रोहतक हत्या मामला: पूर्व कुश्ती कोच को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा; इतने लोगों की हत्या का है दोषी
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रोहतक हत्या मामला: पूर्व कुश्ती कोच को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा; इतने लोगों की हत्या का है दोषी

Rohtak Crime News: पूर्व कुश्ती कोच सुखविंदर ने 12 फरवरी 2021 को 6 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ,यह मामला दुर्लभतम की श्रेणी में आता है. ऐसी हालत में अदालत के पास मौत की सजा देने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है.

रोहतक हत्या मामला: पूर्व कुश्ती कोच को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा; इतने लोगों की हत्या का है दोषी

Hayrana Six Murders Case: हरियाणा की एक अदालत ने पूर्व कुश्ती कोच को छह लोगों के कत्ल के लिए मौत की सजा सुनाई. रोहतक की एक अदालत ने फरवरी 2021 में चार साल के लड़के समेत छह लोगों के कत्ल के लिए शुक्रवार को कुश्ती के पूर्व कोच को मौत की सजा सुनाई. एडिशनल जिला और सेशन जस्टिस गगन गीत कौर ने सुखविंदर को भारतीय दंड संहिता (IPC) की दफा 302 (हत्या) और 307 (हत्या की कोशिश) समेत अलग-अलग धाराओं और शस्त्र अधिनियम के तहत कुसूरवार करार दिया. सजा देने के अलावा कोर्ट ने 1.26 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

पुलिस ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि, सोनीपत जिले के बड़ौदा गांव के रहने वाले सुखविंदर ने 12 फरवरी, 2021 को मनोज मलिक, उनकी बीवी साक्षी मलिक और बेटे सरताज, कुश्ती कोच सतीश कुमार, प्रदीप मलिक और पहलवान पूजा को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था. पुलिस ने बताया कि, रोहतक में एक प्राइवेट कॉलेज से सटे कुश्ती स्थल पर हुई घटना के दौरान एक और शख्स जख्मी हो गया था. जख्मी शख्स की पहचान अमरजीत के तौर पर की गई. पुलिस ने तब समय कहा था कि, सुखविंदर ने अपने खिलाफ कई शिकायतों की वजह से सेवाएं समाप्त कर दिए जाने के बाद गुस्से में आकर हत्या की वारदात को अंजाम दिया था.

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, यूपी के मथुरा की रहने वाली महिला रेस्लर पूजा तोमर रोहतक के एक कॉलेज के अखाड़े में ट्रेनिंग ले रही थी. उसने सीनियर कोच विनोद मलिक से शिकायत की थी कि कोच सुखविंदर उसे परेशान करके शादी करने के लिए मजबूर करता है. सीनियर कोच ने मुल्जिम कोच को अखाड़ा छोड़ने की बात कही थी. इल्जाम है कि इस बात से नाराज होकर सुखविंदर ने 12 फरवरी 2021 को 6 लोगों को मौत की नींद सुला दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ,यह मामला दुर्लभतम की श्रेणी में आता है. ऐसी हालत में अदालत के पास आजीवन कारावास के बजाय मौत की सजा के अलावा कोई और रास्ता नहीं है. जस्टिस ने कहा कि, जब तक पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट मौत की सजा की तस्दीक नहीं कर देता, तब तक सजा पर अमल नहीं किया जाएगा. 

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