगों की अलग-अलग तरह से मदद करते हैं. इन लोगों की मदद से कम बजट में मोसाद बेहतरीन तरीके से काम कर पाता है.
हालाँकि, पिछले माह जब हमास ने इसराइल पर अचानक हमला कर दिया तो, इस एजेंसी की दुनियाभर में थू-थू हुई और इसके साख को धक्का लगा. लोगों ने सवाल उठाया कि आखिर मोसाद कैसे फेल कर गया. उसे हमास के हमले की भनक तक नहीं मिली और इतना बड़ा हमला हो गया. जबकि दूसरी तरफ हमास के टॉप नेतृत्व ने ब्यान जारी कर कहा था कि इस्राइल गाजा और हमास पर बड़े हमले की पहले से तैयारी कर रहा था और इस बात की खबर हमास को मिल गई थी. इसलिए उसने दुशम के हमले से पहले ही बिना किसी ठोस तैयारी के उसपर हमला कर उसे चौंका दिया और उसका नुक्सान कर दिया. यानी इस मामले में मोसाद बुरी तरह नाकाम हो गया. उसके नाक के नीचे इसराइल पर हमले की साजिश रची गई और उसे भनक तक नहीं लगी. युद्ध और रणनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि हमास ने इसराइल और हमास का न सिर्फ घमंड तोड़ दिया है बल्कि उसकी कमजोरी को भी बेनकाब कर दिया है.